पीएम और सीएम के नाम डीएम को सौंपा ज्ञापन
हरिद्वार (सच कहूँ/रविंद्र सिंह)। भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के जरिए हरिद्वार में 9 से 11 जून -2024 तक तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में देश के किसानों व कृषि के संबंध में चर्चा के दौरान अनेक समस्या व उनके सुझाव आए। यह जनकारी भाकियू के राष्ट्रिय प्रवक्ता धर्मेन्द्र सिंह मलिक ने दी। Haridwar News
उन्होंने बताया कि अधिवेशन के बाद किसानों की समस्याओं को लेकर डीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी के नाम दस सूत्रीय और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम सात सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया है । जिसमे मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य में राज्यों से फसल की लागत के मिलने वाले लागत मूल्य के आंकड़ों के आधार पर एमएसपी लागत सी-टू का डेढ़ गुना तय किया जाए। क्योंकि केंद्र सरकार का फसल की लागत का आधार राज्यों से मिलने वाले लागत मूल्य से कम रहता है।
इसी तरह ए टू +एफएल और सी-टू के फार्मूले के बीच भी व्यापक अंतर है। कृषि लागत व मूल्य आयोग के स्थान पर न्यायाधिकरण बनाया जाये।कृषि निर्यात को अनुमान के आधार पर न रोका जाये, क्योंकि कृषि निर्यात को रोकने से किसान की कृषि उपज का मूल्य गिर जाता है।और सभी मुख्य फसलों के साथ ही मुख्य फल-सब्जी, दूध व शहद आदि को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाया जाना चाहिए।किसानो के सभी क़र्ज़ माफ़ किये जाये। एक चीनी मिल लगाने के लिए दूसरी चीनी मिल की न्यूनतम दूरी मानदंड को कम किया जाये आदि सम्याओं को लेकर पीमए के नाम ज्ञापन सौपा। Haridwar News
सात सूत्रीय ज्ञापन देकर समस्याओँ के समाधान की बात कही
भाकियू के वरिष्ठ पदाधिकारी के मांगेराम त्यागी, राजवीर सिंह,हरिनाम सिंह,दिनेश पंडित ने बताया कि इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के नाम भी सात सूत्रीय ज्ञापन देकर समस्याओँ के समाधान की बात कही गई है। जिसमे मुख्यतः उतराखंड राज्य की पहाड़ी भूगोल और परिस्थितिया ही ऐसी है कि खेती योग्य ज़मीन कुल भूमि का केवल 10 या 15 प्रतिशत है। साथ ही प्रति परिवार औसतन एक हेक्टेयर से कम ज़मीन है, इसलिए पहाड़ों की आबादी के अस्तित्व के लिए फसलों की एमएसपी तय करना व् उसकी खरीद की व्यवस्था करना महत्वपूर्ण हैं।खेती से आमदनी नहीं होने के चलते अधिकांश लोग मैदानी इलाकों में पलायन कर गए है।
किसानों की आय की बढ़ोतरी के लिए उतराखंड के फल-सब्जी उत्पादनों के लिए भी एमएसपी का प्रावधान किया जाये। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए बेहतर व्यवस्था लागु की जाए ताकि 14 दिन से अधिक विलम्ब न हो अन्यथा ब्याज की व्यवस्था कानून द्वारा लागु हो। उत्तराखंड में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना व मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना दोनों के अंतर्गत किसानों को सालाना दस हजार की सम्मान निधि मिलने का प्रावधान किया जाये। Haridwar News
किसानों की फसल का जंगली जानवरों से नुकसान, भौगोलिक परिस्थितियां से नुकसान व वर्षा आधारित कृषि के चलते राज्य में पारंपरिक कृषि को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बेहतर बीमा योजना लायी जाये। मोटे अनाजों को प्रोत्साहित करने के लिए उनके बिक्री केंद्र बनाया जाए। इसी तरह जैविक खेती में किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उत्तराखंड के किसानों को देश के विभिन्न राज्यों की तर्ज पर निशुल्क बिजली दी जाए,आदि मांग ज्ञापन के माध्यम से रखी गई है।
इस राष्ट्रीय किसान अधिवेशन में यह रहे मौजूद
संरक्षक बाबा राजेंद्र सिंह मलिक, राजेश सिंह चौहान,मांगेराम त्यागी, महेंद्र सिंह रंधावा,धर्मेंद्र मलिक, जावेद तोमर, उम्मेद सिंह,उपाध्यक्ष राजवीर सिंह,प्रदेश अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा,सलवेन्द्र सिंह कलसी, जगदीश सिंह,दिगंबर सिंह, मुकेश कुशवाहा, विक्की राठी, विक्रम सिंह गौराया, वरिष्ठ किसान नेता दिनेश पंडित (नॉएडा ), आदि पदाधिकारी और किसान मौजूद रहे। Haridwar News
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