पंच गौरव से धनिया उत्पादन को मिलेगी संजीवनी

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Kota News: पंच गौरव से धनिया उत्पादन को मिलेगी संजीवनी

उन्नयन, संवर्द्धन, प्रशिक्षण के लिए होंगी विशिष्ट गतिविधियां

  • एक जिला-एक उपज: धनिया

कोटा (सच कहूँ न्यूज़)। Kota News: हाडौती राजस्थान में धनिया उत्पादन में सबसे आगे है। राज्य में पैदा होने वाले धनिये का लगभग 95 प्रतिशत क्षेत्रफल का उत्पादन हाडौती क्षेत्र से ही आता है। राजमगंजमण्डी राजस्थान ही नहीं विश्व की सबसे बडी धनियां मण्डी है। लेकिन धनियां फसल के क्षेत्रफल एवं उत्पादन पर विगत वर्षों में मौसम की प्रतिकूल दशाओं, कीट-व्याधि के प्रकोप, बाजार भाव स्थितियांे से विपरीत प्रभाव पडा है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई पंच गौरव योजना में धनिया को ‘‘एक जिला-एक उपज’’ में सम्मिलित किया जाना इस उपज को संजीवनी मिलने जैसा है। पंच गौरव योजना में चयनित उपज को विशेष दर्जा देते हुए इसके संरक्षण, उन्नयन और संवर्द्धन की दिशा में सुनियोजित कार्य किया जाएगा।

राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सर्वांगीण विकास को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक जिले की क्षमता एवं क्षेत्र विशेष में विशिष्टता के आधार पर उत्पादों/स्थलों का चयन कर उसके संरक्षण, संवर्धन एवं विकास के माध्यम से जिले को एक मजबूत सांस्कृतिक एवं आर्थिक पहचान देने के उद्देश्य से पंच गौरवों का निर्धारण किया गया है। विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से आर्थिक उन्नति एवं रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी कर विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा पंच गौरव कार्यक्रम। कोटा जिले मंे एक उपज के तौर पर धनिया का चयन किया गया है। योजना के अन्तर्गत चयनित उपज की गुणवता, विपणन क्षमता में सुधार एवं निर्यात में वृद्धि के प्रयास होंगे। स्थानीय क्षमताओं का संवर्धन कर स्थानीय रोजगार सृजन से किसानों के सम्बलन और जिले से प्रवास को रोकने में भी यह योजना मददगार बनेगी। उपज के वैज्ञानिक व व्यावसायिक प्रयोगों को बढ़ावा देने की दिशा में भी ठोस कार्य होगा।

स्वाद ही नहीं, सेहत के लिए भी वरदान है धनिया | Kota News

बीजीय मसालों में धनिये का प्रमुख स्थान है। इसका प्रयोग भोजन को सुगन्धित व स्वादिष्ट तो बनाता ही है,औषधीय गुणों का भी यह भंडार है। यह दानों एवं पत्तियों दोनों रूप में उपयोग किया जाता है। वाष्पशील तेल, ओलिरेजिन आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसके प्रयोग से महत्वपूर्ण मूल्य संवर्धित उत्पाद भी बनाए जाते हैं।

औषधीय महत्व की बात करें तो धनियें में शर्करा, प्रोटीन व विटामिन ए, सी, के, पौटेशियम, कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम जैसे पौषक तत्व बहुतायत में पाए जाते हैं।

धनियां बीज में वाष्पशील तेल की मात्रा 0.1 से 0.7 प्रतिशत तक होती है जो कि औषधीय रूप में प्रयोग किया जाता है। धनिये की सुगन्ध इसमे उपस्थित तेल के कारण ही होती है। जिसका उपयोग पाचन में सुधान, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में, संक्रमण से लडने और हृदय स्वास्थ्य को बढावा देने में मदद करने के लिए किया जाता है। धनिये के बीज आयरन का एक समृद्ध स्त्रोत है, जो एनीमिया को रोकने में मदद करते हैं। धनिया की पंजीरी, धनिया बरफी और लड्डू जैसे उत्पाद स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ विकल्प के तौर पर उभर रहे हैं। इसी तरह के मूल्य संवर्द्धित उत्पाद धनिया उत्पादन को नई दिशा दे सकेंगे। किसानों की आय मंे वृद्धि से समृद्धि का द्वार भी खोलेंगे। Kota News

पंच गौरव में बनेगी सुनियोजित कार्ययोजना

पंच गौरव कार्यक्रम में धनिया उपज को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि एवं उद्यानिकी विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता मंे तथा जिला स्तर पर कलक्टर की अध्यक्षता में गठित समितियों के माध्यम से मार्गदर्शन, बजट, विकास की कार्ययोजना, सामुदायिक भागीदारी, क्षमता वर्द्धन, बाजार तकनीकों का प्रशिक्षण इत्यादि के क्षेत्र में चरणवार कार्य किया जाएगा। जिला स्तर पर एमपी एमएलए फंड, सीएसआर, स्वयं सहायता समूह आदि के माध्यम से तथा विभागीय योजनाओं के कन्वर्जेंस से इस उपज के संवर्द्धन के लिए कार्य किए जा सकेंगें। संग्रहण, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, प्रसंस्करण, सप्लाई चेन, बाजार एवं नई प्रोद्योगिकी से जुडाव इत्यादि के लिए योजनाबद्ध कार्य हो सकेंगे।

धनिया फसल प्रोत्साहन के प्रयास | Kota News

फसलोत्तर प्रबन्धन अन्तर्गत धनियां के शीतगृह भण्डारण हेतु राज्य स्तर से विभागीय अनुदान सहायता 35 प्रतिशत राशि का प्रावधान है जिसमें 135.49 लाख रू. से पात्रों को लाभान्वित किया गया है। राजीविका द्वारा निर्मित स्वयं सहायता समूह तथा कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। धनियां फसल रबी में उन्नत शस्य क्रियाओं हेतु प्रदर्शन, पौध संरक्षण उपचार 50 प्र्रतिशत अनुदान तथा समन्वित पौषक तत्व प्रबन्धन किट 75 प्रतिशत अनुदान पर कृषकों को उपलब्ध कराए गए हैं।

पंच गौरव अन्तर्गत गत दिनों पंच गौरव प्रदर्शनी का आयोजन महाराव उम्मेदसिंह स्टेडियम, कोटा एवं चम्बल रिवर फ्रंट शौर्य घाट पर किया गया जिसमें धनियां की किस्मों, उत्पादों की प्रदर्शनी, साहित्य का वितरण कर प्रचार-प्रसार किया गया।

धनियां फसल को बढावा दिये जाने हेतु राष्ट्रीय बागवानी मिशन दो दिवसीय सेमीनार एवं प्रत्येक ब्लॉक पर किसान मेलों का आयोजन कर तकनीकी से आत्मनिर्भर किसान हेतु प्रयास किये गये है।

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