कैथल, सच कहूं /कुलदीप नैन। जिले में मोटे धान की कटाई लगभग हो चुकी है जबकि बारीक धान की कटाई का कार्य चल रहा है। मोटे धान की कटाई वाले खेतों में 25 अक्तूबर से गेहूं की बिजाई का कार्य शुरू हो चूका है । गेंहू बिजाई के समय डी. ए. पी. खाद की किसानों को बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती है। किसान सुबह से लाइनो में लगते है , फिर घंटो बाद नंबर आता है और कई बार तो ऐसा होता है कि जब घंटो लाइन में लगे रहने के बाद नंबर आने की बारी आती है तो किसान को बोल दिया जाता है कि खाद समाप्त हो गया है | ऐसे में किसानो को मायूस होकर लौटना पड़ता है | किसानों ने बताया कि डीएपी खाद को लेकर सरकारी खरीद केंद्रों पर किसानों जा रहे हैं, लेकिन खाद न आने की बात सुनने के बाद वापस लौटना पड़ रहा है। अगर खाद समय पर नहीं खरीदेंगे तो गेहूं की बिजाई में देरी होगी।
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डोहर निवासी गुरमीत ने बताया कि खाद लेने के लिए आज 5वी बार लाइन में लगा हूँ | जैसे ही नम्बर आने को होता है तो बोल देते है खाद समाप्त हो गया है | आज भी जब मिल जायेगा तो ही तसल्ली होगी | बड़े बड़े गोदामों में आज भी डीएपी खाद बड़ी मात्रा में स्टॉक है लेकिन किसानो को देने के लिए खाद उपलब्ध नहीं है | डीएपी खाद की कालाबाजारी से इंकार नहीं किया जा सकता |
हरसौला निवासी बलिन्द्र ने बताया कि डीएपी खाद लेने में आम आदमी को बहुत ज्यादा परेशानी आ रही है | जिनकी जान पहचान है उनकी तो बाहर की बाहर ट्राली लोड हो रही है | एक आधार कार्ड पर 5 बैग खाद की मिल रही है | समय पर खाद न मिलने के कारण गेहूं बिजाई के कार्य में देरी हो रही है। प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
मनदीप सिसमोर ने कहा कि सुबह 9 बजे से लाइन में लगा हुआ हूँ | 2 से 3 बार पहले भी आ चूका हूँ | पुरुष और महिलाओ की बड़ी बड़ी लाइने लगी हुई है | कुछ आदमी लाइन तोड़कर आगे जाने की कोशिश भी करते है | डीएपी खाद को लेकर प्रशासन को पहले व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि किसानों को परेशानी न आए।
डी.ए.पी. खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए विभाग अलर्ट मोड में है। सभी ब्लॉक स्तर पर टीमों का गठन किया गया है। खाद विक्रेताओं से मीटिंग कर अपील की जा रही है कि वे डी.ए.पी. खाद की कालाबाजारी न करें। अगर कोई ऐसा करता पाया गया तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी व लाइसेंस भी रद्द किया जाएगा। अगर किसान को कालाबाजारी की जानकारी मिले तो वह तुरंत कृषि विभाग के अधिकारियों से शिकायत कर सकता है।
सतीश नारा, एसडीओ, कृषि विभाग कैथल