क्ले मॉडलिंग, पेंटिंग से कलाओं को मूर्त रूप देती है 9वीं कक्षा की मानसी
- मां की परांत से गूंथा आटा लेकर कला का रूप देने वाली मानसी आज क्ले मॉडलिंग में महारत हासिल
गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा)। Gurugram News: मानसी…जिसकी कला का हर कोई कद्रदान है। शौक-शौक में मानसी कला में इतनी महारत हासिल हो चुकी है कि वह मिनटों में ही मिट्टी को बेहतरीन कला का आकार देकर उसे जीवंत बना देती है। मां की परांत से गूंथा आटा लेकर उसे कलाकृतियों का आकार देना सीखने वाली मानसी आज कला के क्षेत्र में महारत हासिल कर चुकी है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर छात्रा मानसी ने महिलाओं को समर्पित कलाकृतियां प्रदर्शित की। 9वीं कक्षा की छात्रा मानसी पुत्री अशोक कुमार एवं सुनीता देवी अपने पैतृक गांव नौरंगपुर में ही जय भारती पब्लिक स्कूल में पढ़ती है। Gurugram News
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की सोच को आगे बढ़ाते हुए परिवार बेटियों को अच्छी शिक्षा देने की सोच के साथ उन्हें पढऩे के लिए सदा प्रेरित करता है। उनकी बेटी मानसी ने भले ही 9वीं कक्षा की परीक्षा दी हो, लेकिन कला के प्रति उनका लगाव बचपन से ही है। क्ले मॉडलिंग (मिट्टी से खिलौने बनाना), कूची से कागज पर कलाकृतियां उकेरकर उन्हें आकर्षक पेंटिंग का रूप देना अब मानसी के हाथों से कठपुतली के नाच जैसा हो गया है। वह चंद मिनटों में ही कला की बेहतरीन नमूना तैयार कर देती है। मानसी को विद्यालय में भी उसकी रुचि के अनुसार अपनी कला को निखारने का अच्छा माहौल मिला तो वह कला में और निखरती गई।
जो कलाकृतियां बड़े-बड़े कलाकार डाई के माध्यम से तैयार करते हैं, वैसी कलाकृतियां मानसी अपने दिमाग की उपज से मिट्टी पर अपनी नन्हीं उंगलियों से बना देती है। स्कूल में चाहे साथ पढऩे वाले बच्चे हों या फिर उसके टीचर, हर कोई मानसी की कला की सराहना करता है। एक तरह से मानसी माटी की नन्हीं कलाकार कही जा सकती है। क्योंकि कला के प्रति उसकी सोच विशाल है। हाथों में कलाकृतियां तैयार करने का जादू है। मन में उत्साह भी है। क्योंकि बिना उत्साह के तो कोई काम किया ही नहीं जा सकता।
बेटियों को अच्छी शिक्षा देने का पक्षधर है परिवार | Gurugram News
मीडिया संस्थान से जुड़े मानसी के पिता अशोक कुमार सिर्फ परिवार ही नहीं, बल्कि समाज में भी बेटियों को पढ़ाने पर जोर देते हैं। लोगों की काउंसलिंग भी करते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा का दान ही ऐसा है, जिसे कोई छीन नहीं सकता। इसे जितना खर्च करेंगे उतना बढ़ेगा। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हर महिला को शुभकामनाएं देते हुए वे कहते हैं कि हमारी संस्कृति में नारी सम्मान भी श्रेष्ठ है। नारी के रूप में बेटियां जीवन में रंग बिखेरती हैं। दो घरों को रोशन करने वाली बेटियों को शिक्षित करने के लिए वे हर किसी को जागरुक करते हैं।
उनकी प्रभावशाली बातों से समाज में बहुत से लोगों के जीवन में बदलाव भी आया है। वे चाहते हैं कि जिस घर में बेटी हैं, वे परिवार बेटियों के सपनों को पंख लगाने में मदद करें। जिन घरों में बेटियां नहीं हैं, वे अपने आसपास, रिश्तेदारी में बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए सहयोगी बनें। यह मायने नहीं रखता कि हम किसी की आर्थिक मदद करें तभी कुछ होगा। हम किसी के अंदर से कोई नकारात्मकता भी खत्म करते हैं तो वह भी बड़ा काम होगा।
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