Himachal Pradesh Samosa Scandal: हिमाचल प्रदेश की राजनीति में अजीबोगरीब मामला छा गया है। एक छोटी सी गलती राजनीतिक विवाद में तब्दील हो गई। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 21 अक्तूबर को सीएम सुखविंदर सिंह सुखू के लिए रखा गया नाश्ता गलती से उनके सुरक्षा कर्मचारियों को परोस दिया गया, जिसकी बाद में सीआईडी जांच हुई, और मामले को लेकर ‘सरकार विरोधी’ कृत्य के आरोप लगे, जिससे राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया। यह विवाद पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया। Himachal Samosa Scandal
क्या है समोसा विवाद? | Himachal Samosa Scandal
हिमाचल में समोसा विवाद, एक ऐसा मामला जिससे अराजकता पैदास हो गई। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब सीएम के सीआईडी मुख्यालय के दौरे के लिए लक्कड़ बाजार के रेडिसन ब्लू होटल से 3 डिब्बे मंगवाए गए, जिसमें एक समोसे का डिब्बा भी था। नाश्ता परोसने के दौरान ऐसी गलतियां हुई कि नाश्ता सीएम सुखू तक नहीं पहुंच सका। डिप्टी एसपी अधिकारी द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के अनुसार, ये खाद्य पदार्थ मुख्यमंत्री के सुरक्षा कर्मचारियों को परोसे दिए गए।
#WATCH | Shimla, Himachal Pradesh | On investigation being held regarding the issue of CM Sukhvinder Singh Sukhu’s refreshment allegedly served to his staff, BJP MLA Satpal Singh Satti says, “Ever since the Congress government has come to power in Himachal Pradesh, newer things… pic.twitter.com/7c8hagLy0n
— ANI (@ANI) November 8, 2024
रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक सब-इंस्पेक्टर (एसआई) को सीएम के लिए नाश्ता लाने का निर्देश दिया। एसआई ने यह काम एक सहायक एसआई (एएसआई) और एक हेड कांस्टेबल को सौंप दिया, जो 3 सीलबंद डिब्बों में खाद्य पदार्थ लाए। जब वे सीआईडी कार्यालय पहुंचे, तो डिब्बों को लेकर भ्रम पैदा हो गया।
जलपान को संभालने का काम करने वाले पर्यटन विभाग के कर्मचारियों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि ये खाद्य पदार्थ सीएम के लिए थे या किसी और के लिए। अंत में, ये खाद्य पदार्थ मुख्यमंत्री के पास जाने के बजाय यांत्रिक परिवहन (एमटी) अनुभाग में पहुंच गए, जो रसद का काम संभालता है। इससे राजनीतिक बवाल पनप गया और जो एक साधारण सी गलती लग रही थी, वो अब राजनीतिक विवाद में बदल गई। Himachal Samosa Scandal
इस संबंध में भाजपा प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने अपने बयान में साफ कहा कि राज्य सरकार को राज्य के विकास की कोई चिंता नहीं है। उनकी एकमात्र चिंता ‘मुख्यमंत्री का समोसा’ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जैसे वीवीआईपी से जुड़े कार्यक्रम में इस तरह की समन्वय समस्याओं के कारण सरकारी मशीनरी शर्मिंदा है।
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