मोहाली की अदालत ने सुनाई सजा, 31 जनवरी को दिया था दोषी करार
Fake Encounter Case: चंडीगढ़ (सच कहूँ/अश्वनी चावला)। फर्जी एनकाऊंटर करने के आरोप में मोहाली की सीबीआई अदालत ने 2 पूर्व पुलिस इंस्पैक्टर प्रशोतम सिंह व एसई गुरभिन्दर सिंह को उम्र कैद की सजा सुनाई है। इन दोनों आरोपियों को 31 जनवरी को इसी अदालत द्वारा दोषी करार दिया गया था, जबकि इनको सजा मंगलवार को सुनाई गई है। Fake Encounter Case
इन दोनों दोषियों ने 1992 में अमृतसर में 2 व्यक्तियों को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी, जबकि इन दोनों मृतकों को पुलिस ने गैंगस्टर करार देते हुए एनकाऊंटर में मारे जाने की कहानी बनाई थी। इस कहानी को सीबीआई अदालत ने रद्द करते हुए एनकाऊंटर को फर्जी करार देते हुए गोली चलाने वाले पुलिस कर्मियों को दोषी मान लिया गया है। इस मामले में इंस्पैक्टर चमन सिंह व डीएसपी एसएस सिद्धू को सबूतों की कमी के चलते बरी कर दिया गया है।
सीबीआई के अनुसार अमृतसर के क्षेत्र मजीठा में तैनात इंस्पैक्टर प्रशोतम सिंह व एसई गुरभिन्दर सिंह ने 12 सितम्बर 1992 को अमृतसर के क्षेत्र प्रीत नगर से 16 वर्षीय नाबालिग लखविन्द्र सिंह उर्फ लक्खा, निवासी सुलतानविंड को काबू किया था, तो वहीं इसी तरीके से गांव भैनी बासकरे के सैन्य जवान बलदेव सिंह देबा को 9 अगस्त 1992 को एसआई. मोहेन्द्र सिंह व हरभजन सिंह, मौके के एसएचओ पीऐस छहरटा ने उसके घर से काबू किया था। इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद किसी को कोई जानकारी नहीं थी।
सीबीआई ने जांच में पाया कि पुलिस स्टेशन छेहरटा की पुलिस ने पूर्व कैबिनेट मंत्री के बेटे की हत्या मामले में लखविन्द्र सिंह व बलदेव सिंह को झूठा फंसाते हुए 12 सितम्बर 1992 को गिरफ्तार दिखाया था। जिसके बाद 13 सितम्बर 1992 को इन दोनों को एनकाऊंटर में मारने की जानकारी दी गई। जबकि इन दोनों की पुलिस ने हत्या की थी।
पुलिस द्वारा बनाई गई सारी कहानी में सीबीआई को काफी ज्यादा हेरफेर मिला व कहानी व सबूत आपस में मेल नहीं खा रहे थे, जिस कारण सीबीआई ने इन सभी पुलिस कर्मचारियों को दोषी मानते हुए केस चलाया था। इस मामले में ज्यादातर दोषी मर चुके हैं, जिस कारण सीबीआई की अदालत ने पूर्व पुलिस इंस्पैक्टर प्रशोतम सिंह व एसई गुरभिन्दर सिंह को दोषी करार देते उम्र कैद की सजा सुनाई है। Fake Encounter Case
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