Haryana News: गुरुग्राम (सच कहूँ/ संजय कुमार मेहरा)। फुटपाथ पर सब्जी बेचकर परिवार का गुजारा करने वाली गुरुग्राम की कृष्णा यादव आज अचार का बिजनेस करके 1000 से अधिक परिवारों का सहारा बन चुकी हैं। अपने पुरुषार्थ और बुलंद हौंसलों से कृष्णा ने मजबूत से कदम आगे बढ़ाए। दिल्ली में चल रहे 43वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में श्री कृष्णा पिकल्स इस हरियाणवी महिला की सफलता की कहानी कह रहा है। रोज लाखों लोग इसके गवाह बन रहे हैं।
गुरुग्राम के बजघेड़ा में कृष्णा यादव ने अपनी मेहनत और लग्न के दम पर चार फैक्ट्री लगाई हैं। साथ ही ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का भी वे काम कर रही हैं। व्यापार मेले के हरियाणा मंडपम में हरियाणा की समृद्ध विरासत की झलक देखने को मिल रही है। हरियाणा के लघु और कुटीर उद्योग व उनसे जुड़े उत्पाद लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। श्री कृष्णा पिकल्स की मालिक कृष्णा यादव बताती है कि एक समय वह फुटपाथ पर सब्जी बेचकर परिवार का गुजारा करती थी। सब्जी बच जाती थी तो नुकसान हो जाता था। उसने बची हुई सब्जी का अचार बनाना शुरू किया। अचार बनाकर बेचने के लिए सब्जी के साथ ही रखना शुरू किया। उसे पता चला कि पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र उजवा नई दिल्ली में अचार बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। वह वहां से अचार, मुरब्बे, जूस आदि बनाए की ट्रेनिंग लेकर आई। शुरू-शुरू में ग्राहक अचार खरीदने में आना-कानी करते थे तो ग्राहक बनाने के लिए अचार के सेंपल फ्री देने शुरू किए। लोगों को अचार पसंद आने लगा। अचार की मांग बढ़ने से अब अकेले इतना अचार बनाना मुश्किल होने लगा तो आस-पास की महिलाओं को भी इस काम में शामिल किया।
अचार से हुई शुरूआत अब 152 प्रोडक्ट्स तक पहुंची है | Haryana News
कृष्णा यादव के मुताबिक उनका शुरू से फोकस शुद्धता और हाईजिन पर अधिक रहा। देखते ही देखते हमारे बनाये सामान की मांग इतनी बढ़ गई कि घर छोटा पड़ने लगा। तब गुरुग्राम में एक छोटी फैक्ट्री शुरू की। अचार से शुरू हुई ये कहानी आज 152 तरह के प्रोडक्ट्स जैसे अचार, मुरब्बे के साथ-साथ जूस, जेली, चटनी और जैम तक जा पहुंची है। मात्र 500 रुपये से अचार के कारोबार की शुरूआत करने वाली कृष्णा आज चार फैक्टरी की मालकिन है। वह बताती है कि वह पढ़ी लिखी नहीं है , लेकिन अपने बच्चों की पढ़ाई हर हाल में जारी रखी। खाली समय में उन्होंने अपने बच्चों से हिसाब किताब करना सीखा। फैक्ट्री में प्रोडक्शन का सारा काम वे खुद ही संभालती हैं। उनके पति आॅफिस का काम और बेटे दुकान, मेले और प्रदर्शनी का काम देखते है। सफलता के इस सफर की शुरूआत कृष्णा ने भले ही अकेले शुरू की हो, लेकिन आज वह 1000 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को अपने साथ जोड़ चुकी हैं।
वैल्यू एडिशन में पीएचडी डिग्री से किया गया सम्मानित
समाज में कृष्णा के बहुमूल्य योगदान के लिए इन्हें वैल्यू एडिशन (मूल्य संवर्धन) के क्षेत्र में पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री संजीव बाल्यान द्वारा पीएचडी की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। कृष्णा को एन.जी. रंगा कृषि सम्मान, पंडित दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय पुरस्कार, नारी शक्ति सम्मान पुरस्कार,महिला किसान चैंपियन अवार्ड, कृषि नवाचार अवार्ड, खेती-किसानी नवाचार अवार्ड जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
वीरांगनाओं को ट्रेनिंग देकर बना रही आत्मनिर्भर
समाज के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए कृष्णा ने बीएसएफ के शहीद जवानों की 47 वीरांगनाओं को जहां ट्रेनिंग देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने का अवसर प्रदान किया है, वहीं शारीरिक रूप से दिव्यांग युवाओं को ट्रेनिंग के माध्यम से प्रशिक्षित कर उनके जीवन में रोशनी लाने का काम किया है। जो काबिले तारीफ है। समाज से प्रति उनकी सोच को दिखाता है। कृष्णा आज ना केवल महिलाओं के लिए, बल्कि युवा वर्ग के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई है।