ISRO News: नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने भारत के महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-4 को लेकर बड़ी बात बताई है। उन्होंने बुधवार को बताया कि चंद्रयान-4 को चांद से मिट्टी के नमूने वापस लाने के लिए बनाया गया है। इसे एक बार में नहीं, बल्कि दो अलग-अलग रॉकेट लॉन्च करके अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा जाएगा। फिर अंतरिक्ष में ही इन दोनों भागों को जोड़कर चंद्रयान-4 को पूरा बनाया जाएगा और उसके बाद ही चांद की तरफ भेजा जाएगा। इतना ही नहीं, देश के अपने अंतरिक्ष स्टेशन को बनाने में भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा यानी उसके हिस्सों को एक बार में नहीं, बल्कि कई बार में भेजा जाएगा। उन हिस्सों को अंतरिक्ष में ही जोड़कर अंतरिक्ष स्टेशन बनाया जाएगा। देश के अपने अंतरिक्ष स्टेशन का नाम भारत अंतरिक्ष स्टेशन होगा।
इस वजह से दो हिस्सों में होगा लांच | ISRO News
चंद्रयान-4 को दो हिस्सों में इसलिए लॉन्च किया जाएगा क्योंकि यह इतना भारी है कि इसे अभी इसरो के पास मौजूद किसी भी रॉकेट में एक साथ नहीं ले जाया जा सकता है। अंतरिक्ष स्टेशन और इसी तरह की दूसरी चीजों को पहले भी अंतरिक्ष में ही अलग-अलग भागों को जोड़कर बनाया गया है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि चंद्रयान-4 दुनिया का पहला ऐसा यान होगा जिसे कई भागों में लॉन्च करके अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा। भारत का चौथा मून मिशन 2028 के आस-पास लॉन्च हो सकता है।
रूप रेखा तैयार, चांद से मिट्टी के नमूने लाए जाएंगे | ISRO News
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो चीफ ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘हमने चंद्रयान-4 की रूपरेखा तैयार कर ली है… यानी चांद से मिट्टी के नमूने वापस पृथ्वी पर कैसे लाए जाएं। चूंकि अभी हमारे पास इतने ताकतवर रॉकेट नहीं है कि सब कुछ एक साथ ले जा सके, इसलिए हम इसे कई बार में लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए, हमें अंतरिक्ष में ही यान के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने की क्षमता (डॉकिंग) विकसित करनी होगी – ये जोड़ने की क्षमता पृथ्वी की कक्षा में भी और चांद की कक्षा में भी काम करेगी। हम इसी क्षमता को विकसित कर रहे हैं। इस साल के अंत में स्पेडेक्स नाम का एक मिशन है जिसका मकसद यही डॉकिंग क्षमता को प्रदर्शित करना है।’
एस. सोमनाथ ने डॉकिंग के बारे में बताते हुए कहा, ‘चांद से वापसी के दौरान अंतरिक्ष यान के विभिन्न भागों को जोड़ना एक सामान्य सी प्रक्रिया है। यान का एक हिस्सा मुख्य यान से अलग होकर चांद पर उतरता है, जबकि दूसरा हिस्सा चांद की कक्षा में ही रहता है। जब उतरने वाला हिस्सा चांद की सतह से वापस आता है, तो ये दोनों हिस्से फिर से जुड़ जाते हैं और एक हो जाते हैं। हालांकि, चंद्रमा की यात्रा के लिए पृथ्वी की कक्षा में यान के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ना अब तक नहीं किया गया है।’ इसरो चीफ ने कहा, ‘हम यह दावा नहीं कर रहे हैं कि हम ऐसा करने वाले पहले हैं, लेकिन हां, मुझे अब तक ऐसा करने वाले किसी और के बारे में जानकारी नहीं है।’