Human Trafficking : मानव तस्करी के जाल में मासूम

Human Trafficking

– Human Trafficking –

हाल ही में सीमांचल एक्सप्रेस (12487) से 93 बच्चों को मानव तस्करी (Human Trafficking) के लिए राजस्थान और उत्तराखंड ले जाया जा रहा था। शुक्र है कि सभी बच्चों को प्रयागराज जंक्शन पर मानव तस्करों के चंगुल से सुरक्षित बचा लिया गया। इस मामले में नौ एजेंटों ने सीमांचल एक्सप्रेस के विभिन्न डिब्बों में छह समूहों में बाल तस्करी को अंजाम दिया, जो अपराध की परिष्कृत और संगठित प्रकृति को रेखांकित करता है। यह स्पष्ट है कि मानव तस्कर किस प्रकार बेखौफ होकर काम करते हैं, खुलेआम कानूनों का उल्लंघन करते हैं और हाशिए पर मौजूद लोगों को अपना शिकार बनाते हैं।

ऐसे अनगिनत उदाहरणों के बारे में सोचना चिंताजनक है जब ऐसे मामलों का पता ही नहीं चल पाता और निर्दोष जिंदगियां शोषण और दुर्व्यवहार के चक्र में फंस जाती हैं। हालांकि, मानव तस्करी (Human Trafficking) अंतरराष्ट्रीय अपराध के सबसे तेजी से बढ़ते रूपों में से एक है। विश्व स्तर पर अनुमानित 25 मिलियन वयस्क और बच्चे आधुनिक दासता या मानव तस्करी के अधीन हैं। भारत में 2021 तक मानव तस्करी के करीब 7 हजार मामले सामने आ चुके हैं। मौजूदा मामले में बच्चों की उम्र सीमा 9 से 16 साल के बीच है। जीवन के जिस प्रारंभिक चरण में बच्चों का पालन-पोषण किया जाना चाहिए, उन्हें शिक्षित किया जाना चाहिए और आगे बढ़ने के अवसर दिए जाने चाहिए। इसके बजाय वे तस्करी की अंधेरी खाई में अपने अधिकारों, गरिमा और स्वतंत्रता से वंचित हो जाते हैं। मानव तस्करी सिर्फ एक अपराध नहीं है, यह बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है। यह व्यक्तियों से उनकी स्वायत्तता, गरिमा और स्वतंत्रता छीन लेता है, उन्हें जबरन श्रम और यौन शोषण से लेकर अंग तस्करी और जबरन विवाह तक अकथनीय भयावहता का शिकार बनाता है।

मानव तस्करी से निपटने के प्रयास बहुआयामी और सहयोगात्मक होने चाहिए। कानून प्रवर्तन एजेंसियों, सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और समुदायों को तस्करी नेटवर्क को खत्म करने, अपराधियों पर मुकदमा चलाने और बचे लोगों को व्यापक सहायता प्रदान करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। इस जटिल मुद्दे को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए रोकथाम, सुरक्षा और अभियोजन साथ-साथ चलना चाहिए। निवारक उपायों को गरीबी, शिक्षा की कमी और सामाजिक असमानता जैसे असुरक्षा के मूल कारणों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जोखिम वाले व्यक्तियों को शिक्षा, आर्थिक अवसर और सामाजिक सहायता नेटवर्क तक पहुंच प्रदान करने से शोषण के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त समुदायों के भीतर जागरूकता बढ़ाने और सतर्कता को बढ़ावा देने से व्यक्तियों को तस्करी के मामलों को पहचानने और रिपोर्ट करने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है। लिहाजा हम सभी को इस आधुनिक गुलामी को खत्म करने के अपने संकल्प में एकजुट होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर बच्चे को उनकी परिस्थितियों के बावजूद सम्मान और स्वतंत्रता का जीवन जीने का अवसर मिले।

-देवेन्द्रराज सुथार