Satellite Based tolling System: नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने उन खबरों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, जिनमें यह दावा किया जा रहा था कि देशभर में 1 मई से सैटेलाइट आधारित टोल वसूली प्रणाली लागू की जाएगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान जारी करते हुए साफ किया कि फिलहाल ऐसी किसी योजना को मंजूरी नहीं दी गई है। Satellite Toll News
Central Government News: मंत्रालय ने जानकारी दी कि कुछ मीडिया संस्थानों ने यह खबर चलाई थी कि मौजूदा फास्टैग आधारित टोल प्रणाली को सैटेलाइट तकनीक पर आधारित नई प्रणाली से बदल दिया जाएगा। इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए मंत्रालय ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) या मंत्रालय की ओर से ऐसी कोई घोषणा या निर्णय नहीं लिया गया है।
एक नई तकनीक पर हो रहा काम | Satellite Toll News
मंत्रालय ने यह भी बताया कि देश के कुछ चुनिंदा टोल प्लाजा पर टोल वसूली को और अधिक सुगम और तेज़ बनाने के लिए एक नई तकनीक पर काम जरूर हो रहा है। इस तकनीक में ‘ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन’ (ANPR) प्रणाली और मौजूदा फास्टैग सिस्टम का संयुक्त प्रयोग किया जाएगा। इसके जरिए वाहनों को टोल प्लाजा पर बिना रुके शुल्क का भुगतान करने की सुविधा मिलेगी। Satellite Toll News
इस तकनीक के अंतर्गत, यदि कोई वाहन चालक टोल शुल्क का भुगतान नहीं करता है, तो उस पर इलेक्ट्रॉनिक नोटिस जारी किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर फास्टैग को निष्क्रिय भी किया जा सकता है। इसके साथ ही नियमानुसार जुर्माना भी लगाया जा सकता है। फिलहाल, भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुल 855 टोल प्लाजा संचालित हो रहे हैं। इनमें से लगभग 675 टोल प्लाजा सरकार द्वारा और शेष निजी कंपनियों के माध्यम से प्रबंधित किए जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में एनएचएआई ने बढ़ती परियोजना लागतों और मरम्मत व्यय को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर टोल शुल्क में औसतन 4 से 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। सरकार ने यह भी दोहराया कि देश में परिवहन सुविधाओं को अधिक आधुनिक और सुविधाजनक बनाने की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे यात्रियों को बिना किसी बाधा के यात्रा का अनुभव मिल सके। Satellite Toll News