जयपुर (सच कहूं न्यूज)। Sambhar Festival: विश्व प्रसिद्ध सांभर झील में गुजरात के कच्छ महोत्सव की तर्ज पर 24 से 28 जनवरी तक सांभर फेस्टिवल का होने जा रहा है। फेस्टिवल में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई सांस्कृतिक और एडवेंचर एक्टिविटीज की जाएगी। फेस्टिवल में राजस्थानी सभ्यता, संस्कृति और खान-पान सहित परम्पराओं व विरासत को करीब से देखने का देसी-विदेशी सैलानियों को अवसर मिलेगा। पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन ने फेस्टिवल की तैयारी कर ली है। सर्दियों में लेजर और ग्रेटर फ्लेमिंगो सहित कई प्रवासी पक्षी भी सांभर झील में डेरा डाले हुए हैं। ऐसे में सांभर फेस्टिवल में आने वाले सैलानियों के लिए प्रवासी पक्षियों का दीदार एक रोमांचक अनुभव होगा। Jaipur News
पर्यटन विभाग के उपनिदेशक उपेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि सांभर फेस्टिवल में सैलानियों को कनेक्ट करने के लिए कई कार्यक्रम होंगे। सांभर के फेस्टिवल से बहुत बूस्ट मिला है। पहले दिन सैलानी ऊंट गाड़ी की सवारी, पैरासेलिंग, पैरामाउंट, एटीवी, रात में गुलाबी शहर के खुले आसमान में नाइट स्टैंड का लुत्फ़ उठा सकते हैं। फेस्टिवल में पर्यटक पतंगबाजी, बर्ड वाचिंग, नाइट स्टार गेजिंग, लेक विजिट, फॉटोग्राफी, एग्जिबिशन, साल्ट ट्रेन, हेरिटेज विजिट, सांभर साल्ट प्रोसेसिंग ट्यूर, हैरिटेज वॉक, देवयानी कुंड पर दीपोत्सव और सेलिब्रेटी नाइट के साथ-साथ लोक कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र होंगी।
झील में दिखेंगे राजहंस | Jaipur News
भारत की सबसे बड़ी नमक की झील सांभर में फ्लेमिंगो और अन्य पक्षियों का घर है। सुंदर गुलाबी फ्लेमिंगो, सारस, पेलीकान, ग्रेट व्हाइट पेलिकन, रेडशेंकस, टिटिहरी और काले पंखों वाला स्टिल्स सहित कई प्रजातियों के देशी विदेशी पक्षियों को पर्यटक निहार सकेंगे और अपने कैमरे में कैद कर सकेंगे। इस साल झील में तीन लाख से ज्यादा राजहंस के झुंड झील में अठखेलियां करती देखे जा सकते हैं। 24 जनवरी से शुरू होने वाला सांभर फेस्टिवल का तीसरा सत्र होगा। इससे पहले 2023 और 2024 में प्रायोगिक तौर पर सांभर फेस्टिवल का आयोजन किया गया था। फेस्टिवल की अपार सफलताओं को देखते हुए इस बार पांच दिवसीय फेस्टिवल आयोजन करवाया जा रहा है।
ऑफ बीट टूरिज्म का केंद्र बन रहा सांभर
सांभर अब आफ बीट टूरिज्म का बड़ा डेस्टीनेशन बन रहा है। यहां मल्टी वैरायटी टूरिज्म है। पौराणिक काल का कथाक्रम यहां कण-कण में बिखरा हुआ है। यहां के कई स्थान ऐतिहासिक और ब्रिटिश काल के बहुत से घटनाक्रमों की गवाही देते हैं। एक तरफ अरावली पर्वत माला की पहाड़ियां और उनके अंचल में शाकंभरी माता का मंदिर है, तो दूसरी ओर 90 वर्ग मील क्षेत्र में फैली सांभर झील और इसमें विचरण करते लाखों की तादाद में प्रवासी पक्षी हैं।
आध्यात्मिक दृष्टि से भी संपन्न सांभर
झील के पानी का उतार आने के बाद यहां कच्छ के रण सा नजारा दिखता है। नमक झील बीच में संत दादू दयालजी की छतरी है। जहां उन्होंने छह साल कड़ी तपस्या की थी। गुरु शुक्राचार्य की पुत्री और श्रीकृष्ण की कुलमाता देवयानी के नाम पर पौराणिक तीर्थ सरोवर देवयानी है। सिंध के हथूंगा के सांई साध पुरसनाराम की पीठ भी सांभर में है। छठी शताब्दी में मुस्लिम व्यापारियों ने सांभर आकर कारोबार करना शुरू किया था। उस दौर में स्थापित जामा मस्जिद सांभर के बड़ा बाजार में है और अजमेर वाले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के जिगर सोख्ता ख्वाजा हुसामुद्दीन चिश्ती की दरगाह सांभर पुरानी धानमंडी में है। Jaipur News
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