RBI News: 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट पर आई बड़ी अपडेट, आरबीआई ने किया बड़ा खुलासा, जानें यहाँ

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RBI News: 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट पर आई बड़ी अपडेट, आरबीआई ने किया बड़ा खुलासा, जानें यहाँ

500 Rupees: आरबीआई द्वारा देश में सकुर्लेशन से बाहर किए गए दो हजार रुपये के गुलाबी नोटों (2000 रु.) को लेकर अपडेट दिया गया है। बीते साल मई महीने में इन करेंसी नोट को चलन से बाहर किया था, लेकिन अब तक बाजार में मौजूद 100 फीसदी नोटों की वापसी नहीं हो सकी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस संबंध में डिटेल शेयर करते हुए कहा इस मूल्य के 97.96 फीसदी नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं, लेकिन अभी भी लोग 7,261 करोड़ रुपये मूल्य के ये गुलाबी नोट अपने पास दबाए बैठे हैं। RBI News

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बाजार में अभी भी बचे हैं 7581 करोड़ रुपये | RBI News

बीते 1 जुलाई 2024 को भारतीय रिजर्व बैंक ने जो आंकड़े शेयर किए थे, उनके मुताबिक 7581 करोड़ रुपये के 2000 रुपये के नोट बाजार में बचे हुए थे। केन्द्रीय बैंक के अनुसार इन करेंसी नोट को चलन से बाहर किए जाने के बाद से अब तक 97.87 फीसदी नोट ही बैंकिंग प्रोसेस में वापस आए हैं, जबकि 2.13 फीसदी गुलाबी नोट लोगों के पास बने हुए हैं। इन दो फीसदी से ज्यादा नोटों की वैल्यू 7,581 करोड़ रुपये बताई गई है। बीते वर्ष 19 मई 2023 को जब भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने का ऐलान किया था, तो उस समय मार्केट में कुल 3.56 लाख करोड़ की मूल्य के 2,000 रुपये के नोट मौजूद थे, जबकि 29 दिसंबर 2023 को ये आंकड़ा घटकर सिर्फ 9,330 करोड़ रुपये रह गया था। वहीं इसके बाद नोटों की वापसी की रफ्तार कुछ धीमी पड़ी और अभी भी 7,581 करोड़ रुपये के नोटों की वापसी का इंतजार है।

500 रुपये के सर्वाधिक 5.16 लाख नोट मौजूद

आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च, 2024 तक मात्रा के हिसाब से 500 रुपये के सर्वाधिक 5.16 लाख नोट मौजूद थे, जबकि 10 रुपये के नोट 2.49 लाख संख्या के साथ दूसरे स्थान पर रहे। रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2023-24 में चलन में मौजूद बैंक नोटों के मूल्य और मात्रा में क्रमश: 3.9 प्रतिशत और 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह वृद्धि क्रमश: 7.8 प्रतिशत और 4.4 प्रतिशत रही थी। यह रिपोर्ट 2,000 रुपये के नोट वापस लेने के बारे में कहती है कि 2016 में नोटबंदी के बाद शुरू किए गए इस मूल्यवर्ग के लगभग 89 प्रतिशत नोट चार साल से अधिक समय से चलन में थे लिहाजा उन्हें बदलने की जरूरत थी। इसके अलावा उन नोट का लेनदेन में आमतौर पर इस्तेमाल नहीं होता था।