प्रशासन द्वारा पास जारी करने के बावजूद जगह-जगह रोका जा रहा है, मीडियाकर्मियों की गाड़ियां भी मीडिया सेंटर तक नहीं जाने दी गई
खिजराबाद (सच कहूं/राजेन्द्र कुमार)। बुधवार को कपालमोचन मेले (Kapalmochan Mela) की सड़कें सूनी-सूनी दिख रही थी। मेले में आमतौर पर जिस तरह से भीड़-भाड़ होती है वैसा कुछ नजर नहीं आ रहा था। मेले का रंग कुछ फीका नजर आ रहा था। हालांकि अंतिम दिन भीड़भाड़ की उम्मीद जताई जा रही है। मगर नाकों पर पुलिस का जिस प्रकार का रवैया है वह इसका एक बड़ा कारण बताया जा रहा है, इससे स्थानीय लोग भी मेले में जाने से बच रहे हैं। मेले में प्रशाासन द्वारा जिन लोगों को पास दिए जा रहे हैं उनको भी गंतव्य तक नहीं जाने दिए जा रहा है, वाहनों को पहले ही रोकने का प्रयास किया जाता है। यहां तक की मीडियाकर्मियों के वाहनों को भी मीडिया सेंटर तक नहीं जाने दिया गया, उनको भी कपालमोचन में रणजीतरोड के मोड़ पर ही पार्किंग में रोक दिया गया। Yamunanagar News
सुरक्षा के नाम पर ताम-झाम लोगों को हो रही परेशानी मेले की ओर लोगों का रुझान कम कर रही है। तीर्थ क्षेत्र कपालमोचन मेला में बुधवार को फीका-फीका नजर आ रहा था। मेले में कम भीड़ की चर्चा मेला डयूटी में लगे कर्मचारी भी कर रहे थे। मेन रोड से लेकर मेला क्षेत्र में बहुत कम लोग दिखाई दे रहे थे। जबकि पुलिस नाकों पर जिस प्रकार सख्ती दिखाई जा रही थी उससे ऐसा लगता था कि जैसे आगे बहुत ही भीड़भाड़ हो। मेला में रणजीतपुर लेदी रोड पर लगे नाके से अधिकतर वाहनों को चौराही की ओर भेजा जा रहा था। वहीं जिन वाहनों के पास मेला प्रशासन के पास थे तो उन्हें भी मेला चौक पर रणजीतपुर जाने वाले मोड़ पर ही रोका जा रहा था। वहां की पार्किंग में ही वाहनों को खड़ा किया जा रहा था। Yamunanagar News
यहां तक की मीडियाकर्मियों के वाहनों को भी मीडिया सेटर तक नहीं जाने दिया जा रहा था, प्रशासन खंड के पीछे मीडिया सेंटर बनाया गया था, उसके आगे प्रशासन खंड की पार्किंग पूरी तरह से खाली पड़ी थी, जबकि कपालमोचन तिराहे पर नाके पर पुलिसकर्मियों द्वारा बार-बार आगे भीड़ होने व पार्किंग फुल होने की बात कही जा रही थी।
कौन एक डेढ़ किलोमीटर पहले गाड़ी छोड़ मेले में जाए | Yamunanagar News
मेले में घूमने आए संदीप व राजेंद्र ने बताया कि पहले मेले की बात कुछ ओर होती थी, लोग परिवार के साथ आकर मेला देखते थे, मगर अब न तो गाड़ियों को आगे जाने दिया जाता है न ही कोई सुनवाई होती है। अब के समय में किसी के पास न तो इतना समय है कि वह बिलासपुर में गाड़ी खड़ी कर या एक डेढ़ किलोमीटर दूर से पैदल जाएं। इसलिए लोग अब परिवार व बच्चों को मेले मे नहीं ले जाना चाहते। व्यवस्था के नाम पर केवल अधिकारियों की आवभगत की जाती है, आम आदमी कहीं कोई नहीं सुनता है। यहीं नहीं मेला डयूटी पर आए कर्मचारियों ओर अन्य लोग भी नाकों पर हा रही सख्ती की चर्चा करते नजर आए।
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