पटौदी में 5 साल की दो जुड़वां बच्चियां एक खड़ी कार में दम घुटने से मौत के आगोश में पहुंच गई।
अभी 20 दिन पहले अमेरिका के टेक्सास में भी ऐसा ही हुआ, जब एक शॉपिंग मॉल के बाहर खड़ी कार में दो छोटे बच्चे दम घुटने से दम तोड़ गए और उनकी मां जो खरीददारी कर रही थी, को पता भी नहीं चला।
देश के किसी न किसी शहर में आए माह कोई न कोई ऐसी दु:खद घटना सामने आ ही जाती है। इस तरह की दुर्घटना का शिकार ज्यादातर 10 वर्ष से छोटी आयु के बच्चे हो रहे हैं।
या बहुत छोटे बच्चे जोकि माता-पिता की लापरवाही से गाड़ी में रह जाते हैं। खेलने-कूदने की आयु के बच्चे थोड़े चंचल स्वभाव के होते हैं, जिन्हें व्हीकल पर बैठना, उनमें चढ़ना, हॉर्न बजाना, स्टेरिंग घुमाना जैसे खेल बहुत लुभाते हैं। ये खेल भी बच्चे अक्सर माता-पिता या बड़ों की आंख चुराकर खेलते हैं। बस यही इनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
आजकल गर्मी का मौसम है, तापमान बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है। ऐसे में किसी व्हीकल में बंद हो जाने पर बहुत जल्द दम घुटने लगता है। कारों की बनावट भी ऐसी बना दी गई है कि उनमें बंद बच्चे की चीख-पुकार भी बाहर सुनाई नहीं पड़ती। कारों में दम घुटकर मरने वाले बच्चों की बढ़ रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मां-बाप, कार-कंपनियों एवं सरकार को शीघ्र कोई उपाय खोजना चाहिए।
पहले तो समस्या का हल कंपनीज करें। वह कारों में ऐसी व्यवस्था कर दें कि उनमें किसी का दम नहीं घुट पाए और अंदर बंद होने पर भी पीड़ित को ताजी हवा मिलती रहे। जब तक कार कंपनीज कोई उपाय नहीं करती, तब बड़ों को चाहिए कि वह अपने व्हीकल को खड़ा करते वक्त खिड़की के शीशे एक-आध सेंटीमीटर खुला छोड़ दें।
इससे जहां वाहन चोरी होने का भी डर नहीं रहेगा, वहीं भूलवश यदि उनमें कोई छोटा बच्चा फंस भी जाए, तब उसका दम नहीं घुटेगा और उसकी रोने व चीखने की आवाज भी बाहर सुनाई पड़ सकेगी।
सरकार को चाहिए कि वह इस विषय में अभिभावकों एवं कार निर्माता कंपनियों के लिए निर्देश जारी करे कि वह अपने वाहनों को इस तरह रखें कि कोई दुर्घटना का शिकार नहीं हो। चूंकि कारों में बच्चों के दम घुट जाने की समस्या ज्यादा बड़ी नहीं है, अत: माता-पिता एवं कार निर्माता कम्पनीज जरा-सी सावधानी व उपायों से इस विपत्ति को टाल सकती हैं, जिसे कि हर संभव बहुत जल्द टाला जाए।
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