श्रीनगर (एजेंसी)। हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष एवं कश्मीर के मुख्य मौलवी मीरवाइज उमर फारूक ने कहा है कि उन्हें श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में शुक्रवार को खुतबा देने से फिर रोक दिया गया। मीरवाइज ने कहा कि वह 02 सितंबर से अघोषित और मनमाने ढंग से नजरबंद हैं। अलगाववादी नेता की नजरबंदी पर जिला प्रशासन या पुलिस की ओर से कोई हालांकि आधिकारिक बयान नहीं आया है। उन्होंने अपनी नजरबंदी की निंदा करते हुए इसे “अलोकतांत्रिक और अवैध” करार दिया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के प्रमुख धार्मिक निकायों के समूह मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) के संरक्षक होने के नाते उन्हें कल मुस्लिम वक्फ अधिनियम में संशोधन के गंभीर मुद्दे पर सदस्य धार्मिक नेताओं और विद्वानों के साथ चर्चा करने के संबंध में महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई, न ही उन्हें एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मीडिया चैनल द्वारा जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर उनके साथ आयोजित किये जाने वाले मीडिया सत्र में शामिल होने की अनुमति दी गयी।
मीरवाइज ने कहा, “इसी कार्यक्रम में जब मुख्य राज्य पदाधिकारी (जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा) से उनकी नजरबंदी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने हमेशा की तरह इसका साफ तौर पर खंडन किया।” उन्होंने कहाक, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बार-बार मुझे निशाना बनाया जा रहा है और हिरासत में लिया जा रहा है। यह “सामान्य स्थिति” के दावों को झूठलाता है।” मुख्य मौलवी ने कहा कि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और चुनाव आयोग के दिशानिदेर्शों के बावजूद श्रीनगर शहर के विभिन्न कस्बों और गांवों से दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है और लोगों विशेष रूप से राजनीतिक कार्यकतार्ओं तथा युवाओं को परेशान किया जा रहा है और उनसे जमानत बांड लेने के लिए थानों में रिपोर्ट करने के लिए कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि निवारक नजरबंदी और लोगों को पुलिस थानों में रिपोर्ट करने के लिए कहने से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा, चुनावों के मद्देनजर हिरासत में लिए जाने वाले प्रत्येक थाना क्षेत्र के लोगों की लंबी सूची तैयार की गई है। उन्होंने कहा, “हिरासत में लिए गए लोगों और जिनके नाम इन सूचियों में हैं, उनमें डर है कि एक बार गिरफ्तार होने पर उन पर कठोर पीएसए (सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम) और यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।” उन्होंने अधिकारियों से ऐसी कार्रवाइयां नहीं करने की गुजारिश की, जो डर पैदा करती हैं और लोगों को डराती हैं तथा इस तरह उनका उत्पीड़न बंद करने की अपील की। मीरवाइज ने कहा कि वक्फ संशोधन मुद्दे के संबंध में, एमएमयू ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को एक विस्तृत पत्र लिखा है, जिसमें हमारी गहरी चिंताओं और आशंकाओं को दशार्या गया है और उनसे संशोधनों को खारिज करने का अनुरोध किया गया है और जेपीसी के साथ एमएमयू प्रतिनिधियों की बैठक के लिए समय मांगा है।