Covid-19 Vaccine: कोविड-19 वैक्सीन को लेकर एम्स प्रोफेसर ने कही ये बड़ी बात!

Covid-19 Vaccine
Covid-19 Vaccine: कोविड-19 वैक्सीन को लेकर एम्स प्रोफेसर का आया बड़ा बयान!

Covid-19 Vaccine: नई दिल्ली। महामारी पर भारत की प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में सामुदायिक चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा कि केंद्र सरकार को भारत में कोविड-19 टीकाकरण पर जो प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं, उनकी समीक्षा करनी चाहिए। Covid-19 Vaccine

एक इंटरव्यू के दौरान उनकी टिप्पणी ब्रिटिश दवा निर्माता एस्ट्राजेनेका द्वारा यूके उच्च न्यायालय में स्वीकार किए जाने के बाद आई कि कोविड-19 टीके से दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। ब्रिटेन में एक वर्ग विशेष पर कार्रवाई एवं मुकदमे के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका डाली गई थी। बुधवार को उन्होंने कोविशील्ड के दुष्प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल गठित करने के निर्देश मांगे। Covid-19 Vaccine

जोखिम लाभ का विश्लेषण अनिवार्य हो जाता है

डॉ. राय के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय की एईएफआई समिति को कोविड वैक्सीन से संबंधित प्रतिकूल घटनाओं की समीक्षा पर विचार करना चाहिए। महामारी के दौरान, कोविड-19 टीके रोगियों की गंभीरता को देखते हुए उनकी बीमारी को नियंत्रित कर रहे थे, लेकिन इसके साथ ही टीके के प्रतिकूल प्रभाव जैसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस, या रक्त का थक्का) होता है, लेकिन केवल दुर्लभ मामलों में। ऐसा कोविड टीकों के साथ ही नहीं, बल्कि सभी प्रकार के टीकों के साथ होते देखा गया है। इसलिए जोखिम लाभ का विश्लेषण अनिवार्य हो जाता है। Covid-19 Vaccine

Lok Sabha Election 2024: कौन है ये शख्स, जिसने सरेआम दे डाली पीएम मोदी को चुनौती!

टीटीएस में, कम प्लेटलेट काउंट के साथ रक्त के थक्के बनते हैं, जो रक्त के थक्के जमने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

1 मई तक, भारत में 856 सक्रिय कोविड-19 के मामले थे और उस दिन 23 लोगों को कोविड-19 जैब मिला था।

यदि वर्तमान की बात करें तो टीकाकरण अब जरूरी नहीं है, क्योंकि पूरी आबादी ने कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित कर ली है। लेकिन यदि आज टीकाकरण किया जाए तो फायदे से ज्यादा यह नुकसान पहुंचा सकता है।

वर्णनीय है कि भारत में, एस्ट्राजेनेका और आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित वैक्सीन कोविशील्ड, सीरम इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया ने निर्मित की थी और बड़े पैमाने पर भारत भेजी थी। जबकि कोविशील्ड के चरण 2 और 3 परीक्षण भारत में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से आयोजित किए गए थे, प्रभावकारिता परीक्षण यूके, यूएस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किए गए थे। Covid-19 Vaccine

Sunita Kejriwal: ”दिल्ली सीएम को 10 साल तक जेल में रखेंगे?”