पूज्य गुरुजी के बताए टिप्स अपनाकर ट्रायल तौर पर की खेती, हुई भरपूर पैदावार
- डेढ़ किलो वजनी आलू के बाद अब बड़े साइज और सूर्ख रंग की स्ट्रॉबैरी (Strawberry) से चर्चाओं में हैं मौजपुर धाम
- डेढ़ किलो वजनी आलू के बाद अब बड़े साइज और सूर्ख रंग की स्ट्रॉबैरी से चर्चाओं में हैं मौजपुर धाम
श्रीगंगानगर (सच कहूँ/लखजीत सिंह)। Strawberry: एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केन्द्र, मौजपुर धाम, बुधरवाली इन दिनों अपने कृषि उत्पादों को लेकर खूब चर्चाओं में हैं। डेढ़ किलो वजनी आलूओं के बाद अब बुधरवाली दरबार की आर्गेनिक स्ट्रॉबैरी सबका मन मोह रही है। हालांकि स्ट्रॉबैरी ट्रायल के तौर पर लगाई गई है और मात्र आठ फुट बाई 30 फुट एरिया में ही लगाई गई है। बिना खाद और स्प्रे के तैयार स्ट्राबेरी का साइज, रंग और स्वाद सबका मन मोह रहा है।
बुधरवाली दरबार के जिम्मेवार बंता सिंह इन्सां व मानक इन्सां ने बताया कि राजस्थान का मौसम स्ट्रॉबैरी (Strawberry) की खेती के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। इसके लिए ठंडा मौसम चाहिए। हमने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा बताए खेतीबाड़ी टिप्स अपनाकर स्ट्रॉबैरी की खेती ट्रायल के तौर पर करने का निर्णय लिया और पूज्य गुरुजी के आशीर्वाद से फसल भी भरपूर हुई। उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबैरी पूरी तरह आर्गेनिक है और इसमें खाद और स्पे्र का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया गया है।
पूज्य गुरु जी को कृषि सैक्टर में नए उपयोगों के लिए कई अवार्ड भी मिले हैं। पूज्य गुरुजी ने कृषि में पानी के सीमित इस्तेमाल पर भी विशेष जोर दिया। ड्रिप सिस्टम, वाटर रीयूज आदि तरीकों से सीमित पानी में फसलें लेने का तरीका बताया। किसानों को आॅर्गेनिक खेती के साथ साथ नवीनतम जानकारियां देने के लिए पूज्य गुरु जी ने कई कृषि मेले लगाए हैं, जिनमें देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक अपने विचार रखने आए हैं।
खेतीबाड़ी के विशेषज्ञ हैं पूज्य गुरु जी
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां खेतीबाड़ी के विशेषज्ञ हैं और वह बचपन से ही कृषि कार्यों से जुड़े हुए हैं। खेती के पुराने और आधुनिक तरीकों में सामंजस्य बैठाकर पूज्य गुरु जी एक जमीन पर एक साथ कई फसलें उगा चुके हैं। इसके साथ ही सरसा स्थित शाह सतनाम शाह मस्तान जी धाम, डेरा सच्चा सौदा में भी पूज्य गुरुजी ने अपने बेमिसाल कृषि विशेषज्ञता की बदौलत सेब, बादाम, चीकू आदि ऐसी फसलों के पौधे लगाकर उनसे फल हासिल किए, जो सरसा की धरती पर उगने ही असंभव थे।
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