Government News: शिमला (एजेंसी)। हिमाचल प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को भी गैस सिलेंडर की तर्ज पर सब्सिडी बैंक खाते में देने की तैयारी चल रही है। उपभोक्ताओं के बिजली मीटर उनके आधार नंबर और राशन कार्ड से जोड़ने के बाद सरकार यह नई व्यवस्था शुरू करने जा रही है। प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को पहले पूरा बिल चुकाना होगा, इसके बाद सब्सिडी की राशि उनके खाते में आ जाएगी। नए साल से डीबीटी से सब्सिडी देने के लिए बिजली बोर्ड ने इस माह के अंत तक उपभोक्ताओं की ई-केवाईसी पूरी करने का लक्ष्य रखा है।
सरकार ने ई-केवाईसी करवाकर उपभोक्ताओं के बिजली मीटर उनके आधार नंबर या राशन कार्ड से जोड़ने का काम शुरू किया है। कर्मचारी इन दिनों घर-घर जाकर आधार या राशन कार्ड नंबर की जानकारी एकत्र कर रहे हैं। उपभोक्ताओं से जानकारी लेते समय आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर ओटीपी आ रहा है। नंबर बताने के बाद ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूरी हो रही है। Government News
आधार नंबर से बैंक खाते भी जुड़े होते हैं, ऐसे में जल्द ही सभी घरेलू उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी डीबीटी के माध्यम से खातों में आएगी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक प्रतिमाह बिजली खपत पर प्रति यूनिट की दर से सब्सिडी दे रही है। सब्सिडी की एवज में हर वर्ष बोर्ड को 800 से एक हजार करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाता है।
ई केवाईसी प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक परिवार एक मीटर पर ही बिजली सब्सिडी मिलेगी। अगर किसी उपभोक्ता के नाम पर अधिक कनेक्शन होंगे तो एक को छोड़कर अन्य पर बिना सब्सिडी वाली दरों के हिसाब से ही बिजली शुल्क चुकाना होगा। प्रदेश में कई ऐसे उपभोक्ता भी हैं जिन्होंने मुख्य शहरों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी घर बनाए हैं। इन उपभोक्ताओं से अभी 125 यूनिट प्रति माह खपत न होने पर किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है, लेकिन एक परिवार एक मीटर योजना लागू होने पर उन्हें भी न्यूनतम शुल्क चुकाना ही पड़ेगा।
बिजली मीटरों का लोड अपडेट न करवाने पर लगेगा जुमार्ना बिजली मीटरों का सही लोड अपडेट न करवाने वाले उपभोक्ताओं पर भी अब जुमार्ना लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। लोड दुरुस्त करवाने के लिए उपभोक्ताओं को अधिकतम तीन माह का समय दिया जाएगा। इसके लिए उपभोक्ताओं को टेस्ट रिपोर्ट नहीं देनी होगी, सिर्फ संशोधित सिक्योरिटी जमा करवानी होगी। बोर्ड के पास शिकायतें आई हैं कि कई उपभोक्ता बिजली की खपत अधिक कर रहे हैं और मीटरों पर लोड कम मंजूर करवाया है।