Isro News: एक बड़ी जानकारी के मुताबिक बीते शनिवार को आकाशवाणी पर सरदार पटेल मेमोरियल कार्यक्र म में व्याख्यान के दौरान इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ द्वारा भविष्य में आने वाली कुछ महत्वपूर्ण मिशनों के बारे में बताया। जिस दौरान उन्होंने कहा कि मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान को वर्ष 2026 में लॉन्च किया जाएगा। वहीं चंद्रमा से वापसी में कुछ नमूने लेकर आने वाले चंद्रयान-4 के 2028 में लॉन्च होने के काफी आसार हैं। उसी बीच उन्होंने भारत और यूएस संयुक्त (निसार) मिशन को आगामी वर्ष के लिए निश्चित कर लिये जाने के बारे में बताया।
2028 के पश्चात लांन्च होगा चंद्रयान-5 | Isro News
जानकारी के अनुसार इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि भारत जापान की स्पेस एजेंसी (जाएक्सा) के साथ मिलकर चंद्रयान-5 के लैंड़िंग मिशन को सफल बनाया जाएगा। जिसको ‘लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन’ के नाम से भी जाना जाता हैं। एस सोमनाथ ने कहा कि फिलहाल इसकी लॉन्चिग के लिए कोई समय सीमा निर्घारित नहीं की गई हैं। आपको बता दें कि 2025 के भीतर लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन को लॉन्च करने की तैयारी की गई थी। परंतु जब से इसे चंद्रयान-5 के रूप में देखा जा रहा हैं। तभी से चंद्रयान-5 को 2028 के पश्चात लांन्च करने का निर्णय लिया गया हंै।
भारत से होगा लैंडर, तो जापान से होगा रोवर | Isro News
इसरो में मुख्य अध्यक्ष एस. सोमनाथ क ा कहना हैं, कि इस मिशन के दौरान भारत से लैंडर होगा तो दूसरी और जापान से रोवर को लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 के समय रोवर का वजन मात्र 27 किलो था, परंतु इस मिशन के दौरान रोवर का वजन लगभग 350 किलो के करीब बताया गया हैं। वहीं 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन की योजनाओं सशक्त बनाना हैं।
अब कंपनियों को मिलेगा इसरो के साथ काम का मौका
एस. सोमनाथ के मुताबिक नई सक्षम नीतियों और युवा उद्यमियों के उत्साह को लेक र भारत में जीवंत अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया गया हैं। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष की अर्थव्यवस्था के प्रति अभी केवल 2 प्रतिशत ही योगदान प्राप्त हुआ है। वहीं आकांक्षा के अनुसार इसको आने वाले 10 से 12 सालों के अंदर ही10 प्रतिशत तक बढ़ाने की हंै। परंतु इसरो के लिए अकेले इसे प्राप्त करना काफी मुश्किल हैं। जिस के लिए हमें किसी अन्य भागीदारी की अति आवश्यकता है। वहींं एक ऐसे सक्षम तंत्रों को बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. जिनकी सहायता से अन्य कंपनियों का इसरो के साथ मिलकर कार्य करना आसान हो जाऐं।
बाहर से आता हैं कई वस्तुओं का सामान
आपको बता दें कि एस. सोमनाथ ने भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के आयात पर निर्भरता काफी कम हैं। जिसमें अभी सुधार होना बाकी हैं। क्योंकि अंतरिक्ष में प्रयोग होने वाली बहुत सारी वस्तुएं अभी भी बाहर से मंगबानी पड़ती हैं।