चुहिया ने हाथी से पाँव दबवाए

Children's Story
Children's Story: चुहिया ने हाथी से पाँव दबवाए

लैला ख़्वाजा बानो
Children’s Story: एक थी चिड़िया और एक थी चुहिया। चिड़िया बोली, ‘‘चलो बहन आज जरा जंगल की सैर कर आएँ।’’ चुहिया ने कहा, ‘‘अच्छा बहन चलो।’’ चुहिया जमीन पर चली और चिड़िया हवा में उड़ने लगी। रास्ते में मिला एक हाथी। चुहिया उसके पैर तले दब गई तो बेचारी चिड़िया अपनी बहन के लिए रोने लगी। लेकिन जब हाथी ने पाँव उठाया तो सख़्त-जान चुहिया उछल कर भागी और चिड़िया को रोते देखा तो कहा, ‘‘बहन, तू क्यों रोती है?’’ चिड़िया ने कहा, ‘‘तेरे दबने और मरने के गम में।’’

चुहिया बोली, ‘‘मरें मेरे दुश्मन, मैंने तो हाथी से जरा पाँव दबवाए थे।’’

आगे आया दरिया, चिड़िया तो उड़ कर पार हो गई और चुहिया गोते खाने लगी और बहुत मुश्किल से पार हुई। चिड़िया किनारे पर बैठी चुहिया के लिए रो रही थी। चुहिया आई तो बोली, ‘‘रोती क्यों है? मैं तो जरा नहाने को ठहर गई थी।’’ फिर आया कांटों का जंगल, चिड़िया तो उड़ कर निकल गई। मगर चुहिया कांटों से लहू-लुहान हो गई। चिड़िया फिर रोने लगी, तो चुहिया ने कहा, ‘‘रो मत, मैंने तो जरा नाक-कान छिदवाए हैं।’’

चिड़िया ने कहा, ‘‘अरी तू बड़ी बातूनी है। दुख सहती है और बे-हयाई से उसकी तारीफ करती है।’’ चुहिया ने कहा, ‘‘दीवानी, दुख में यूँ ही सब्र आया है।’’ Children’s Story

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