Bribery Scandal in JDA: जयपुर (सच कहूं न्यूज)। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ऑफिस के घूसखोर तहसीलदार, जेईएन, पटवारी समेत 6 अधिकारियों और 1 दलाल ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की पूछताछ में उन्होंने कहा कि यह काम (रिश्वतखोरी) सालों से चलता आ रहा है। हर जोन में इसी प्रकार से फाइल पास होती है। पैसा ऊपर तक जाता है। जो हमसे पैसा ऊपर तक लेते हैं, उनको भी पकड़िए। Jaipur Bribery Scandal
उधर, घूसकांड के बाद उपायुक्त सहित सात अधिकारियों-कर्मचारियों को जेडीए ने निलंबित कर दिया है। एसीबी के एक्शन के बाद शनिवार को जेडीसी मंजू राजपाल ने 7 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर अपने मूल विभाग में भेज दिया है। लम्बे समय से तैनात जोन उपायुक्त के कामकाज में भी बदलाव किया है।
शिकायत मिलने के बाद अधिकारियों की हर हरकत पर एसीबी नजर बनाए हुए थी
दरअसल एसीबी ने शुक्रवार की शाम करीब छह बजे जेडीए ऑफिस (जोन-9) में कार्रवाई की थी। मौके से तहसीलदार लक्ष्मीकांत गुप्ता, जेईएन खेमराज मीणा, पटवारी रविकांत शर्मा, पटवारी विमला मीणा, गिरदावर रुक्मणी (पटवारी का चार्ज), गिरदावर श्रीराम शर्मा और दलाल महेश मीणा को गिरफ्तार किया गया था। महेश शर्मा (दलाल), पटवारी विमला मीणा का पति है।
एसीबी के डीआईजी डॉ.रवि ने बताया- शिकायत मिलने के बाद इन अधिकारियों की हर हरकत पर एसीबी नजर बनाए हुए थी। एसीबी के पास गिरफ्तार अधिकारी और दलालों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। कुछ को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा। पैसे का खेल कैसे चलता है, कहां तक जाता था, इसकी पूरी जानकारी एसीबी के पास है। जल्द जोन-9 के डीसी और अन्य स्टाफ को भी एसीबी पूछताछ के लिए मुख्यालय लाएगी। एसीबी को 6 अधिकारियों और 1 दलाल के खिलाफ अन्य फाइलों में पैसा लेने की जानकारी मिली है।
43 फाइलें अलग-अलग टेबल पर मिलीं | Jaipur Bribery Scandal
डीआईजी डॉ.रवि ने बताया- जोन-9 में कार्रवाई दौरान लैंड (भूमि) कंवर्जन की करीब 43 फाइलें अलग-अलग टेबल पर मिली हैं। इन फाइलों को रोकने के पीछे भी पैसा नहीं मिलना मुख्य कारण सामने आ रहा है। इन फाइलों के मालिकों से सम्पर्क कर वजह जानने का प्रयास किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, जेडीए के अधिकारियों के लिए रिश्वत लेनदेन का काम दलाल करते हैं। जेडीए में किसी भी काम में पैसा सीधे बाबू (क्लर्क) मांगता है। काम होने के दौरान वह अन्य लोगों के हिस्से की जानकारी पीड़ित को दे देता है। इस दौरान किसी अधिकारी का तबादला हो जाता है तो बाबू रेट बढ़ाकर पैसा मांगता है।
दलाल पीड़ित से फाइल लेकर पैसा तय करके बता देता है
अगर बाबू को लगता है कि पार्टी उसके जाल में नहीं फंसेगी तो तहसीलदार और एटीपी (असिस्टेंट टाउन प्लानर) को उसकी जानकारी देकर पीड़ित को उनके पास भेज देता है। एटीपी और तहसीलदार दलाल की जानकारी उसे देकर बात करने की बोल देते हैं। इसके बाद दलाल पीड़ित व्यक्ति से फाइल लेकर सभी का पैसा तय करके बता देता है। पैसा लेने के बाद फाइल को कुछ घंटों में निकाल दिया जाता है। इसके बाद पैसा सभी को बंट जाता है।
लैंड (भूमि) कंवर्जन के काम को लेकर एक पीड़ित से सितंबर 2023 से रुपए की मांग की जा रही थी। पीड़ित ने जोन नंबर-9 के तहसीलदार, जेईएन, पटवारी, गिरदावर से कई बार मुलाकात कर काम करने की गुजारिश की थी। इसके बाद भी रुपए की मांग कर उसे लगातार परेशान किया जा रहा था। इस दौरान पटवारी विमला मीणा के पति महेश (दलाल) ने काम कराने के लिए 12 से 13 लाख रुपए की डिमांड रखी थी। कई बार बात करने के बाद 1.50 लाख रुपए में डील तय हुई थी। Jaipur Bribery Scandal
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