In Cotton Pink Bollworm Control: बीटी कपास में गुलाबी सुंडी से हैं परेशान तो जानें ये समाधान!

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In Cotton Pink Bollworm Control: हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। बीटी कपास में गुलाबी सुंडी नियंत्रण एवं प्रबंधन विषय पर दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला गुरुवार को जिला मुख्यालय स्थित आत्मा सभागार में शुरू हुई। कार्यशाला के उद्घाटन मौके पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला कलक्टर कानाराम ने की। कार्यशाला में संयुक्त निदेशक उद्यान डॉ. राजेंद्र खीचड़, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार योगेश कुमार वर्मा, पूर्व क्षेत्रीय निदेशक प्रो. बीएस यादव, हरबंस सिंह, अतिरिक्त निदेशक डॉ. सुआलाल जाट, ईश्वर लाल यादव, डॉ. ऋषि कुमार, डॉ. सतीश शर्मा, डिप्टी डायरेक्टर मिलन सिंह, सहायक निदेशक बीआर बाकोलिया, रामप्रताप गोदरा के अलावा खण्ड स्तर के प्रगतिशील किसान, तीनों जिलों के कृषि विभाग के अधिकारी शामिल हुए। Hanumangarh News

कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने गुलाबी सुंडी प्रबंधन के विभिन्न तरीके बताए। उन्होंने बताया कि गुलाबी सुंडी के प्रभावी प्रबंधन के लिए किसान बनछटियों को खेत के आस-पास एकत्रित नहीं करें तथा भंडारित कपास को ढक कर रखें, जिससे गुलाबी सुंडी के पतंगे खेतों में फसल पर अंडे नहीं दे पाएंगे। कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला कलक्टर कानाराम ने कहा कि वे दस दिन पहले अनाज मण्डी से किसानों से मिले थे। तब हुई चर्चा में हरेक किसान आशंकित था। किसानों का कहना था कि पिछली बार गुलाबी सुंडी की वजह से काफी नुकसान हुआ था। लेकिन यह निश्चित है कि किसान कपास की बिजाई अवश्य करेगा।

कार्यशालाएं कर किसानों को जागरूक करें

पिछले साल जो नुकसान हुआ है। अगले साल भी उसी तरह का नुकसान होता है तो यह कृषि विभाग, कृषि विज्ञान और प्रशासन सबका फेलियर है कि अधिकारी यह सब जानते हुए भी किसानों को जागरूक नहीं कर पाए और बीटी कॉटन में फिर से इतना बड़ा नुकसान हो गया। जिला कलक्टर ने कहा कि सही समय पर यह कार्यशाला हो रही है। हम सबकी पहली जिम्मेदारी है कि पिछली बार जो गलतियां हुईं उसकी पुनर्रावृत्ति न हो। विभिन्न तरह की कार्यशालाएं कर किसानों को जागरूक करें ताकि गुलाबी सुंडी का प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा सके। संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार योगेश कुमार वर्मा ने बताया कि कपास इस क्षेत्र की खरीफ की बड़ी फसल है। Hanumangarh News

पिछले दो सालों में 2 लाख 12 हजार हैक्टेयर में कपास में किसानों को लगभग 9 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक नुकसान हुआ। विभाग इस बार पूर्णतया सजग है कि किसानों की मदद की जा सके। इसलिए विभिन्न विभागों के समन्वय से कृषि विभाग ने काम किया। सबसे पहले अवशेषों को मनरेगा से जोड़ा। जो जिनिंग फैक्ट्री में कॉटन पड़ी हुई थी उसके बिनौले को नष्ट करने का काम किया। उद्योग विभाग से सम्पर्क किया। खासतौर पर बुवाई समय से काफी पहले हो रही थी। इसकी वजह से प्रकोप बढ़ रहा था। सरकार से व्यवस्था कर विभाग ने सही समय पर बुवाई करवाई। अब पिछले दस दिनों पहले सरकार ने बीज विक्रय की अनुमति जारी कर दी है।

कार्यशाला से लाइव भी जुड़े किसान | Hanumangarh News

संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार योगेश कुमार वर्मा ने बताया कि गांव-गांव स्तर पर किसानों को यह सिखाने का काम किया जा रहा है कि बुवाई से पूर्व, बुवाई के बाद पोषक तत्वों के प्रबंधन का ख्याल रखें। चूंकि यह नेशनल अलार्म है। खासतौर पर इस इलाके के कई लोगों की कृषि इसी पर आधारित है। विभाग ने राजस्थान के स्तर पर जयपुर की टीम की मदद लेते हुए दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की है। इसमें कृषि खण्ड श्रीगंगानगर के कार्यालयों के अधिकारियों को बुलाया गया है। उन्हें रोडमैप दिया जा रहा है कि कैसे वे कीट की मॉनिटरिंग करें। किस लेवल पर क्या सुझाव दें।

इसके अलावा सहायक कृषि अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से यूट्यूब पर कार्यशाला का लाइव टेलीकास्ट किया जा रहा है। ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से भी करीब 20 से 25 हजार किसानों को जोडऩे का प्रयास किया है। जयपुर में कृषि विभाग के चैनल पर भी इस कार्यशाला का लाइव प्रदर्शन किया जा रहा है। इसके अलावा राजस्थान के अन्य संभाग जहां भी खेती में गुलाबी सुंडी का प्रकोप है, वे लोग भी इसका फायदा उठा रहे हैं। कुल मिलाकर प्रयास यह है कि कपास की इस गुलाबी सुंडी से मॉनिटरिंग करते हुए सही समय पर सही राय किसानों तक पहुंचाई जाए। इसी प्रयास के साथ यह दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। Hanumangarh News

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