Business News: मुंबई (एजेंसी)। बाजार विश्लेषकों के अनुसार भारतीय सामानों पर अमेरिका में 25 प्रतिशत की दर से जवाबी प्रशुल्क लगाने की कार्रवाई का देश के कुल कार और मोटरसाइकिल निर्यात पर असर सीमित रहने का अनुमान है कि क्योंकि भारत से अमेरिकी बाजार में इनका निर्यात सीमित है। पर अमेरिका की शुल्क कार्रवाई का विशेष रूप से भारत के उन टीयर टियर-1 और टियर-2 वाहन कल-पुर्जा निर्यातकों के लिए चुनौती पैदा कर सकती है जो राजस्व के लिए अमेरिका पर अधिक निर्भर हैं।
विश्लेषकों के अनुसार अमेरिका में आयात शुल्क बढने पर इन निर्यातकों का माल कीमत की दृष्टि से कम प्रतिस्पर्धी बनाकर खतरा पैदा कर सकता है। टीयर-1 अपूर्तिकर्ता मूल उपकरण निमार्ताओं को सीधे आपूर्ति करते हैं जबकि टीयर-2 आपूर्तिकर्ता टीयर-1 आपूर्तिकतार्ओं को माल देते हैं।
भारतीय वाहन विनिमार्ताओं के लिए निर्यात बाजार महत्वपूर्ण होता जा रहा है। इस मुद्दे पर एक विश्लेषण रिपोर्ट में विंडमिल कैपिटल के स्मॉलकेस मैनेजर और सीनियर डायरेक्टर नवीन केआर ने कहा है कि भारत ने 2024 में लगभग 6.7 लाख वाहनों का निर्यात किया, जिसमें अब निर्यात कुल घरेलू आॅटोमोटिव बिक्री का 15-16 प्रतिशत है। उन्होंने कहा है कि मारुति सुजुकी और किआ मोटर्स जैसी आॅटोमेकर्स एक प्रमुख विकास रणनीति के रूप में निर्यात पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
विश्लेषणों के अनुसार भारत से वाहनों का ज्यादातर निर्यात पहले अफ्रीका, लातीनी अमेरिका और दक्षिण एशिया के बाजारों में जाता था। अब भारतीय वाहन विनिमार्ता जापान जैसे विकसित बाजारों तक पहुंच रहे हैं, जो उनकी बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता को दशार्ता है। विंडमिल कैपिटल के श्री नवीन के अनुसार भारतीय वाहन निर्यातकों के लिए अमेरिका में निर्यात जोखिम अपेक्षाकृत कम है क्योंकि वहां भारत का निर्यात सीमित रहता है। संयुक्त राष्ट्र कॉमट्रेड के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2023 में अमेरिका को केवल 3.71 करोड़ डालर मूल्य की मोटर कार और वाहनों का निर्यात किए।
उनका कहना है कि अमेरिकी बाजार पर इस सीमित निर्भता को देखते हुए भारतीय वाहन निर्यातओं पर अमेरिकी प्रशुल्क कार्रवाई का सीधा प्रभाव सीमित रहने की संभावना है। उन्होंने कहा है कि भारत की बढ़ती व्यापार साझेदारी – जिसमें आॅस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के साथ हाल ही में मुक्त व्यापार समझौतों ने – भारतीय निर्यातकों के लिए नए बाजार खोल रहे हैं और देश के वाहन और वाहन कल पुर्जों के निर्यात की गति को और बढ़ाने की उम्मीद है।
इस विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में नए शुल्कों के लगने का प्रभाव विशेष रूप से टाटा मोटर्स के स्वामित्व वाली जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) जैसी विदेशी लक्जरी कार निमार्ताओं को जरूर पड़ सकता है। नवीन के अनुसार 25 प्रतिशत अमेरिकी आयात शुल्क भारतीय आॅटो एंसिलरी निर्यात को कम कीमत-प्रतिस्पर्धी बनाकर, उनके लिए खतरा पैदा कर सकता है। इससे खासकर ऐसे टियर-1 और टियर-2 आपूर्तिकतार्ओं के लिए जोखिम ज्यादा है जो अपनी बिक्री आय के लिए अमेरिका पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
उनका मानना है कि भारत में वाहनों के कल पुर्जे के आयात पर शुल्क 5-15 के दायरे में है जो अपेक्षा कृत कम है। इस परिदृश्य में अमेरिकी जवाबी आयात शुल्क की कार्रवाई के बावजूद वहां भारतीय आटो ऐंसिलरी (कल पुर्जा ) निर्यातक मूल्य के हिसाब से प्रतिस्पर्धा में मजबूत बने रह सकते हैं। विश्लेषण में कहा गया है कि भारतीय आपूर्तिकर्ता अमेरिकी बाजार में जवाबी प्रशुल्क के बाद भी मैक्सिको या चीन जैसे उन देशों के निर्यातकों की तुलना में लागत प्रभावी बने रह सकते हैं, जहाँ भू-राजनीतिक कारकों के कारण लागत संरचना का अनुमान प्राय: घटता-बढ़ता रहता है।