प्रयागराज (एजेंसी)। Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के छठे चरण में इलाहाबाद और फूलपुर संसदीय सीट के लिए मतदाता लगभग तीन दशक बाद बेखौफ होकर 25 मई को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। पिछले तीन दशकों से प्रयागराज में माफिया डॉन अतीक अहमद का दबदबा था जिसकी पिछले साल हत्या कर दी गयी थी। माफिया से नेता बना अतीक सियासत में अपने दखल से हारी हुई बाजी को जीत में बदलने का माद्दा रखता था। Prayagraj News
15 अप्रैल 2023 की रात प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में पुलिस अभिरक्षा में अतीक और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को तीन युवकों ने गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया। पहली बार ऐसा होगा जब फूलपुर और इलाहाबाद में छठवें चरण में 25 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का चुनाव में मतदाताओं पर कोई खौफ नहीं होगा। Prayagraj News
इस बार अशरफ का भी दखल नहीं | Prayagraj News
वर्ष 2024 में 18वीं लोकसभा चुनाव में अतीक और उसके भाई अशरफ का कोई दखल नहीं रहेगा। जबकि इससे पहले वह सभी चुनाव में घूम-घूमकर किसी न किसी प्रत्याशी के नाम का प्रचार करता था। अतीक की तरफ से जारी फरमान और उसके समर्थन से उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। उसका छोटा भाई अशरफ 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक राजू पाल की हत्या के बाद हुए उपचुनाव में शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से ही विधायक चुना गया था।
माफियाओं और डकैतों की भूमिका खत्म!
राजनीति में लंबे समय से पार्टी के नेताओं को चुनाव जीताने में माफियाओं और डकैतों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनके अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में मतदाता उनके अनुसार ही अपना मतदान करता था। उत्तर प्रदेश से अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, खान मुबारक, मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा माहेश्वरी जैसे माफियाओं का खात्मा के साथ ही जंगलों से ददुआ, ठोकिया और गौरी यादव जैसे डकैतो का खात्मा होने के बाद भले ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह पहला चुनाव हो जिसमें डकैतों और माफियाओं का दखल निचले पायदान पर पहुंच गया, बावजूद इसके प्रदेश की जेलों में बंद कई ऐसे माफिया और बाहुबली अपने करीबियों को जिताने की हर संभव प्रयास करेंगे और उनके रसूख को कुछ राजनीतिक दल भी भुनाना चाहेंगे।
अतीक मुस्लिम समुदाय की गद्दी बिरादरी का नेता रहा। उसका प्रभाव इलाहाबाद और फूलपुर के आसपास रहने वालों के साथ ही पूर्वांचल में अल्पसंख्यक वोटों पर पकड़ मजबूत थी। माफियागिरी के दम पर पांच बार विधायक और एक बार सांसद रहा अतीक 1989 में शहर पश्चिमी से निर्दलीय के रूप में पहली बार विधायक बना। वर्ष 1996 तक वह निर्दलीय ही लड़ा और जीतता रहा। इसके बाद समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थामा और 1996 में चौथी बार विधायक बना। पांचवी बार अपना दल से 2002 में शहर पश्चिमी से ही चुनाव जीता। इसके बाद सपा के टिकट पर 2004 में फूलपुर लोकसभा सीट पर विजय हासिल किया। अतीक के आतंक के अंत के साथ ही उसके प्रभाव वाले क्षेत्रों में मतदाताओं के रुख पर सभी राजनीतिक दलों की नजर है। Prayagraj News
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