Ways to Relieve Anxiety: चिंता एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन एक सीमा तक। अक्सर हम अपने आसपास यह कहते सुनते हैं, ‘तुम घबराओ मत, चिंता मत करो। मुझे बहुत घबराहट हो रही है।’ घबराहट और चिंता ऐसे भाव हैं, जो हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में अक्सर एक-दूसरे से सुनते हैं। क्या चिंता एक बीमारी है या हमारे शरीर की सामान्य प्रक्रिया?
चिंता को अंग्रेजी में ‘एंजाइटी’ कहते हैं। यह एक सीमा तक हमारे शरीर की सामान्य प्रक्रिया है, जो कई बार हमारे लिए बहुत फायदेमंद होती है। उदाहरण के लिए, जंगल में किसी खतरनाक जानवर से सामना हो जाए, तो हमारा शरीर महसूस करता है कि यहां खतरा है। इस घबराहट के कारण हम जरूरी कदम उठाकर खुद को बचाने के उपाय करते हैं। यह हमारे शरीर का संकेत है कि कुछ करने या न करने से हमें खतरा हो सकता है। जहां हमारे अस्तित्व को खतरा होता है, वहां चिंता होना स्वाभाविक है, जो कई बार हमारे लिए लाभदायक भी होती है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप सड़क पर गाड़ी चला रहे हैं और अचानक तूफान का सामना होता है। इस स्थिति में घबराहट महसूस होती है और आप गाड़ी सड़क किनारे रोक देते हैं। इस तरह आप तूफान से बचकर अपने जान-माल को सुरक्षित रखते हैं।
लेकिन जिस चिंता की आज हम बात कर रहे हैं, वह मनोवैज्ञानिक चिंता है। इस चिंता में नकारात्मक विचार बहुत अधिक होते हैं, जो हमारे और हमारी जिंदगी के लिए कोई महत्व नहीं रखते। ये नकारात्मक विचार हमारे अंदर डर, घबराहट और अत्यधिक सोचने की आदत पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि घर का कोई सदस्य काम पर गया है और रात तक लौटना था, लेकिन वह समय पर नहीं लौटा। इस स्थिति में जो मनोवैज्ञानिक चिंता से पीड़ित होते हैं, वे सोचने लगते हैं कि उसे कुछ हो गया है या वह किसी हादसे का शिकार हो गया है। नकारात्मक विचारों के कारण हम अपने अंदर डर का माहौल बना लेते हैं, जो हमारी रोजमर्रा की गतिविधियों में बाधा डालता है। इससे शरीर में नकारात्मक रासायनिक प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं, जो हमें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाती हैं।
चिंता से आते हैं नेगेटिव विचार
यदि किसी को चिंता करने की आदत पड़ जाए, तो वह छोटी-छोटी बातों पर भी चिंता महसूस करने लगता है। इससे व्यक्ति के अंदर डर और घबराहट महसूस होती है। उसकी नींद खराब रहती है, थकान महसूस होती है और धीरे-धीरे उसके स्वभाव में बदलाव आने लगता है। ऐसा व्यक्ति खुश नहीं रहता और धीरे-धीरे अवसाद की ओर बढ़ने लगता है। उसे लगता है कि उसकी जिंदगी बर्बाद हो रही है, और कई बार उसे आत्महत्या के विचार आने लगते हैं।
चिंता व घबराहट को कर सकते हैं नियंत्रित
हमारे शरीर में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थ पाए जाते हैं। कुछ रासायनिक पदार्थ हमें खुश रखने वाले होते हैं। इनकी कमी से हमें चिंता, घबराहट और डर महसूस होना स्वाभाविक है। यदि हमारे शरीर में ये रसायन उचित मात्रा में मौजूद हों, तो हम बाहरी चिंता और घबराहट को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं। अच्छी नींद हमारे मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने में मुख्य भूमिका निभाती है। चिंता और घबराहट एक अच्छी और गहरी नींद से समाप्त हो सकते हैं, और इससे व्यक्ति एक तरोताजा दिन की शुरूआत करता है।
सूरज की किरणें लेने से बढ़ते हैं खुशी वाले हार्मोन
सूरज की किरणें हमारे शरीर और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं। सुबह की पहली किरणें हमारे शरीर में खुश रखने वाले हार्मोन सेरोटोनिन और डोपामाइन का उत्पादन करती हैं, जो एंटीडिप्रेसेंट का काम करते हैं। ये हमें खुश रखने में मदद करते हैं। इसलिए सुबह सूर्य की किरणें लगभग 20 मिनट तक लेनी चाहिए। सैर और व्यायाम से भी हमारी चिंता और तनाव काफी कम हो सकते हैं।
फॉस्ट फूड बढ़ाता है चिड़चिड़ापन
प्रोबायोटिक भोजन करने से हमारे मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमारी आंतों में लाखों की संख्या में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो हमारे पाचन तंत्र और पेट को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। हमारे पेट का स्वास्थ्य हमारे मूड पर सीधा प्रभाव डालता है। फास्ट फूड, डीप फ्राइड फूड और पैकेज्ड फूड हमारे अच्छे बैक्टीरिया की मात्रा को कम करते हैं, जिससे हमारे मन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।