नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय रेलवे का एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसमें बुनियादी सुविधाओं की कमी के लिए भारतीय रेलवे को जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है। विशाखापत्तनम के जिला उपभोक्ता आयोग (Visakhapatnam District Consumer Commission) ने भारतीय रेलवे को एक यात्री को तिरुपति से दुव्वाडा की यात्रा के दौरान हुई असुविधा के लिए 30,000 रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया है। उक्त जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट में सामने आई है। Indian Railways
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रिपोर्ट के अनुसार, एक 55 वर्षीय व्यक्ति को रेलवे की यात्रा के दौरान शारीरिक और मानसिक तनाव झेलना पड़ा, जिसके लिए आयोग ने दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर) को 25,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं रेलवे को कानूनी कार्रवाई पर लगने वाली लागत के लिए भी यात्री को 5,000 रुपये का अलग से भुगतान करने का भी आदेश दिया गया।
विशाखापत्तनम जिला उपभोक्ता आयोग का भारतीय रेलवे को आदेश
रिपोर्ट में बताया गया है कि एक शख्स वी मूर्ति ने 3 जून, 2023 की यात्रा हेतु तिरुपति से विशाखापत्तनम के पास दुव्वाडा तक अपने और अपने परिवार के लिए तिरुमाला एक्सप्रेस ट्रेन में 4 3एसी टिकट बुक करवाए थे। उन्हें बी-7 कोच में बर्थ आवंटित की गई थी। बाद में मूर्ति को भारतीय रेलवे से एक संदेश मिला जिसमें बताया गया कि उनकी सीट 3ए से 3ई में बदल दी गई है।
इस परिस्थिति में यात्रा के दौरान मूर्ति और उनके परिवार को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि दूसरे कोच में सीट चेंज होने पर उस कोच का एयर कंडीशनिंग ठीक से काम नहीं कर रहा था, शौचालय गंदे थे और पानी की आपूर्ति अपर्याप्त थी। इस परेशानी के मद्देनजर मूर्ति ने इनकी सूचना दुव्वाडा में संबंधित अधिकारियों को दी। बावजूद इसके उक्त मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। परिणामस्वरूप मामला विशाखापत्तनम के जिला उपभोक्ता आयोग में पहुंच गया।
रेलवे की दलील | Indian Railways
उक्त शिकायत के संबंध में भारतीय रेलवे ने दावा किया कि मूर्ति की शिकायत झूठी और बेबुनियाद है और रेलवे ने दावा किया कि व्यक्ति का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ अपने पैसे बचाना था। रेलवे ने कहा कि मूर्ति और उनके परिवार ने रेलवे द्वारा प्रदान की गई सभी सुविधाओं का उपयोग करके अपनी यात्रा अच्छे ढंग से सुरक्षित पूरी की।
आयोग का फैसला | Indian Railways
उक्त संबंध में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-एक (विशाखापत्तनम) की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय रेलवे कार्यात्मक शौचालय और सुव्यवस्थित एसी सहित बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है। चूंकि रेलवे ने यात्री से टिकट वसूले और यात्रियों को आरामदायक यात्रा का वादा किया, इसलिए उन्हें सुविधाएं भी मुहैया कराना उनकी प्राथमिकता थी। लेकिन आयोग ने जांच में पाया कि तिरुमाला एक्सप्रेस ट्रेन यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं के अभाव स्वरूप चल रही थी।
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