नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। Independence Day: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेडिकल क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए छात्रों के विदेश जाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि अगले पांच साल में 75 हजार मेडिकल सीटें बनायी जाएगी। मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी के लाल किले के प्राचीर से 78वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि प्रतिवर्ष लगभग 25000 छात्र मेडिकल शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं। यह छात्र मूल रूप से मध्यम वर्ग के होते हैं जिससे इन परिवारों पर गहरा आर्थिक बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए अगले पांच साल में मेडिकल क्षेत्र में 75 हजार सीटें सृजित की जाएगी। Independence Day
देश में सेक्युलर सिविल कोड अब समय की मांग: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मौजूदा नागरिक संहिता को सांप्रदायिक और भेदभाव पर आधारित बताते हुए गुरुवार को कहा कि अब समय की मांग है कि पूरे देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (सेक्युलर सिविल कोड) लागू हो। मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि नागरिक संहिता भेदभावपूर्ण तथा सांप्रदायिक है और अब इसकी जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस बारे में बार-बार चर्चा की है और आदेश भी दिये हैं। उन्होंने कहा , ह्लसुप्रीम कोर्ट ने यूनीफोर्म सिविल कोड को लेकर बार-बार चर्चा की है और आदेश दिये हैं तथा देश का बड़ा वर्ग मानता है कि सिविल कोड एक तरह से सांप्रदायिक सिविल कोड है, भेदभाव करने वाला है और इसमें सच्चाई भी है। Independence Day
]उन्होंने कहा कि अभी संविधान के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं और उच्चतम न्यायालय तथा संविधान की भी यही भावना है तो संविधान निमार्ताओं के सपनों को पूरा करना हमारा दायित्व है। उन्होंने कहा, ‘हम जब संविधान के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट भी कह रहा है और संविधान की भावना भी कह रही है और तब संविधान निमार्ताओं का जो सपना था उसे पूरा करना हम सबका दायित्व है।
उन्होंने कहा कि अब समय की मांग है कि पूरे देश में इस पर चर्चा हो और देश में सेक्युलर सिविल कोड लागू किया जाना चाहिए। उन्होंंने कहा कि देश ने सांप्रदायिक नागरिक संहिता में 75 वर्ष बिताये हैं लेकिन अब इस भेदभाव वाले कानून में बदलाव का समय आ गया है। उन्होंंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि इस गंभीर विषय पर देश में चर्चा हो। व्यापक चर्चा हो और सब अपने सुझाव लेकर आयें और उन कानूनों को जो धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं जो ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, उन कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता है और इसीलिए मैं तो कहूंगा, अब समय की मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो। हमने सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताये हैं अब हमें सेक्युलर सिविल कोड की ओर जाना होगा और तब जाकर देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहे हैं सामान्य नागरिक को उससे मुक्ति मिलेगी। Independence Day
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