राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति की प्रतियां जलाईं, राष्ट्रपति के नाम एडीएम को सौंपा ज्ञापन
Farmers Protests in Hanumangarh हनुमानगढ़। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाने के लिए किसान संगठनों के साथ बातचीत करने, दिल्ली कूच करने वाले किसानों पर दमन बंद करने व राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति को वापस लेने की मांग को लेकर किसानों ने सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर जिला कलक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन किया। किसानों ने केन्द्र सरकार की ओर से जारी राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति की प्रतियां जलाते हुए इस नीति का पुरजोर विरोध किया। इसके बाद राष्ट्रपति के नाम अतिरिक्त जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। Farmers Protests
किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 18वीं लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए सरकार के सत्ता में आने के ठीक बाद प्रधानमंत्री, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं और सभी संसद सदस्यों को ज्ञापन सौंपा था। किसानों ने 9 अगस्त को पूरे देश में कृषि पर कॉरपोरेट नियंत्रण के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। एसकेएम ने केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों और कृषि श्रमिक संघों व मंचों के साथ मिलकर 500 से अधिक जिलों में बड़े पैमाने पर मजदूर-किसान विरोध प्रदर्शन किए।
पीएम मोदी संघर्ष कर रहे किसान संगठनों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार नहीं
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघर्ष कर रहे किसान संगठनों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसकी बजाए, पंजाब के शंभू और खनौरी सीमाओं और उत्तर प्रदेश के नोएडा-ग्रेटर नोएडा में किसानों के संघर्ष को आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां, पानी की बौछारों का इस्तेमाल कर और शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों किसानों को जेल में डालकर क्रूरता से दबाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति तीन कृषि कानूनों को पिछले दरवाजे से फिर से लागू करने की कॉरपोरेट एजेंडे की रणनीति का हिस्सा है।
कॉरपोरेट ताकतें भारत के मेहनतकश लोगों को चुनौती दे रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार केवल कॉरपोरेट हितों की सेवा कर रही है। ज्ञापन के जरिए मांग की गई कि किसान संगठनों के साथ बातचीत की जाए और किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाए। दिल्ली कूच करने वाले किसानों पर दमन बंद हो। नोएडा-ग्रेटर नोएडा के सभी किसानों को जेल से रिहा किया जाए। राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति को वापस लिया जाए। सभी किसान संगठनों के साथ तत्काल चर्चा कर 9 दिसम्बर, 2021 के पत्र में सहमति के अनुसार सभी लंबित मुद्दों का समाधान किया जाए। इस मौके पर रघुवीर वर्मा, रेशमसिंह माणुका, सुभाष गोदारा, रायसाहब चाहर, वेदप्रकाश, आत्मासिंह आदि मौजूद रहे। Farmers Protests
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