किसान आज संघर्ष के दौर से गुजर रहा, संगठित होकर इस लड़ाई को जीता जा सकता है: चौ राकेश टिकैत

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Uttarakhand News : किसान आज संघर्ष के दौर से गुजर रहा, संगठित होकर इस लड़ाई को जीता जा सकता है: चौ राकेश टिकैत

भाकियू ने हरिद्वार में आयोजित चार दिवसीय चिंतन शिविर में सरकार को याद दिलाई पुरानी 15 मांगे | Haridwar News

हरिद्वार (सच कहूं/रविंद्र सिंह)। Uttarakhand News: उत्तराखंड स्थित जनपद हरिद्वार में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) संगठन के द्वारा चार दिवसीय आयोजित राष्ट्रीय चिंतन शिविर में देशभर से आए किसानों, मजदूरों, आदिवासियों ने चिंतन शिविर में हिस्सा लिया। शिविर की शुरुआत में तीन सत्र हुए, जिसमें संगठन को लेकर विस्तार पूर्वक गंभीरता से चर्चा की गई भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने राष्ट्रीय चिंतन शिविर में आए किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि कि आज देश का किसान, मजदूर आदिवासी, बेरोजगार, युवा संकट के दौर से गुजर रहा है सरकारों की नीतियां उसे आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं आप सभी की जिम्मेदारी है कि आप सब मिलकर संगठन पर कम करो क्योंकि आने वाले समय में ही संगठन ही इस देश को बचाएगा। Haridwar News

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह ने शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी संगठन को चलाने के लिए सर्वप्रथम आप सभी को अनुशासन में रहकर कार्य करने होंगे जिससे किसानों का भविष्य तय हो सके।

चिंतन शिविर में आज अध्यक्षता ओमप्रकाश कडेला वह मंच का संचालन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पवन खटाना ने किया जिसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव राजवीर सिंह जादौन उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल शर्मा सहित खापों के चौधरी व संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे,सभी ने किसानों की समयाओं को लेकर अपने अपने विचार रखे।

चिंतन शिविर में भाकियू ने सरकार को स्मरण पत्र किया जारी | Haridwar News

  • सरकार को याद दिलाने के लिए ये स्मरण पत्र: भाकियू
  • किसान गांव की पगडंडियों से शहर की चमकीली सड़कों तक संघर्ष करता आ रहा है: टिकैत

भारतीय किसान यूनियन ने हरिद्वार में आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन में देश की सरकार को याद दिलाते हुए कहा कि देश का कमेरा वर्ग पूर्व के समय से ही अपनी मांगों को लेकर गांव की पगडंडी से देश की चमकीली सड़कों तक संघर्ष करता रहा है। समय बदलता रहा साथ-साथ सरकारें बदलती रही, लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो वह है इस देश के किसान करेगा। बढ़ती हुई महंगाई आज इस वर्ग के सामने चुनौती बनी हुई है। देश के अन्दर अभी 2024 के लोकसमा चुनाव पूर्ण हुए हैं। जिसमें एनडीए की सरकार ने शपथ ग्रहण की है। हम सरकार को अपनी पूर्व की स्मरण कराना चाहते है।

जिसमे सरकार को पुरानी मांगो की याद दिलाते हुए 15 सूत्रीय मांग का स्मरण पत्र जारी किया गया। जिसमे सभी मांगों का इस पत्र के द्वारा मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण रखें, भोजन, दवाओं, कृषि इनपुट और मशीनरी पौनी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी हटाएं, पेट्रोलियम उत्पादों और रसोई गैस पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में काशी कमी करें।

वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों, खिलाड़ियों को रेलवे द्वारा कोचिंग के बहाने वापस ली गई रियायतें बहाल की जाए।

खाद्य सुरक्षा की गारंटी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाना।

सभी के लिए मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य पानी और स्वच्छता के अधिकार की गारंटी नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द करें।
सभी के लिए आवास सुनिश्चित करें।

वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) का कड़ाई से कार्यान्वयन बन (संरक्षण) अधिनियम, 2023 और जैव-विविधता अधिनियम और नियमों में संशोधन वापस लें जो केंद्र सरकार को निवासियों को वित्त किए बिना जंगल की निकासी की अनुमति देते हैं। जोतने वाले को भूमि सुनिश्चित करें।

सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सरकारी विभागों का निजीकरण बंद करें और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को खत्म करें। खनिजों और धातुओं के खनन पर मौजूदा कानून में संशोधन करें और स्थानीय समुदायों, विशेषकर आदिवासियों और किसानों के उत्थान के लिए कोयला खदानो सहित खदानों से लाभ का 50 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित करें।

बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 को वापस लें। कोई प्री-पेड स्मार्ट मीटर नहीं।

किसानों को बीज, उर्वरक और बिजली पर सब्सिडी बढ़ाएं, किसानों की उपज के लिए एमएसमी / सी – टू+50 की कानूनी गारंटी दें और खरीद की गारंटी दें। किसानों की आत्महत्याओं को डर कीमत पर रोकें।

कॉर्पोरेट समर्थक पीएम फसल बीमा योजना को वापस लें और जलवायु परिवर्तन, सूखा व फसल संबंधी बीमारियों आदि के कारण किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सभी फसलों के लिए एक व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना स्थापित करें। सभी कृषक परिवारों को कर्ज के जाल से मुक्त करने के लिए व्यापक ऋण माफी योजनाका घोषणा करें।

केंद्र सरकार द्वारा दिए गए लिखित आश्वासनों को लागू करें, जिसके आधार पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष को निलंबित कर दिया गया था। सभी शहीद किसानों के लिए सिधू सीमा पर स्मारक मुआवजा दे, और उनके परिवारों का पुनर्वास करें, सभी लंबित मामलों को वापस ले गृह राज्यमंत्र अजय मिश्रा टेनी पर मुकदमा चलाया जाए।

एनपीएस को खत्म करें। ओपीएस को बहाल करें और सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें। संविधान के मूल मूल्यों-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति का अधिकार, नर्म की स्वतंत्रता, विधिय संस्कृतियों, भाषाओं, कानून के समक्ष समानता और देश की संघीय संरचना आदि पर हमला बंद करें जेसी मांगे सरकार को याद दिलाई गई। Haridwar News

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