सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस बात पर हैरानी जताई है कि भारी प्रगति के बावजूद दिल्ली में तीन हजार टन सूखे कचरे का निपटान नहीं हो सका। अदालत ने इस संबंधी दिल्ली नगर निगम, एनडीएमसी व दिल्ली कैंट बोर्ड को नोटिस जारी किया है। वास्तव में चिंताजनक बात यह है कि आज के आधुनिक युग में देश की राजधानी कचरे से मुक्त (Delhi Cleanliness Problem) नहीं हो सकी। राजधानी देश का दिल होती है या फिर वह दर्पण होता है जहां से पूरे देश की झलक देखने को मिलती है। फिर भी दिल्ली में कूड़े के ढेर दिखना दिल्ली की शान पर एक बड़ा दाग है।
कूड़े से बिजली बनाने की परियोजनाएं भी शुरू की जा सकती हैं, तो चिंता की बात यह है कि यह काम राजधानी में लंबित है। इसी तरह देश के कई नगर निगम सूखे कूड़े से खाद तैयार कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। विश्व के अधिकांश देशों की राजधानियां शीशे की तरह चमकती हैं। दिल्ली अपनी ऐतिहासिक इमारतों के कारण पूरे विश्व में आकर्षण का केंद्र है। यदि इसे साफ-सुथरा रखा जाए और इसका रखरखाव किया जाए तो पर्यटन के रूप में दिल्ली को बढ़ावा दिया जा सकता है।