Earth News: धरती के नीचे छुपा पाताललोक, क्या है 100 मील नीचे की रहस्यमयी दुनिया?

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Earth News: धरती के नीचे छुपा पाताललोक: क्या है 100 मील नीचे की रहस्यमयी दुनिया?

Earth News: अनु सैनी। पाताललोक के बारे में आपने बहुत सुना होगा, यह एक ऐसा स्थान है जो कथाओं और मिथकों में ज़रूर आता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि धरती के नीचे सच में ऐसी कोई जगह हो सकती है? वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसा रहस्य उजागर किया है जो इस विचार को और भी दिलचस्प बनाता है। वे धरती के अंदर गहरे स्थानों का अध्ययन कर रहे हैं, और अब उन्होंने 100 मील नीचे की धरती के अंदर एक नई परत की खोज की है, जो एक तरह से पिघली हुई चट्टानों जैसी प्रतीत होती है। इस खोज से धरती के अंदर छुपी हुई रहस्यमयी दुनिया के बारे में हमें नया ज्ञान मिल सकता है।

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धरती के भीतर क्या है? Earth News

धरती का स्वरूप कई रहस्यों से भरा हुआ है, और इससे जुड़ी जिज्ञासाएँ प्राचीन काल से चली आ रही हैं। विभिन्न धर्मों और पौराणिक कथाओं में धरती के नीचे एक अदृश्य और रहस्यमयी दुनिया का वर्णन मिलता है, जिसे पाताललोक कहा जाता है। हालांकि, यह सब सिर्फ कल्पना और मिथक तक सीमित था, परंतु अब विज्ञान की मदद से हम इस रहस्य का थोड़ा सा हल खोलते हुए, धरती के अंदर के गहरे हिस्से के बारे में और अधिक जानने के करीब पहुँच गए हैं।

वैज्ञानिकों ने अब तक की खुदाई और अनुसंधानों से धरती के अंदर की संरचना के बारे में कई तथ्य सामने लाए हैं। उन तथ्यों के अनुसार, पृथ्वी की सतह से लगभग 100 मील (160 किलोमीटर) नीचे एक नई परत का पता चला है, जिसे एस्थेनोस्फीयर कहा जाता है। यह परत पिघली हुई चट्टानों की बनी है, जो धरती के ऊपरी मेंटल के अंदर स्थित है। यह परत लगभग 44 प्रतिशत भाग में फैली हुई है, और यह ग्रह के भीतर होने वाली टेक्टोनिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

एस्थेनोस्फीयर: पृथ्वी के आंतरिक संरचना का अहम हिस्सा

नए शोध के अनुसार, यह पिघली हुई चट्टानों वाली परत एक चिपचिपे पदार्थ की तरह प्रतीत होती है, जिसका मुख्य कारण इसकी भौतिक संरचना और रासायनिक गुण हो सकते हैं। यह परत पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों के नीचे स्थित होती है और इसके चलते प्लेटों के आंदोलन में भी मदद मिलती है। टेक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जुनलिन हुआ ने इस खोज पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पिघली हुई चट्टान की संरचना से वैज्ञानिकों को कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिल सकती हैं, जो आगे आने वाले अनुसंधानों के लिए नई दिशा तय कर सकती हैं।

वैज्ञानिकों का नया दृष्टिकोण | Earth News

टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह नई खोज काफी महत्वपूर्ण बताई है। इस शोध के सह-लेखक थॉर्स्टन बेकर ने कहा कि एस्थेनोस्फीयर की संरचना और इसके प्रभाव का अध्ययन करने से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आंतरिक हिस्से को समझने में मदद मिलेगी। यह अध्ययन विशेष रूप से भूवैज्ञानिकों को मदद करेगा क्योंकि इससे उन्हें यह जानने में सहायता मिलेगी कि धरती के अंदर की गतिविधियाँ किस प्रकार से प्लेट टेक्टोनिक्स और भूकंपों को प्रभावित करती हैं।
इस खोज ने उन प्रश्नों का समाधान ढूंढने का मौका दिया है, जो लंबे समय से वैज्ञानिकों के मन में थे, जैसे कि पृथ्वी के अंदर क्या हो रहा है और वहां पर कौन सी गतिविधियाँ हो रही हैं।

भूकंपों के अध्ययन से खुली नई जानकारी

हाल ही में तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप ने वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आंतरिक हिस्से का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। भूकंप के बाद, वैज्ञानिकों ने धरती के अंदर की छवियों और संरचनाओं का अध्ययन करना शुरू किया, और इसी दौरान उन्हें पृथ्वी के आंतरिक भाग में एक नई परत का पता चला। इस नई परत का अध्ययन करके वैज्ञानिक अब यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि धरती के अंदर क्या हो रहा है और इसका प्रभाव पृथ्वी की सतह पर कैसे पड़ता है।

नई खोज का महत्व

वैज्ञानिकों की इस नई खोज का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है क्योंकि इससे पहले ही एक और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई थी कि पृथ्वी के आंतरिक कोर का घूर्णन धीरे-धीरे धीमा हो रहा है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भविष्य में पृथ्वी पर दिन की लंबाई में बदलाव हो सकता है। इस प्रकार, यह नई खोज इस बात की पुष्टि करती है कि धरती के अंदर हो रही गतिविधियाँ न केवल पृथ्वी के भूगोल को प्रभावित करती हैं, बल्कि हमारे जीवन पर भी इसका असर पड़ सकता है।

धरती के भीतर छुपे हुए रहस्यों की खोज अब विज्ञान के लिए एक नया अध्याय बन चुकी है। हालांकि, पाताललोक का क्या वास्तविक अस्तित्व है, इसका तो कोई ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों की यह नई खोज निश्चित ही हमारे ग्रह की गहरी और रहस्यमयी संरचनाओं को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है। भविष्य में इस प्रकार के अनुसंधान से हमें न केवल पृथ्वी के अंदर की गतिविधियों के बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है, बल्कि इससे जुड़े अन्य प्राकृतिक घटनाओं को भी हम बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।