दिन-रात नशे में डूबे रहने वाला आज नशा छोड़कर औरों को भी कर रहा प्रेरित
- नम आँखों से माँ बोली: धन हन डेरे सच्चे सौदे दे प्रेमी वीर जिन्हां ने मेरे पुत्त नूं बचा लैया..
ओढ़ां/सरसा (सच कहूँ/राजू)। Depth Campaign: ‘धन हन डेरे सच्चे सौदे दे प्रेमी वीर जिन्हां ने मेरे पुत्त नूं बचा लैया। अज कल इन्नां किसै लई कौण करदा है। जुग-जुग जीवे पिंड दे प्रेमी वीर जिन्हां ने मेरे पुत्त नूं नवीं जिंदगी दे दित्ती।’ नम आँखों ये कहना था बुजुर्ग महिला रणजीत कौर का। रणजीत कौर का बेटा कभी कबड्डी के मैदान में बड़े-बड़े खिलाड़ियों को पटखनी देता था। लेकिन नशे की लत ने उसकी तथा उसके परिवार की जिंदगी नर्क के समान बना दी। उसकी माँ रातभर गलियों में अपने बेटे को ढूंढती फिरती। ऐसा कोई दिन नहीं था जब परिवार ने चैन की रोटी खाई हो। घर में अशांति एवं कलह-कलेश ने डेरा जमा लिया था। Depth Campaign
ऐसे में पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की ‘डेप्थ’ मुहिम उक्त परिवार के लिए आशा की किरण बनी, जिसकी वजह से न केवल इस शख्स की जिंदगी बदल गई बल्कि घर में खुशियां भी लौट आईं। जो शख्स कभी दिन-रात नशे में डूबा रहता था वो स्वयं नशा छोड़ कर औरों को भी नशा छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। इस शख्स से जब ‘सच-कहूँ संवाददाता’ ने बातचीत की तो उसने पूरी दास्तां साझा की।
दरअसल सरसा जिला के गांव देसुमलकाना निवासी करीब 33 वर्षीय बलतेज सिंह एक समय में कबड्डी का नामी खिलाड़ी था। कबड्डी का शौंक उसे बचपन से ही था। कबड्डी में वह बड़े-बड़े खिलाड़ियों को पटखनी दे देता था। बलतेज की गांव में हैयर सेलून की भी दुकान थी। कबड्डी की तरह सैलून के काम में भी उसकी पूरी चर्चा थी। लेकिन करीब एक वर्ष पूर्व वह गलत संगत में पड़कर चिट्टे का इस कदर आदी हुआ कि उसे और कुछ दिखा ही नहीं। बलतेज दिन-रात नशे में डूबा रहता। उसकी दुकान पर जितनी भी आमदन होती उसे वह नशे में उड़ा देता।
घर में परिजनों ने नहीं खाई कभी चैन की रोटी | Depth Campaign
इकलौते बेटे को नशे की गर्त में डूबा देख घर की शांति एवं अमन-चैन सब छिन गया। बलतेज के घर में उसकी पत्नी, 2 मासूम बच्चे व माता-पिता सहित 6 सदस्य हैं। बलतेज की इस लत से उसके परिजन काफी परेशान थे। परिजनों ने कभी चैन की रोटी तो खाई ही नहीं। नशे की लत की वजह से बलतेज का खेल का मैदान व हेयर सैलून भी छूट गया। नशे ने बलतेज की शारीरिक और आर्थिक स्थिति दोनों को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया। परिवार व रिश्तेदार बलतेज को समझा-समझा कर थक चुके थे, लेकिन चिट्टे ने बलतेज को ऐसा वश में कर लिया था कि उसे और कुछ दिख ही नहीं रहा था। उसे सिर्फ अपनी नशे की पूर्ति से मतलब था। बलतेज इस लत के चलते कई बार आत्महत्या तक की कोशिश कर चुका था।
माँ फिरती थी रातभर गलियों में ढूंढती:-
बलतेज सुबह ही अपने साथियों के साथ घर से निकल जाता था। फिर उसका ये नहीं पता था कि वह रात को घर कब आएगा। ऐसे में उसकी माँ रणजीत कौर उसे गलियों में ढूंढती फिरती रहती थी। बलतेज सिंह नशे की लत ने उसकी पत्नी परमजीत कौर को एक ऐसे मुहाने पर ला खड़ा कर दिया जहां उसे ये समझ नहीं आ रहा था वह अपने 2 मासूम बच्चों को कैसे पालेगी। लेकिन उसे दृढ़ निश्चय कर लिया था कि वह न तो घर छोड़कर जाएगी और न कभी हार मानेगी। बलतेज हर रोज यही कहता था कि वह मरना चाहता है। इस डर से उसकी पत्नी रात-रातभर जागकर उसकी देखरेख करती थी।
22 दिन तक स्वयं को कमरे में बंद किए रखा | Depth Campaign
नशा बलतेज को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले चुका था। दिन में 3 हजार रुपये का चिट्टा उसकी डोज थी। परिजनों के साथ-साथ बलतेज स्वयं भी अपनी इस लत से परेशान हो चुका था। लेकिन उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। स्थिति ये हुई कि चिट्टे के बगैर उसके लिए चारपाई से उठना भी मुश्किल हो गया था। बलतेज ने स्वयं को 22 दिन तक कमरे में बंद किए रखा। उसकी पत्नी परमजीत कौर अपनी 2 मासूम बच्चों के साथ दिनभर यही सोचती कि काश कोई ऐसा चमत्कार हो जो उसके घर में खुशियां फिर लौट आए। बलतेज ने बताया कि उसने चिट्टे के नशे में करीब 9 लाख रुपये बर्बाद कर दिए।
फरिश्ते बनकर आए डेरे के सेवादार:-
परमजीत कौर की ईश्वर ने पुकार सुन ली। उसके घर में गांव से डेरा सच्चा सौदा की शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर कमेटी के सेवादार फरिश्ते बनकर आए। उन्होंने बलतेज से मिलकर उसे समझाते हुए पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा नशे के खिलाफ चलाई गई ‘डेप्थ’ मुहिम बारे बताया। सेवादारों ने उससे कहा कि पूज्य गुरु जी की ‘डेप्थस मुहिम से अब तक हजारों लोग नशा छोड़कर सभ्य जिंदगी जी रहे हैं। एक बार वह उनके साथ जरूर चले, साध संगत उसका पूरा सहयोग करेगी। Depth Campaign
सेवादारों के आग्रह पर बलतेज पूज्य गुरु जी के लाइव रुहानी सत्संग में जाने को तैयार हो गया। सत्संग में बलतेज ने नाम-शब्द लेते हुए पूज्य गुरु जी द्वारा नशे के खिलाफ फरमाए गए पावन वचनों को ध्यान से सुना। सत्संग में पूज्य गुरुजी ने जब गुरुमंत्र दिया और नशा न करने का प्रण करवाया तो बलतेज के मन में आत्मविश्वास जगा और उसने नशे को पूरी तरह से अलविदा कह डाला। इस कार्य में गांव देसुमलकाना की साध-संगत बलतेज के साथ खड़ी रही। अब बलेज नशा मुक्त, सुखमय जीवन जी रहा है।
माँ बोली : फिर देखना चाहती हूं खेल मैदान में:-
बलतेज के नशा छोड़ने के बाद घर से गायब हुई शांति एवं अमन-चैन पुन: लौट आया। बलतेज की माँ ने नम आँखों से कहा कि बलतेज को शादी के 7 सालों के लंबे समय बाद मन्नतों से पाया था। इकलौता बेटा नशे में पड़ जाए तो एक माँ के लिए इससे बड़ा और दु:ख क्या होगा। उन्होंने कहा कि डेरा सच्चा सौदा के प्रेमी सेवादारों ने उसके बेटे को बचा लिया। धन्य है पूज्य गुरु जी और उनके सेवादार जो लोगों के घरों में खुशियां लौटा रहे हैं। आज के समय में कौन किसी के लिए इतना करता है। पूरे परिवार ने नम आँखों से यही कहा कि जुग-जुग जीये प्रेमी सेवादार।
जिन्होंने उनके घर में फिर से खुशियों का चिराग जला दिया। उसकी माँ ने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि वह अपने बेटे बलतेज को फिर से खेल के मैदान में देखना चाहती है। बलतेज ने अपनी माँ को आश्वस्त किया कि वह फिर से अपना खोया सम्मान वापस लाएगा। बलतेज की पत्नी परमजीत कौर ने अपने दोनों मासूम बच्चों के साथ हाथ जोड़कर पूज्य गुरु जी व पूरी साध-संगत का धन्यवाद व्यक्त किया।
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