Joint Pain: ठंड का मौसम आते ही जोड़ों के दर्द की समस्या आम हो जाती है। इस दर्द से परेशान लोग अक्सर दर्दनिवारक दवाइयों का सहारा लेते हैं, लेकिन इन दवाइयों का प्रभाव अस्थायी होता है और इसके साथ-साथ कई साइड इफेक्ट्स जैसे पेट में अल्सर, यूरिक एसिड का स्तर बढ़ना, किडनी और लिवर की समस्याएं भी हो सकती हैं। ऐसे में, आयुर्वेद एक प्रभावी और सुरक्षित विकल्प के रूप में उभर कर आता है। Joint Pain
आयुर्वेद में जोड़ों के दर्द को समझने का तरीका पारंपरिक और प्राकृतिक है। यह संधिवात, आमवात, गाउट, आॅस्टियो आर्थराइटिस, स्पांडिलाइटिस, साइटिका, स्लिप डिस्क, फ्रोजन शोल्डर जैसे गंभीर रोगों के उपचार में कारगर साबित होता है। आयुर्वेद में इन रोगों के इलाज के लिए कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होते और यह शरीर को प्राकृतिक रूप से राहत प्रदान करता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में संधिवात और अन्य जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए विशेष उपचार किए जाते हैं। ये उपचार 8 से 21 दिन तक चल सकते हैं, और इनसे रोगी को स्थायी लाभ मिलता है। इसमें परहेज, आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन, फिजियोथेरेपी, पंचकर्म और योग उपचार शामिल होते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक जोड़ों के दर्द में वातनाशक औषधियां और बल्य औषधियों का प्रयोग करते हैं, साथ ही विशेष व्यायाम भी कराया जाता है, जो शरीर को और अधिक मजबूत करता है।
पंचकर्म चिकित्सा में जोड़ों के दर्द के उपचार के लिए कई शास्त्रीय विधियों का पालन किया जाता है। इनमें स्नेहन, स्वेदन, पिंड-स्वेद, नाड़ी-स्वेद, अत्याधुनिक सोना स्टीम बाथ, पोटली सेंक, कटि-ग्रीवा-जानुधारा, तैलधारा, पिंषिचल धारा (आॅटोमेटिक यंत्र द्वारा), बस्तिकर्म, विरेचनकर्म, अग्निकर्म, शिरोधारा और केरलीय पंचकर्म जैसी क्रियाएं की जाती हैं। ये सभी विधियां जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने और शरीर में संतुलन बनाए रखने में बेहद प्रभावी साबित होती हैं।
इसलिए, यदि आप सर्दी के मौसम में जोड़ों के दर्द से परेशान हैं, तो आयुर्वेद के प्राकृतिक उपचारों को अपनाकर राहत पा सकते हैं। आयुर्वेद न केवल दर्द को दूर करता है, बल्कि यह आपके शरीर को संतुलित और स्वस्थ रखने का कार्य भी करता है। Joint Pain
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