Digital Rajasthan Vidhan Sabha: राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष पद पर वासुदेव देवनानी का एक वर्ष 21 दिसम्बर को पूरा हो रहा है। प्रखर राजनीतिज्ञ, तकनीकी शिक्षाविद्, सदन की कार्य प्रणाली के गहन अध्येता, गंभीर संभाव, और सदन की गरिमा को नई ऊचाइयां देने वाले, समयानुसार नवाचार और जनसमस्याओं का तत्वरित समाधान करने वाले वासुदेव देवनानी राजस्थान विधानसभा के 18 वें अध्यक्ष है। 16 वीं राजस्थान विधानसभा में उन्हें पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से अध्यक्ष निर्वाचित किया था। देवनानी ने सदन में अध्यक्ष पद पर आसीन होने पर कहा था ” राजस्थान विधान सभा के सदन की परम्पराएं महान रहीं हैं। सदन की मान-मर्यादा को बनाए रखने के लिए सर्वदा प्रयास करते रहेंगे।” Digital Assembly
सदन की ज्यादा से ज्यादा बैठकें और सार्थक बहस की आवश्यकता बताते हुए देवनानी ने पहली बार विधानसभा अध्यक्ष आसन पर बैठते ही सदन की गरिमा एवं निष्पक्षता को बनाये रखने के लिये विधान सभा सदस्यों को भरोसा दिलाया था। श्री देवनानी के मार्गदर्शन में राष्ट्र मण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा को सक्रिय मंच के रूप में परिवर्तित किया गया है। संसदीय कार्यवाही में पारदर्शिता के पोषक श्री देवनानी के सदप्रयत्नों से विधान सभा के सदन के स्वरूप को विश्व की गुलाबी नगरी जयपुर के वैभव के अनुरूप गुलाबी रंग में परिवर्तित किया गया है, साथ ही अब यह सदन डिजिटल हो गया है। सदन की कार्यवाही अब पेपरलैस होगी। विधान सभा का प्रत्येक सदस्य सूचना तकनीक के उपयोग के साथ सदन में जनसमस्याओं पर चर्चा करेगा।
ई- विधान से हो गई है विधानसभा पेपरलैस
वासुदेव देवनानी ने विधान सभा को पेपरलैस बनाने की प्रक्रिया को अपने कार्यकाल के प्रथम वर्ष में ही पूरा कर दिया है। 16वीं विधान सभा का तृतीय सत्र डिजिटल पद्धति से संचालित होगा। विधान सभा सचिवालय की कार्य प्रणाली भी पेपरलैस हो गई है। वन नेशन – वन एप्लीचकेशन के तहत ई- विधान एप्लीकेशन नेवा का उपयोग राजस्थान विधान सभा को डिजिटल बनाये जाने के लिए किया गया। इससे विधान सभा के सदन से संबंधित विधेयक, रिपोर्टस, वीडियो आदि मीडिया अनुसंधानकर्ता और आम नागरिक को अब सरलता से ऑन लाईन उपलब्ध हो रहे है।
सर्वदलीय बैठक | Digital Assembly
वासुदेव देवनानी की राजस्थान विधान सभा में सदन चलाने के लिए सर्वदलीय बैठक का आयोजन एक ऐतिहासिक पहल है। राजस्थान विधान सभा में ऐसा पहली बार हुआ है। सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्री देवनानी ने सदन में सार्थक चर्चा कराये जाने का सभी दलों को भरोसा दिलाया। श्री देवनानी की सोच है कि विधान सभा का सदन अधिक से अधिक दिन चले, इसके लिए सभी दलों के सभी सदस्यों को सकारात्मक भूमिका निभानी होगी। विधान सभा अध्यक्ष के रणनीतिक प्रयासों से 16वीं विधान सभा का प्रथम एवं द्वितीय सत्र शान्तिपूर्वक चला।
जब कभी भी गतिरोध की स्थिति आयी तो उन्होंने सहजता से पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों को सुना, उनके समाधान के मार्ग निकाले और दोनों पक्षों के सदस्यों को विश्वास में लेकर विधानसभा की कार्यवाही के गतिरोध को दूर कर सदन संचालन में बेहतर मिसाल पेश की। श्री देवनानी ने प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियम 269 का हवाला देते हुए विधान सभा में दी गई व्यवस्था का पालन कराया। इसके तहत जब आसन पैरों पर हो तो सदन से सदस्य और दीर्घा से अधिकारी बाहर नहीं जायेंगे।
सनातन संस्कृति के प्रतीक
वासुदेव देवनानी सनातन संस्कृति के प्रतीक है। हिन्दी, सिन्धी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड रखने वाले देवनानी ने राजस्थान विधान सभा के सदस्य की शपथ संस्कृ्त भाषा में ली। उनका मानना है कि संस्कृत सनातन संस्कृ ति का पर्याय है। विज्ञान, ज्योतिष, खगोल, चिकित्सा के प्रमाणिक ग्रन्थी संस्कृात भाषा में उपलब्धज है। वे राष्ट्रष प्रथम की भावना को जन-जन में जागरूकता लाने के लिए सभी समारोह में जिक्र करते है। उनका मानना है कि हमे भारतीय संस्कृति पर गर्व करना चाहिए।
एक, श्रेष्ठ और अखण्ड भारत का संकल्प के लिए युवाओं को प्रेरित करने वाले श्री देवनानी का कहना है कि विकसित भारत की संकल्प को साकार करने में प्रत्ये क भारतीय को सक्रिय सहभागिता निभानी होगी। विश्व में गूंजे हमारी भारती, जन-जन उतारे आरती, धन्य भारत महान को पूरे विश्व में गुंजायमान की चाहत श्री देवनानी रखते है। वे स्वदेशी की भावना को नई पीढी में पैदा करने की जरूरत बताते है। उनका मानना है कि बच्चों को राष्ट्र के महान वैज्ञानिकों के जीवनी और उनके द्वारा किये गये आविष्कारों का अध्ययन करना चाहिए। भारत पुरातनकाल से समृद्ध है।
विदेशों में राजस्थान विधान सभा की बनाई पहचान | Digital Assembly
वासुदेव देवनानी अजमेर जिले के पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने आस्ट्रोलिया में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के 67वें सम्मेलन को सम्बोधित किया। उन्होंने सम्मेलन में संसदीय प्रक्रियाओं और परम्पराओं में कृत्रिम बुद्धिमता के उपयोग, अवसर व चुनौतियां, संसदीय संस्थाओं की सुदृढता के लिए सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को अपनाने हेतु मानक व दिशा-निर्देश और लिंग आधारित हिंसा के मुकाबले के लिए कानून निर्माण विषयों पर प्रभावी प्रस्तुतीकरण दिया।
विभिन्न विधान मंडलों के विश्लेषण के साथ राजस्थान विधान मंडल के परिप्रेक्ष्य में दिये गये प्रस्तुतीकरण की विदेशी धरती पर शामिल संभागियों ने प्रशंसा की। उनके लौटने पर बड़ी संख्या में समर्थक व आमजन प्रदेश में जगह-जगह जुटे, उनका नागरिक अभिनंदन किया गया तथा मार्ग में अनेक स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया। राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सम्मेलन में भारत, राजस्थान, अजमेर और खासकर अजमेर उत्तर के प्रतिनिधि के रूप में विधान सभा अध्यक्ष का शामिल होना, सम्बोधन करना प्रदेश के लिए गर्व की बात है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज पूरे विश्व में भारत की पहचान एक सशक्त राष्ट्र के रूप में है। भारतीयों को आज पूरे विश्व में एक अलग सम्मान और स्नेह प्राप्त है। ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर और जापान की यात्रा में भारतवंशियों, विदेशियों और खासकर राजस्थानियों से हुई मुलाकातों और चर्चाओं में भारत देश के प्रति वैश्विक स्तिर पर निरन्तर बढ रहे स्नेह को उन्होंने महसूस किया।
राष्ट्रीय गौरव और राष्ट्रीय चेतना के वाहक
अध्यक्ष वासुदेव देवनानी राष्ट्रीय गौरव और राष्ट्रीय चेतना के वाहक है। वे युवाओं को 4 डी का ध्या्न रखने के लिए कहते है। डिसीप्लेन यानि अनुशासन, डिटरमिनेशन यानि प्रतिबदधता, डिवोसन यानि समर्पण से यदि कोई व्यक्ति कार्य करता है तो चौथा डी डवलपमेन्ट यानि विकास उसे स्वतत: ही प्राप्त हो जाएगा। उन्होंने अपने शिक्षा मंत्री काल के दौरान प्रदेश की विद्यालय शिक्षा में अकबर महान के अध्याय को हटवाकर प्रताप महान का नया अध्याय शामिल करवाया था। इस प्रभावशाली कदम और चुनौतीपूर्ण पहल से देश और प्रदेश के इतिहास में महाराणा प्रताप को गौरवशाली स्थान मिला।
जनहित के मुद्दों पर सदन देर तक भी चलेगा
देवनानी का मानना है कि सदन जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने का पवित्र स्थल है। सदन की गरिमा को बनाऐं रखना विधान सभा सदस्यों की जिम्मेदारी है। समस्याओं का हल बातचीत से होता है। सदन में समस्याओं के निस्तारण का प्रयास होता है। सदन में सदस्यों की बातों को गम्भीरता से लिया जाता है, उनके द्वारा उठाई गई समस्याओं का निस्तारण भी कराया जाता है।
प्रश्नों के जवाब समय सीमा में आये
देवनानी ने प्रश्नों के उत्तर समय सीमा में मंगाने आरम्भ कर दिये है। समय पर जवाब नहीं आने की उनकी चिन्ता का आभास राज्ये सरकार को हो गया है। समितियों की रिपोर्ट भी समय पर मंगाना सुनिश्चित हो रहा है, जिनकी आवश्यक रूप से सदन में चर्चा भी कराई जा रही है। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में स्थगन के साथ पूर्व की भांति पर्ची के माध्यम से अविलम्बनीय लोक महत्व के उठाये जाने वाले विषयों की व्यवस्था को पुनः लागू किया गया। पर्ची से उठाये जाने वाले विषयों पर जवाब भी दिलाया जा रहा है।
विधान सभा जनदर्शन | Digital Assembly
राजस्थान विधान सभा के द्वार आमजन के लिए खोल दिए गये है। विधान सभा में बना राजनैतिक आख्यान संग्रहालय को लोग अब देखने आ रहे है। दिन प्रतिदिन आमजन की संख्या संग्रहालय को देखने के लिए बढती जा रही है। श्री देवनानी की इस पहल की प्रदेश में सभी जगह प्रशंसा हो रही है। श्री देवनानी ने डिजिटल म्यूजियम को देश के पर्यटन नक्शे से जुडवाया है। इससे राजस्थान की समृद्ध संस्कृ ति और राजनैतिक इतिहास की देश और विदेशों में पहचान बन रही है। विधान सभा की अनूठी ईमारत को आमजन निकटता से देख कर गौरवांवित हो रहे है। संग्रहालय में संविधान दीर्घा का शुभारम्भ भी श्री देवनानी की शोधपरक दृष्टि का परिचायक है।
इस संविधान दीर्घा में मूल संविधान के बाईस भागों के आरम्भ में दर्शायी गयी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। संविधान दीर्घा का उद्देश्य आमजन और युवाओं में राष्ट्र और राष्ट्र के संविधान का बोध कराने के साथ ही संविधान, सांस्कृतिक और नैतिकता के प्रति जागरुकता लाना है। विधान सभा में पहली बार आयोजित संविधान दिवस समारोह में सैकडों की संख्या में अधिवक्तागण, विधि संस्थानों के छात्र-छात्राओं के साथ ही गणमान्य नागरिकगण और राजस्थान विधान सभा के अधिकारियों व कर्मचारियों ने भाग लिया। संविधान के बाईस भागों के मुख पृष्ठ पर भारत की संस्कृति और स्वाभिमान को दिखाती हुई तस्वीरें है।
इन तस्वीरों में भारत की प्राचीन सभ्यता मोहेंजोदडो से लेकर महाभारत में कुरुक्षेत्र और कृष्ण द्वारा दिए गए गीता के ज्ञान, भगवान श्री राम की लंका विजय, भगवान बुद्ध का जीवन चरित्र, महान सम्राट अशोक, उज्जैन के न्यायप्रिय महाराज विक्रमादित्य के राजदरबार, प्राचीन वैदिक गुरुकुल, नालंदा विश्वविद्यालय, भगवान नटराज, रामभक्त हनुमान के साथ ही झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, छत्रपति वीर शिवाजी और गुरु गोविन्द सिंह को प्रदर्शित किया गया है।
विधान सभा डायरी और कैलेण्डर में ऐतिहासिक नवाचार | Digital Assembly
राजस्थान विधानसभा द्वारा प्रकाशित कैलेण्डर और डायरी में ऐतिहासिक नवाचार हुए है। इस वर्ष प्रकाशित कैलेण्डर और डायरी में वीर वीरांगनाओं और महापुरूषों के चित्र समाहित हुए है। यही नहीं राजस्थान विधान सभा देश की ऐसी पहली विधान सभा बन गई है, जहां की दैनन्दिनी का प्रकाशन भारतीय वर्ष के अनुसार किया गया है। राजस्थान विधान सभा के इतिहास में ऐसा प्रकाशन पहली बार हुआ है। नवसंवत्स र 2081 के माह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से दैनन्दिनी का आरम्भ किया गया है।
एक वर्ष का यह समय राजस्थान विधान सभा के लिए स्वर्णिाम काल रहा है। वासुदेव देवनानी द्वारा अपने इस समय में नवीन ऊर्जा के साथ विधान सभा को ऐतिहासिक गति और नई दिशा प्रदान की है। नवाचारों से राजस्थान विधान सभा देश की सर्वश्रेष्ठ विधान सभा बनने की ओर अग्रसर है। Digital Assembly
लेखक : लोकेश शर्मा