
Bokaro Encounter: बोकारो। झारखंड के बोकारो ज़िले के ललपनिया थाना क्षेत्र स्थित लुगू पहाड़ी में सोमवार की सुबह पुलिस एवं केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की संयुक्त टीम और नक्सलियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई। इस दौरान एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली कमांडर प्रयाग मांझी सहित आठ माओवादी मारे गए। सुबह लगभग साढ़े पाँच बजे शुरू हुई यह मुठभेड़ दिन चढ़ने तक जारी रही। Bokaro News
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मारे गए नक्सलियों में प्रयाग मांझी की पहचान सुनिश्चित हो चुकी है। प्रयाग मांझी भाकपा (माओवादी) संगठन की केंद्रीय समिति का सदस्य था और नक्सली दुनिया में उसे विवेक दा, फुचना, नागो मांझी अथवा करण दा के नाम से जाना जाता था। वह लंबे समय से गिरिडीह की पारसनाथ पहाड़ी और आसपास के जंगलों में सक्रिय था।
सौ से अधिक हिंसक वारदातों से जुड़ा रहा प्रयाग मांझी का नाम
प्रयाग मांझी का नाम झारखंड, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा अंजाम दी गई सौ से अधिक हिंसक वारदातों से जुड़ा रहा है। गिरिडीह जिले में ही उसके खिलाफ पचास से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे। प्रयाग मूल रूप से धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड के दलबुढ़ा गांव का निवासी था। सीआरपीएफ की ओर से जारी किए गए बयान में पहले चार नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि की गई थी, जो बाद में बढ़कर आठ हो गई। मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने घटनास्थल से एक एसएलआर और एक इंसास राइफल बरामद की हैं। राहत की बात यह रही कि इस अभियान में किसी भी पुलिसकर्मी या जवान के घायल होने की खबर नहीं है। Bokaro News
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लुगू पहाड़ी और उसके आसपास के घने जंगलों में सर्च अभियान चला रही
यह मुठभेड़ उस समय शुरू हुई जब सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस की संयुक्त टीम लुगू पहाड़ी और उसके आसपास के घने जंगलों में सर्च अभियान चला रही थी। जंगल में छिपे नक्सलियों ने अचानक पुलिस दल पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। सुरक्षा बलों ने भी पूरी मुस्तैदी के साथ मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई में नक्सलियों को भारी नुकसान पहुँचाया। इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ की ‘कोबरा 209 बटालियन’ और झारखंड पुलिस के जवानों की सक्रिय भूमिका रही।
इस वर्ष झारखंड में अब तक पुलिस और सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कुल 13 नक्सली मारे जा चुके हैं। राज्य पुलिस ने वर्ष 2024 में कुल 244 नक्सलियों को गिरफ्तार किया था, जबकि 24 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का मार्ग चुना। आत्मसमर्पण करने वालों में कई बड़े कमांडर भी शामिल रहे हैं। झारखंड पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक राज्य को पूरी तरह नक्सलवाद मुक्त बना दिया जाए। सुरक्षा बलों की सघन कार्रवाई से नक्सली संगठनों की कमर टूटती नजर आ रही है। Bokaro News