A-HELP अब राजस्थान में भी! दूर होगी पशुपालकों की समस्या! अगले माह लागू होगी योजना

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पशु सखी के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना लक्ष्य

जयपुर (सच कहूं/गुरजंट सिंह धालीवाल)। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उन्नत बनाने के लिये केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल से शुरू की गई भारत सरकार की वित्त पोषित A-HELP (Accredited Agent for Health And Extension of Livestock Production) योजना की शुरूआत अब राजस्थान में भी होने जा रही है। Rajasthan News

राजस्थान सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से जून-2024 के दूसरे पखवाड़े से इस योजना का शुभारंभ पशुपालन, डेयरी एवं देवस्थान विभाग के केबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत करेंगे। इस योजना के तहत पशुपालन और ग्रामीण विकास विभाग, राजसथान सरकार की ओर से महिला शक्ति को प्रशिक्षण दिया जाएगा। बिहार, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड के बाद इस योजना को शुरू करने वाला राजस्थान आठवां राज्य होगा। ए-हेल्प योजना के तहत राज्य सरकार पहले चरण में करीब दो हजार चयनित महिलाओं को पशुपालन और ग्रामीण विकास विभाग की ओर से ट्रेनिंग दी जाएगी।

इस प्रशिक्षण में प्रशिक्षार्थी महिला को किस तरह से पशुओं का वैक्सीनेशन किया जाना है? साथ ही उनका कैसे परीक्षण करना है। इसके अलावा उनका इंश्योरेंस कैसे होता है? इन सबकी तमाम जानकारियां दी जाएंगी। ऐसे में राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से न सिर्फ पशुपालकों को लाभ पहुंचेगा। बल्कि, महिला शक्ति को भी रोजगार का जरिया मिल सकेगा।

ए-हेल्प की महत्वपूर्ण भूमिका | A-HELP

इस योजना के लिए हर गांव से एक महिला का चयन कर स्टेट लेवल पर उसकी ट्रेनिंग कराई जाएगी। 16 दिन की ट्रेनिंग के बाद इनका एक मौखिक और लिखित एग्जाम होगा। एग्जाम पास आउट करने के बाद इन्हें पशु सखी या ई-सखी के रूप में जाना जाने लगेगा। इसके बाद पशु सखी को जॉइनिंग दी जाएगी। फिर इनको अपने ही गांव में काम करने का मौका मिलेगा।

A-HELP’ कार्यक्रम के बारे में बात करें तो इसका उद्देश्य महिलाओं को मान्यता प्राप्त एजेंट के रूप में शामिल करके सशक्त बनाना है। ए-हेल्प की भूमिका राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में एफएमडी एवं ब्रुसेला टीकाकरण, पीपीआर उन्मूलन, क्लॉसिक स्वाइन फीवर नियंत्रण और राष्ट्रीय गोकुल मिशन में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम में महत्वपूर्ण होगी। इसी प्रकार डेयरी गतिविधियों का प्रसार एवं क्रियान्वयन,गौ-भैंस वंशीय पशुओं को कान में टैग लगाना, किसान उत्पादक संगठनों को पशुपालन में उद्यमिता विकास के लिये प्रोत्साहित करने,विभिन्न विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग और निचले स्तर तक पशुपालकों को जानकारी उपलब्ध कराने में ए-हेल्प की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।

ट्रेनिंग के बाद पशु सखी की भूमिका | Rajasthan News

सभी ए-हेल्प योजना में चयनित महिलाएं पशुपालन विभाग एवं पशुपालकों के बीच संयोजक का काम करेंगी और पशुपालकों को सरकार की सभी योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध कराएंगी। इस ए-हेल्प योजना के जरिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission) से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की सदस्यों, जिन्हें पशु सखी या ई-सखी के रूप में जाना जाएगा, को कई योजनाओं में केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। क्षेत्र के समस्त पशुओं और पोल्ट्री संख्या का रिकॉर्ड भी ए-हेल्प कार्यकर्ता ब्लॉक स्तर के पशु डॉक्टरों के साथ साझा करेंगी। Rajasthan News

इससे एक तो पशुपालन गतिविधियों का अमल आसान होगा ही दुध उत्पादन पर भी सीधा असर पड़ेगा। इसके अलावा पशु सखी चारा उत्पादन के लिए पशुपालकों को प्रोत्साहित भी करेंगी, जिससे वो चारे की पूर्ति के लिए आत्मनिर्भर बनें। प्रत्येक ए-हेल्प या पशु सखी को फर्स्ट-एड किट भी दी जाएगी, जिससे वो पशुपालकों की प्रारंभिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन्हें उन क्षेत्रों में भेजा जाएगा, जहां पर पशु प्रसाधन अधिकारी नहीं हैं, जिससे पशुपालकों को फायदा मिलने के साथ ही मातृ शक्तियों को रोजगार भी मिलेगा।

जयपुर में होगा पहला ट्रेनिंग कैंप | A-HELP

पशुपालन विभाग के डायरेक्टर डॉ.भवानीसिंह शेखावत ने बताया कि आरएसएलएमएंड टीआई (राजस्थान स्टेट लाइवस्टॉक मैनेजमेंट एंड ट्रेनिंग इंस्टीटयूट), आगरा रोड, जयपुर में जून के दूसरे पखवाड़े में पहला कैंप आयोजित किया जाएगा। इसमें जयपुर जिले की करीब 100 महिलाओं को 25 लोग ट्रेनिंग देंगे।16 दिन तक इन महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी, जिन्हें हेल्थ किट दी जाएगी। इसके बाद उदयपुर, जोधपुर व अजमेर में भी योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण कैंप लगाए जाएंगे। Rajasthan News

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