किसानों के लिए मिसाल बनी चाचा-भतीजा की जोड़ी

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Barnala News: किसानों के लिए मिसाल बनी चाचा-भतीजा की जोड़ी

150 एकड़ की करते हैं खेती, 5 सालों से पराली को नहीं लगाई आग | Barnala News

  • पराली को मिट्टी में मिलाकर करते हैं फसल की बिजाई, उत्पादन में हुआ इजाफा | Barnala News

बरनाला (सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह)। Parali: बरनाला जिले के गांव भद्दलवड्ड निवासी चाचा-भतीजा की जोड़ी ने पराली प्रबंधन में सराहनीय उदाहरण पेश किया है। यह किसान 150 एकड़ से अधिक की खेती करत हैं और पिछले 5 सालों से पराली को आग लगाने की बजाय खेतों में ही मिला रहे हैं। Barnala News

जानकारी के अनुसार जतिन्द्र सिंह दयोल (आयु 43 साल) व उनका भतीजा भुपिन्दर सिंह (आयु 32 साल) निवासी गांव भद्दलवड्ड के पास करीब 15 एकड़ अपनी मालकी जमीन है और करीब 150 एकड़ ठेके पर लेकर खेती करते हैं। वह गेहूं, धान के अलावा आलू, मक्की आदि की बिजाई करते हैं। किसान जतिन्द्र सिंह ने बताया कि उन्होंने करीब 5 सालों से गेहूं व धान की पराली को आग नहीं लगाई। उन्होंंने बताया कि उनको अपने जानकारों से पराली का प्रबंधन करने वाले यंत्रों संबंधी जानकारी मिली। उन्होंने साल 2020 में ग्रुप बनाके सरकार द्वारा सब्सिडी पर दिए जाते यंत्रों के तहत चौपर और सुपरसीडर सब्सिडी पर लिए। इस दौरान मलचर व पलटावां हल सब्सिडी पर लिए।

उन्होंने बताया कि वह गेहूं, धान के अलावा फसली विभिन्नता के तहत मक्की और आलू आदि की भी काश्त कर रहे हैं। उन्होेंने बताया कि कम्बाईन पर एसएमएस लगाकर धान की कटाई करते हैं और इसके बाद मलचर चलाते हैं। फिर रोटावेटर और पलटावा हल चलाते हैं ताकि पराली नीचे तक जमीन में मिल जाए। इसके बाद दोबारा रोटावेटर चलाकर फसल की बिजाई करते हैं। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे उन्होंने पराली को खाद के तौर पर मिट्टी में मिलाना शुरू किया है, 2-3 सालों दौरान मिट्टी की सेहत में सुधार होने लगा है और उत्पादन बढ़ने लगा है। उन्होंने कहा कि इससे जहां मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में विस्तार हुआ है, वहीं फसल उत्पादन भी बढ़ा है और पर्यावरण भी दूषित होने से बच रहा है।

अन्य किसान भी लें प्रेरणा: डिप्टी कमिशनर | Barnala News

डिप्टी कमिशनर पूनमदीप कौर ने गांव भद्दलवड्ड के किसानों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह किसान जहां पर्यावरण व मानवीय सेहत की रक्षा कर रहे हैं, वहीं अच्छी आमदन भी हासिल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के लिए यंत्रों पर सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने बताया कि किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी व कोआॅप्रेटिव सोसायटी या कसटम हाईरिंग सैंटर को 80 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने कहा कि किसान इन यंत्रों का अधिक से अधिक लाभ उठाएं व पराली को आग लगाने की बजाय योग्य प्रबंध करें। Barnala News

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