डिस्क प्रोब्लम हो गई है आम दिक्कत, हलके मे न लें: डा. सिंगला

Kurukshetra News
Kurukshetra News: मरीज का चैकअप करते डा. राजा सिंगला।

आयुर्वेद में है डिस्क समस्या का ईलाज, पंचकर्मा से हो रहे मरीज ठीक

  • पंचकर्मा के तहत कटी बस्ती से रमेश को मिल गई डिस्क प्रोबल्म से निजात | Kurukshetra News

कुरुक्षेत्र (सच कहूँ/देवीलाल बारना)। Kurukshetra News: आयुर्वेद में शरीर की विभिन्न बीमारियों को ठीक करने की अपार संभावनाएं है, बशर्ते ईलाज सही ढंग व सही समय पर मिल जाए। आजकल डिस्क समस्या आम दिक्कत हो गई है। हर कोई डिस्क प्रोब्लम से पीडित दिखाई देता है। ऐसे में श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय में इस समस्या के साकार परिणाम सामने आ रहे हैं। इस बारे में आयुष विश्वद्यिालय के डा. राजा सिंगला ने दैनिक सच कहूँ से विस्तार से बातचीत की और कहा कि आयुर्वेद में हर बीमारी का ईलाज संभव है। Kurukshetra News

पंचकर्मा के माध्यम से सभी बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। उन्होने कहा कि आज डिस्क समस्या आम दिक्कत बन गई है। इस समस्या के कारण अनेकों लोग पीडित हैं। कई तो ऐसे मरीज भी आते हैं जिन्हे ऑपरेट के लिए बोल दिया जाता है लेकिन पंचकर्मा के माध्यम से उनका बिना ऑपरेशन के ही सही ईलाज हो रहा है। एक मरीज का जिक्र करते हुए डा. सिंगला ने बताया कि कुरुक्षेत्र जिला के ही गांव पिंडारसी के रमेश कुमार जोकि पेंट करने का काम करते थे। डिस्क दिक्कत हुई जिसका स्पाईन डायामीटर 4 एमएम था, कई अस्पतालों में चैकअप के बाद उसे ऑपरेट करने के लिए बोला गया था लेकिन वह मेरे पास आया तो टीम ने उसका ईलाज शुरु किया।

रमेश को दो लोग पकड़ कर लेकर आए थे, वह स्वयं चल भी नही सकता था। कमर में दर्द था, पैरों में दर्द था, कमर में अकडऩ थी जिस कारण चलना तो दूर करवट भी नही ले सकता था। शुरु में कुछ दवाईयां दी उसके बाद 15 दिन के लिए अस्पताल में दाखिल किया। इस दौरान मरीज को हार श्रृंंगार का काढा दिया गया। पंचकर्म चिकित्सा में गुगल कल्प, कटी बस्ती शुरु की गई। पत्तर पोटली व बस्ती चिकित्सा शुरु की गई। 15 दिनों के दौरान ही रमेश को बहुत ज्यादा फायदा मिला और इस दौरान वह स्वयं चल सकता है और सीढीयां चढ व उतर सकता है।

खाने के भी पड़ गए थे लाले: रमेश

इस बारे में रमेश ने बताया कि वह पेंट का काम कर अपने परिवार का गुजर बसर कर रहा था लेकिन कुछ माह पहले सीढी पर चढकर पेंट करने के कारण उसको डिस्क दिक्कत आ गई। वह पूरी तरह से बैड पर आ गया। इस दौरान उसने कुरुक्षेत्र के अस्पतालों के अलावा करनाल और चंडीगढ पीजीआई में भी अपना चैकअप करवाया। लेकिन डॉक्टरों ने उसे ऑपरेट करवाने के लिए बोला। ऐसे में दिहाडी मजदूरी कर वह परिवार चला रहा था, शरीर के जवाब देने के बाद दिहाडी का काम भी बंद हो गया और उसके परिवार पर खाने के भी लाले पड गए। इसके बाद उसने श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय में ईलाज शुरु करवाया जोकि पूरी तरह निशुल्क था। अब वह स्वयं चल सकता है।

जो द्रव्य मुंह से नही खिला सकते, देते हैं ऐनिमा के जरिए | Kurukshetra News

डा. राजा सिंगला ने बताया कि जो पदार्थ हम मुंह के जरिए शरीर में नही भेज सकते, उसके ऐनिमा के जरिए दिया जाता है। इसे बस्ती कहा जाता है। इस प्रकार के केस में कटी बस्ती करवाई जाती है। जिससे आटे से रोककर द्रव्य को शरीर पर रखा जाता है। इससे नसें खुलनी शुरु हो जाती हैं। इसी दौरान हार श्रृंगार के काडा पिलाया जाता है।

कमर दर्द है तो इग्रोर न करें

डा. राजा सिंगला ने कहा कि आज कमर दर्द आम बात है लेकिन ज्यादा कमर दर्द होने पर इसे इग्रोर न करें बल्कि डॉक्टर कर सलाह लें। आजकल खानपान बदल रहा है कई बार डिस्क बाहर निकल रही होती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। उन्होने बताया कि श्री कृष्णा आयुष विश्वद्यालय में निशुल्क ईलाज किया जाता है।

यह भी पढ़ें:– Delhi Air Pollution: इस सरकार ने किये 1 जनवरी तक पटाखे बैन!