नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। महा प्रतापी राणा सांगा के बारे में राज्यसभा में समाजवादी पार्टी (सपा)के सदस्य की अपमानजनक शब्दावली का मामला गुरुवार को लोकसभा में उठा और इसकी कड़ी निंदा की गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्य तथा महाराणा प्रताप के बंश की बहू महिमा कुमारी ने शून्यकाल में यह मामला उठाया और कहा कि राणा सांगा के बारे में सपा के सांसद ने बहुत ही हल्के शब्दों का इस्तेमाल किया है। उनकी बहादुरी के बारे में किसी के प्रमाण की जरूरत नहीं है। उन्होंने दो बार इब्राहिम लोधी को हराया था और बाबर को भी एक बार धूल चटाई थी। वह कई युद्ध लड़े थे और उनके शरीर पर असंख्य गहरे घाव थे। उन्होंने सपा सदस्य के शब्दों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि जब उन्हें जानकारी नहीं थी तो,इस बारे में बोलने की जरूरत ही नहीं थी। उनका यह भी कहना था कि देश की इस महान विभूति पर उठे सवाल को लेकर सदन में ही विरोध किया जाना चाहिए था।
भाजपा के चंद्र प्रकाश जोशी ने भी इस मुद्दे को उठाया और कहा कि राणा सांगा का मामला सिर्फ राजस्थान नहीं बल्कि पूरे देश का मामला है। यह पूरे देश के सम्मान का मामला है और महान देशभक्त राणा सांगा ने दो युद्ध लड़े और दोनों युद्ध बहादुरी से जीते। तुष्टीकरण के कारण उनके खिलाफ बयान दिए जा रहे हैं। यह शर्मनाक औ अत्यंत निंदनीय है।
भाजपा के रमेश अवस्थी ने कानपुर में बंद मिलों का मामला उठाया और कहा कि कानपुर देश के पांच बड़े शहरों में शामिल है। कानपुर के बीचोंबीच कई मिलें बंद पड़ी हैं और खंडहर पड़ी हुई है। इन मिलों में कर्मचारियों का संकट बहुत बढ़ गया है, इसलिए इनको चालू कराया जाना चाहिए और वहां जो कर्मचारी हैं उन्हें उनका हक मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि कानपुर उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण शहर है और वहां बंद पड़ी मिले पूरे शहर के लोगों को चिढाती हैं ये मिले कानपुर के माथे पर कलंक हैं। इनमें से जो मिले चालू हो सकती हैं सरकार को इन मिलों को दोबारा शुरू कराना चाहिए। यह मेरा आग्रह है। अंग्रेजों के जमाने में इसे मेनचेस्टर भी कहा जाता था। इस शहर के महत्व को देखते हुए सरकार इन मिलों को दोबारा चालू कराए।
भाजपा के प्रवीण पटेल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के घर पर मिले नोटों के बंडल का मुद्दा उठाया और कहा कि उनके खिलाफ जब मामला सामने आया तो न्यायाधीश का स्थानांतरण इलाहाबाद कर दिया गया। इससे चारों तरफ से निराशा का माहौल पैदा हुआ है और उसी का परिणाम है कि इलाहाबाद में उनका स्थानांतरण होने का इलाहाबाद बार एसोशिएशन तथा 30 जिलों के अधिवक्ताओं ने जबरदस्त विरोध किया और वे आंदोलन कर रहे हैं। लोगों का भरोसा टूटा है और इस विश्वास को बहाल करने के प्रयास होने चाहिए।