लंदन की 27 मंजिला इमारत में आग लगने से यहां 6 लोगों की मौत हो गई और 50 के करीब लोग घायल हो गए, बहुतों का अभी पता नहीं चल पाया। यह हादसा एक फ्रिज में आग लगने की वजह से घटित हुआ और पूरी बिल्डिंग जलकर खाक हो गई। भारत में भी इस तरह के कई भीषण अग्निकांड हो चुके हैं, जिनमें भारत ने अपने सैकड़ों नागरिकों को खोया है।
1995 में हरियाणा के कस्बा डबवाली में घटित भीषण अग्निकांड में 400 लोगों की जान गई। 1997 में दिल्ली में उपहार सिनेमा का अग्निकांड में 60 लोग मारे गए। वर्ष 2011 में कोलकाता का एमरी हॉस्पिटल अग्निकांड, जिसमें 90 लोगों की मौत हो गई थी, 2016 में हरियाणा के पानीपत में एक फैक्टरी में आग से 7 लोगों की मौत हो गई थी।
अधिकतर अग्निकांड की मुख्य वजह तकनीकी खराबी या मानवीय भूल ही होती है। डबवाली व उपहार सिनेमा अग्निकांड में आग की वजह यहां मानवीय गलतियां थी, वहीं मरने वालों की ज्यादा संख्या भी मानवीय लापरवाहियां ही थी। अग्निकांड में जानमाल की बड़ी क्षति के मुख्य कारण दुर्घटना स्थल पर अग्निशामकों का नहीं होना, दुर्घटना स्थल पर निकास रास्तों की कमी होना, दुर्घटना स्थल के प्रबंधकों, कर्मचारियों द्वारा दुर्घटना की गंभीरता को न भांप सकना ही बनते हैं।
पिछले माह पंजाब के रामपुराफूल कस्बे में घटित एक बस में आग लगने की घटना में घायलों व मृतकों की संख्या इसलिए बढ़ी, चूंकि ड्राईवर ने यात्रियों की नहीं सुनी और 300 मीटर तक बस को इसलिए दौड़ाता रहा कि वह रेल फाटक बंद होने से पूर्व उसे क्रॉस कर ले। गत सप्ताह मध्यप्रदेश में एक पटाखा फैक्टरी में आग से करीब 20 लोग जिंदा जल गए थे।
ये बड़े हादसे सबक देते हैं कि घनी होती मानवीय बस्तियों में बिना सुरक्षा प्रबंधों के रहना हर पल मौत के साये में रहने जैसा हो गया है। यहां समस्या यह भी है कि दुर्घटना के पश्चात भी आपात सेवाएं लोगों की जान बचा पाने में विफल हो जाती हैं। भारतीय जनमानस की तो सोच ही ऐसी है कि यहां रहने व काम करने की जगह की ही बात होती है, बाकि सुरक्षा प्रबंध, पानी, शौचालय आदि बातों पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है,
जबकि किसी भी बड़ी ईमारत, कारखाना, संस्थान में सुरक्षा प्रबंध, सबसे पहले हों, तत्पश्चात बाकि सुविधाएं एवं निर्माण की बात होनी चाहिए। देशभर में अभी भी लाखों बहुमंजिला इमारतें हैं जो सुरक्षा मानकों को ताक पर रखे हुए हैं। ठीक ऐसे ही करोड़ों नागरिकों को आपदा के समय सुरक्षा की कोई जानकारी नहीं है, जोकि उन्हें दिया जाना बेहद जरूरी है। बड़ी घटनाओं को सदैव एक घटना मानकर नहीं भुलाया जाए, बल्कि उनसे सीख ली जाए कि यदि वह हमारे साथ दोबारा घटित होती है तो हम उससे कैसे बचें।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।