रात ढलते ही सड़कों से निकलने लगते है खनिज सामग्री से भरे वाहन
खिजराबाद (सच कहूं/राजेन्द्र कुमार)। Khizrabad News: अवैध खनन सामग्री से भरे वाहनों को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा लगाए गए नाकों की हालत ऐसी है कि सांप भी मर जाए ओर लाठी भी न टूटे। दिन हो या रात अवैध खनिज सामग्री से भरे वाहन आसानी से माइनिंग जोन से निकल कर शहर में जा रहे हैं। ट्रैक्टर-ट्रालियों से लेकर बड़े वाहन आसानी से गांवों के दूसरे रास्तों से गुजर जाते है, कई जगह तो नाकों पर कोई रोकता टोकता तक नहीं है, खनन विभाग में बिना रजिस्ट्रेशन कराए कोई भी वाहन खनन सामग्री का परिवहन नहीं कर सकता, मगर आखिर कितनी ट्रैक्टर-ट्रालियों का रजिस्ट्रेशन हुआ होगा, जो सारा दिन पत्थर व रेत-बजरी से भर का सड़कों पर दौड़ती है, यमुनापोस्ट ने ग्राउंड में जाकर नाकों का जायजा लिया तो बहुत सारी कमियां देखने को मिली। Yamunanagar News
बल्लेवाला क्रशर जोन का पहला ओर सबसे महत्वपूर्ण नाका हर्बल चौक भूड़ नाके के नाम से लगा हुआ है। पहले इसे भूड़कलां चौक के समीप लगाया गया था, मगर थोड़े ही दिन में इसको यहां से हटाकर यहां से काफी आगे एचपीजीसीएल के आफिस के सामने लगा दिया गया, हालांकि वहां पर काफी सख्ती दिखाई देती है मगर नाके की साइट चेंज होने बहादुरपुर, डेकडीवाला से ताजेवाला के अलावा मांडेवाला की ओर व देवधर की ओर जाने वाले लगभग सारे रास्तों को खुला छोड़ दिया गया, यानी बहादुरपुर में होने वाले अवैध खनन से आने वाली सामग्री आसानी से क्रशर जोन में जाती है दूसरा जोन से आने वाले वाहन आसानी से बहादुरपुर के रास्ते होकर गांव से निकल जाते है।
डेकडीवाला से होकर वन विभाग के जंगल को क्रास कर लालटोपी वाले रास्ते से होता हुआ ताजेवाला पहुंचा जा सकता है, वहां से वाहन सीधा बांबेपुर से होकर खिजरी रोड पर निकल जाते हैं ओर वहां से लेदी व बिलासपुर रुट का इस्तेमाल होता है। यानी इस नाके को आगे खिसकाने से पूरा भूडकलां चौक अवैध खनिज से भरे वाहनों के परिवहन के लिए खाली रहता है। दूसरा नाका जो देवधर में होना चाहिए, हालांकि लगाए गए नए नाकों की लिस्ट में इसका नाम नहीं है, मगर बताया जाता है कि यहां पर भी कर्मचारियों की डयूटी है, यहां पर बल्लेवाला-बेलगढ़ से आने वाले किसी वाहन को नहीं रोका जाता, यहां से वाहन वाया बेगमपुर होते हुए जयधरी पुल के नाके को क्रास कर आसानी से छछरौली निकल जाते है, जयधरी नाके पर कर्मचारी दूर नहर की पटरी पर बैठे होते हैं यहां कभी किसी वाहन को नहीं रोका जाता, पूरे जोन के खनिज परिवहन का यह आसान रुट है, यहां से वाहन सीधा छछरौली नाके को क्रास कर जाते हैं।
छछरौली में भी किसी वाहन को नहीं रोका जाता, यहां तो पता ही नहीं चलता कि नाका कहां पर है। एक रास्ता बेलगढ़ से यमुना के बीच होता हुआ भीलपुरा- लाकड़ से निकलता है ओर नत्थनपुर से होकर आसानी से वाहन यहां से गुजर जाते हैं। इसके अलावा इब्राहिमपुर के अलावा ताहरपुर चौक के नाके से तो कभी भी वाहन निकलते देखे जा सकते हैं। इस एरिया में तो वैसे भी दूसरे वाहनों की आवाजाही व अधिकारियों का आना जाना नहीं होता, इसलिए आसानी से वाहन निकल जाते हैं। रणजीतपुर एरिया में मुगलवाली चौक के नाका भी केवल नाम है, इस एरिया में दिन के समय ही खनिज सामग्री से भरी बिना नंबर की ट्रैक्टर-ट्रालियां गुजरती है। शाम ढलते ही रणजीतपुर का पूरा एरिया जिसमें धनौरा, भटटूवाला, शेरगढ़, रानीपुर से खनिज सामग्री से भरे वाहनों का निकलना शुरु हो जाता है। Yamunanagar News
खनन विभाग में रजिस्ट्रेशन न कराने वाले वाहनों को बिल जारी नहीं होता, मगर बिना नंबर प्लेट के वाहन खनिज सामग्री को आखिर कैसे ढो रहे हैं
खनन विभाग ने इतने सख्त नियम बना रखे हैं कि परिंदा भी पर न मार सके, मगर इन नियमों का वह खुद पालन नहीं कराते। जो वाहन खनिज सामग्री को लेकर निकलते है उनमें अधिकतर की नंबर प्लेट ही नहीं होती, अगर होती है तो उसको मिटटी या ग्रीस लगाकर छिपाया गया होता है। इसमें भी अधिकतर ट्रैक्टर-ट्रालियां होती है। खनन विभाग के एक नियम के अनुसार जिस भी वाहन को खनिज सामग्री का परिवहन करना होता है
उसका पहले खनन विभाग की साइट पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है, अब सवाल है कि कितने वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। जो ट्रैक्टर-ट्राली कर्मिशयल में रजिस्टर्ड है उसको ही ई-रवाना जारी होता है अब यह सबको पता है कि कितनी ट्रैक्टर-ट्राली कर्मिशयल कार्य के लिए रजिस्टर्ड है, यानी यह पूरा फर्जीवाड़ा ही चल रहा है। ऐसे में ट्रैक्टर-ट्रालियां आखिर कैसे खनिज सामग्री का परिवहन कर रही है। Yamunanagar News
खनन अधिकारियों से बात करनी हो तो वह फोन नहीं उठाते क्योंकि न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी, यानी न किसी की शिकायत या सूचना न सुनो न ही कार्रवाई करनी पड़े।
यह भी पढ़ें:– Robber Arrested: चाकू दिखाकर रेहड़ी संचालक से लूट करने का आरोपी गिरफ्तार