– Summer Tips –
गुरप्रीत संगरूर। पंजाब, हरियाणा, एवं दिल्ली में राजनैतिक गर्मी के साथ साथ मौसम में जैसे-जैसे तापमान बढ़ता जा रहा है, आम जनता की मुसीबतें बढ़ती जा रही है। सभी गर्मी से बेहाल हैं। गर्मी (Summer Tips) से बचने के लिए लोग अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। यूँ तो मानव त्वचा में स्वाभाविक रूप से सूरज से बचने की क्षमता होती है। त्वचा में उपस्थित मिलेनिन सूर्य की किरणों के प्रभाव को कम करने के लिए कोशिकाओं के चारों ओर एक सुरक्षात्मक कवच बनाता है जिससे पराबैंगनी किरणे शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती और सूरज का प्रभाव कम हो जाता है। गोरे लोगों में मिलेनिन की मात्रा कम होने के कारण उनकी त्वचा सूरज की किरणों से सुरक्षित नहीं होती जिससे उन्हें जलन या दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यहाँ तक कि सूरज की पराबैंगनी किरणें उनमें त्वचा के कैंसर का कारण भी बन सकती है। सूरज की तेज धूप से बचने के लिए केवल सनस्क्रीन का प्रयोग काफी नहीं।
तेज गर्मी से होने वाली बीमारिया :
1. हीट सिनकोप:
उन लोगों को होती है जिनमें पहले से पानी की कमी है या जो लोग तेज धूप के अभ्यस्त नहीं है। बहुत देर तक धूप में खड़े रहने पर चक्कर आना या सर में हल्का पन हो सकता है।
2. हीट क्रेम्प्स:
जो लोग बहुत तेज धूप में कठिन परिश्रम करते हैं, उन्हें अधिक पसीना आने के कारण शरीर से पानी और नमक की कमी हो जाती है। पानी और नमक की कमी होने से मांसपेशियों, हाथ पैरों में दर्द या पेट में दर्द हो जाता है।
3. हीट रेश (घमौरियां):
त्वचा पर इरिटेशन होना जो अत्यधिक पसीना आने से होता है तेज गर्मी और आर्द्र वातावरण में काम करने पर अत्यधिक पसीना आने से लाल रंग के दाने (घमौरियाँ) माथे, चेहरे छाती और पीठ के ऊपरी भाग में, कमर या कोहनी के अंदर वाले भाग में आ सकती हैं। इनके कारण जलन, चुभन या दर्द हो सकता है।
4. हीट एग्जाशन:
बहुत तेज तापमान में अधिक देर तक काम करने से शरीर से बहुत अधिक पसीना आने के कारण पानी और नमक की अत्यधिक कमी हो जाती है। इसमें सिरदर्द, उल्टी आना, चक्कर आना, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, चिड़चिड़ापन अधिक प्यास लगना, बहुत ज्यादा पसीना जाये। आना, शरीर के तापमान का बढ़ जाना या पेशाब कम होना है।
5. हीट स्ट्रोक (लू लगना):
गर्म वातावरण में देर तक काम करने से शरीर अपने तापमान को नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाता है पसीना आने की प्रक्रिया अनियंत्रित हो जाने के कारण 10 से 15 मिनट के अंदर शरीर का तापमान 106 डिग्री फारेनहाइट या उससे ज्यादा हो जाता है। शरीर में पसीना आना बंद हो सकता है, मानसिक स्थिति बदल जाती है, बेहोशी छाने लगती है, मरोज कोमा में जा सकता है, जुबां लड़खड़ा जाती है, त्वचा सूखी गर्म हो जाती है। इसके अलावा इसमें दौरा आने का भी खतरा होता है। यह सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति है क्योंकि उचित समय पर उपचार न मिल पाने पर स्थाई रूप से अक्षमता या मृत्यु भी हो सकती है।
क्या करें उपचार || Summer Tips
सबसे पहले मरीज को धूप या गर्म वातावरण से निकाल कर किसी ठंडी जगह में ले जाया जाए पंखा, कूलर, ए.सी. से ठंडक दी जाए। तरल पदार्थ जैसे पानी, नींबू की शिकंजी, नारियल का पानी, ओआरएस का घोल दिया जाए ताकि शरीर में पानी और नमक की कमी को पूरा किया जा सके।
अगर आपके पास पानी की सुविधा है तो ठंडे पानी से तापमान को कम करने का प्रयास करें। कपड़ों को ठंडे पानी से गीला कर दें। ठंडे पानी से सिर के ऊपर, बगल और जांधों में ठंडे पानी के टावल रखें। अगर किसी को चक्कर आए हैं तो आप उसको लिटा सकते हैं। यदि किसी को लू लगी है और उसका तापमान बहुत ज्यादा है, बेहोश है, आयु 4 साल से कम उम्र या 65 साल से अधिक है, साथ में अन्य बीमारियाँ है, पीड़ित को तुरंत अस्पताल में लेकर जाएं ताकि उसको समय पर उपचार देकर उसकी जान बचाई जा सके।
बचाव के उपाय:
- छायादार ठंडे स्थान में रहें।
- ढोले, सुती, सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनें।
- सिर और आँखों को बचाने के लिए टोपी, छाता, धूप का चश्मा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- यदि आप ऐनक पहनते हैं तो अल्ट्रावॉयलेट किरणों से संरक्षण वाले मॉडल का इस्तेमाल करें
- चिलचिलाती धूप से बचने के लिए अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखें। पानी की कमी वाली स्थिति से बचे। इसके लिए आप पानी, नारियल पानी, नींबू की शिकंजी, अनार, तरबूज, मौसमी, संतरे का जूस, बेल का शरबत, नारियाल पानी इत्यादि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- बहुत ज्यादा तेज और देर तक धूप में काम करने की हालत में उपरोक्त के अतिरिक्त ओ आर एस, आम का पन्ना और सत्तू का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- पानी वाले फल और सब्जियों जैसे खीरा, लौकी, , ककड़ी तरबूज, खरबूजा, टमाटर, कीवी, अनन्नास आदि का भरपूर उपयोग करें।
इनसे परहेज करें:
- शराब, सोडा, कॉफी, चाय का सेवन
- अगर जरूरत ना हो तो धूप में ना जाएँ
- सीधे धूप में कभी ना जाए। बहुत धूप में बहुत ज्यादा शारीरिक थकान वाले काम न करें
- बहुत टाइट या गहरे रंग के कपड़े का इस्तेमाल ना करें।