धान :
उत्तर भारत में वीरवार से धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है। यदि आप भी धान की रोपाई की तैयारी में हैं तो यह जानकारी आपके बेहद काम आएगी। पौधों की रोपाई लाइनों में करे। लाइन से लाइन की दूरी 15-20 सेमी. रखें।
एक स्थान पर कम से कम दो पौधे रोपें। खरपतवारों की रोकथाम प्रारम्भ से ही की जाए। असिंचित दशाओं में मैदानी क्षेत्रों में सीधी बुवाई के लिए 90-110 दिन में पकने वाली जातियों की बुवाई करनी चाहिए। बीज की मात्रा 70-80 किग्रा. प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।
लाइन से लाइन की दूरी 20 सेमी. रखनी चाहिए। यदि पलेवा लगाकर धान की बुवाई करनी हो तो 100-110 कि.ग्रा. बीज प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करें। बीज को 12 घण्टे पानी में भिगोकर लगभग 45 घण्टे तक ढेर बनाकर रखना चाहिए जिससे बीजों में अंकुरण शुरू हो जाए।
मूंग :
पकी हुई फलियों की चुनाई कर लें या 60-80 प्रतिशत फलियों के पकने पर कटाई करें। उर्द की कटाई फसल पूरी पक जाने पर करें। इस समय फलियां काली पड़ जाती हैं।
अरहर :
कम अवधि में तैयार होने वाली किस्मों की बुवाई इस माह में कर ले। नमी की कमी में पलेवा करके बुवाई करे। 12-15 कि.ग्रा. बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होता है। बुवाई कतारों में 45-60 सेमी.की दूरी पर करें।
मक्का :
इस माह मक्का की बुवाई करे। ध्यान रहे कि नमी के अभाव में पलेवा अवश्य करें। प्रति हैक्टेयर 18-20 किग्रा. बीज पर्याप्त होता है। बुवाई लाइनों में करें। कंचन, सूर्या नवीन, पंत संकुल मक्का-3 प्रजाति आदि किस्मों की बुवाई करें। यह ध्यान रहे कि संकर किस्मों का बीज प्रति वर्ष नया प्रयोग करें।
बाजरा :
बारानी क्षेत्रों में मानसून सत्र की पहली अच्छी वर्षा पर बुवाई शुरू कर दें। औसतन 4-5 किग्रा. बीज प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करें। फसल की बुवाई 45 से.मी. की दूरी पर 4 से.मी. गहरे कूड़ों में करें।
मूंगफली :
बुवाई माह के अन्तिम सप्ताह से शुरू करें तथा जुलाई के प्रथम सप्ताह तक पूरी कर लें। फैलने व कम फैलने वाली किस्मों की लाइन से लाइन की दूरी 45 से.मी. या गुच्छेदार किस्मों में 30से.मी. एवं पौधों की दूरी 15-20 से.मी. रखें। गुच्छेदार किस्मों के लिए 80-100 कि.ग्रा. एवं फैलने वाली किस्मों के लिए 60-80 किग्रा गिरी प्रति हैक्टेयर की दर से पर्याप्त होती है।
सोयाबीन :
मैदानी क्षेत्रों में जून के अन्तिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह का समय बुवाई के लिए सर्वोत्तम है। सोयाबीन का 75-80 कि.ग्रा बीज प्रति हैक्टर प्रयोग किया जाय। बुवाई 45 से.मी. की दूरी पर लाइनों में करें। बीज से बीज की दूरी 3 से 5 सेमी. रखें। बीज को 3-4 से.मी. से अधिक गहरा नहीं बोना चाहिए।
ज्वार:
ज्वार की बुवाई का सही समय जून के अन्तिम सप्ताह से जुलाई का प्रथम सप्ताह है। एक हैक्टर क्षेत्रफल के लिये 12-15 कि.ग्रा. बीज की आवश्यकता पड़ती है। बुवाई 45 से.मी. की दूरी पर लाइनों में करें। पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेमी. होनी चाहिए।
गन्ना :
आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें व खेत में खरपतवार निकालते रहें। यूरिया की अन्तिम टॉपडेंसिंग न की गई हो तो इस माह अवश्य कर लें। फसल पर मिट्टी चढ़ायें। यदि नमी या वर्षा के बाद पायरिला का प्रकोप दिखाई दे तो तो मैलाथियान 50 ई.सी. की 1.00 लीटर या क्लोरपाइरीफास 20 ई.सी. का 1.50 लीटर को 500-600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
अंगोला बेधक, तना बेधक व जड़बेधक की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 एस.एल का 1500 मिली. दवा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें। पत्ती के भूरा धब्बा रोग की रोकथाम के लिये ब्लाइटाक्स 50 नामक दवा 2-2.5 कि.ग्रा. आवश्यक पानी में मिलाकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
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