विशेष बातचीत में पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. विद्यासागर बंसल ने कई अहम विषयों पर दी महत्वपूर्ण जानकारी || Wheat Dry Fodder
राजू, ओढां। गेहूँ की कटाई के साथ ही नई तूड़ी तैयार होकर इनदिनों हर घर में पहुंच रही है। अगर आप पशुओं को नई तूड़ी (Wheat Dry Fodder) खिलाने जा रहे हैं तो सावधान हो जाईये, क्योंकि अगर आपने कई बातों का ध्यान न रखा तो आपके पशु का स्वास्थ्य खराब हो सकता है, बल्कि उसकी जान तक जा सकती है। तूड़ी के सही इस्तेमाल व इसके भंडारण सहित पशुओं से जुड़े कई विषयों को लेकर सच-कहूँ संवाददाता ने पशुपालन विभाग सरसा के उपनिदेशक डॉ. विद्यासागर बंसल से विशेष बातचीत की। डॉ. बंसल ने पशु की नियमित खुराक, गर्मी के मौसम में उचित देखरेख, टीकाकरण व विभाग द्वारा पशुपालकों के हितार्थ चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे भी काफी महत्वपूर्ण जानकारियां सांझा की।
सवाल : नई तूड़ी से पशु में बंध पड़ने व अफारा की शिकायतें आती हैं। इसका कारण और उपचार क्या है?
जवाब : नई तूड़ी को लेकर पशुओं में बंध या अफारा की अकसर शिकायत आती है। दरअसल, तूड़ी (Wheat Dry Fodder) के साथ तीखे कण होते हैं वो पशु के पेट में चले जाते हैं जोकि अंदर जख्म भी कर देते हैं। इसके लिए बेहतर ये है कि पशु को खिलाने से पूर्व तूड़ी को हल्के से पानी में भिगो दें। सेवन से पूर्व उसे छान लेना बेहतर है। साथ में हरे चारे की मात्रा अधिक रखें। ऐसा करने से तूड़ी न केवल नरम पड़ जाएगी, बल्कि पशु को पचाने में भी ज्यादा ऊर्जा खर्च नहीं करनी पड़ेगी। बंध के लक्षण दिखने पर पशुपालक अपने स्तर पर उपचार करने की बजाय पशु चिकित्सक से संपर्क करें। बंध ज्यादा समय तक रहने से पशु की मौत भी हो सकती है।
सवाल : तूड़ी का भंडारण किस तरह से करना चाहिए?
जवाब: तूड़ी का भंडारण एक तो खुष्क जगह पर करें, जहां नीचे नमी हो या आसपास पानी का स्त्रोत हो वहां भंडारण करने से बचें। हो सके तो तूड़ी डालने से पूर्व नीचे पॉलीथीन बिछा दें। अक्सर देखा जाता है कि किसान जो खेती के लिए पेस्टीसाइड लेकर आते हैं उसका छिड़काव करने के बाद उसे तूड़ी में दबा देते हैं। ऐसे में कई बार दवा की बोतल लिकेज भी हो जाती है। फिर वही तूड़ी पशु को खिला दी जाती है जिसके चलते कई बार पशु के लिए वह खतरा बन जाती है। तूड़ी को नमी व बरसात से बचाकर रखना चाहिए। जब तूड़ी समाप्त होने वाली होती है तो कभी-कभी नीचे नमी वाली तूड़ी बच जाती है जिसमें फंगस आ जाती है। यह तूड़ी पशु में रोग का कारण बन जाती है।
सवाल: पशु के ब्याने के बाद अगर जैर नहीं गिरती तो क्या हाथ से निकलवाना सही है ?
जवाब: अमूमन पशु ब्याने के कुछ घंटों बाद ही जैर गिरा देता है। कई बार पशु निर्धारित समय में ऐसा नहीं करता तो 24 घंटे तक इंतजार अवश्य करें। फिर भी अगर जैर नहीं गिरती तो निपुण पशु चिकित्सक से पहले सलाह व उपचार अवश्य लें। अधिकतर केसों में हम पशु के अंदर दवाई वगैरा रख देते हैं जिससे जैर अपने आप ही निकल जाती है। याद रहे कि हाथ से जैर निकलवाना अंतिम विकल्प होना चाहिए। इस प्रक्रिया में सावधानी बरतें और पशु के गर्भ में हाथ डालते समय सफाई का विशेष ध्यान रखें। यदि जैर पशु के अंदर पड़ी है तो कोई दिक्कत नहीं, वो धीरे-धीरे अपने आप बाहर आ जाती है। लेकिन जब जैर बाहर लटकती है तो पशु के बैठने पर उसमें मिट्टी या गोबर वगैरा लग जाता है। जब पशु खड़ा होता है तो जैर अंदर जाने पर गर्भ में संक्रमण हो जाता है।
सवाल: नस्ल सुधार क्या है और इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे मेें बताएं?
जवाब: नस्ल सुधार एक निरंतर प्रक्रिया है। जब हम देसी गाय को मेल पशु का सीमन लगाते हैं तो प्रथम बार 50 प्रतिशत, दूसरी बार 75 प्रतिशत व तीसरी बार 87 प्रतिशत नस्ल सुधार होती जाती है, इस तरह यह एक निरंतर प्रक्रिया है। गाय जैसे पहली बार ब्याती है तो मान लो उसे बछड़ी हुई। बछड़ी जब ग्याभिन हुई तो उसको जब टीका लगाया जाता है तो तब वह 75 प्रतिशत बढ़ेगी। आगे उसकी बछड़ी को टीका लगाया जाता है तो फिर वह 87 प्रतिशत बढ़ेगी। ये एक अच्छी प्रक्रिया है। पशुपालक को चाहिए कि वह इंतजार भी करे। जहां तक कृत्रिम गर्भाधान की बात है तो विभाग के पास उच्च क्वालिटी का सीमन है। इन दिनों एक ऐसा सीमन भी आया था जिससे 87 प्रतिशत गुंजाइश होती है कि बछड़ी ही पैदा होगी। सरसा क्षेत्र का यह रिकॉर्ड रहा है कि इस सीमन से मात्र 13 प्रतिशत ही मेल बच्चों ने जन्म लिया है।
सवाल: प्राकृतिक व कृत्रिम गर्भाधान में क्या फर्क है?
जवाब: कृत्रिम गर्भाधान की शुरूआत इसलिए हुई ताकि अच्छी नस्ल के बच्चे पैदा हो सकें। कई बार मेल पशु के चोट लग जाती है तो वह क्रॉस करने की स्थिति में नहीं होता। ऐसे पशु का सीमन लेकर हम काफी मात्रा में बच्चे पैदा कर सकते हैं। लेकिन मेल पशु का अच्छा रिकॉर्ड भी होना चाहिए। पशुपालन विभाग द्वारा उच्च क्वालिटी के सीमन कम शुल्क पर मुहैया करवाए जा रहे हैं।
सवाल : क्या टीकाकारण से पशु की दुग्ध क्षमता व स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव पड़ता है, क्या इससे गर्भपात का खतरा है?
जवाब: विभाग की ओर से साल में 2 बार पशुओं का मुंहखुर व गलघोटू का नि:शुल्क टीकाकरण किया जाता है। हां, ऐसा होता है कि लोग पशुओं का टीकाकरण करवाने से बचते हैं। उनका कहना होता है कि पशु के दुग्ध उत्पादन पर असर पड़ेगा व ग्याभिन पशु का गर्भपात हो जाएगा। जहां तक गर्भपात का सवाल है विभाग इस पर पहले ही सजग है। बाकायदा हिदायत भी है कि अगर कोई पशु 7 माह से ऊपर का ग्याभिन है तो उसका टीकाकरण नहीं किया जाता। वैसे भी टीकाकरण से गर्भपात की गुंजाइश बहुत कम है। लेकिन फिर भी विभाग व टीका कंपनी किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेती। रही बात दुग्ध उत्पादन पर असर पड़ने की तो अधिकतर पशुओं में ऐसी कोई समस्या नहीं आती। कई बार टीकाकरण से पशु में बुखार आ जाता है जिसकी वजह से वह खाना-पीना कम कर देता है जिससे दुग्ध उत्पादन पर कुछ असर पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में चिकित्सीय परामर्श लेकर पशु को बुखार व भूख बढ़ाने की दवा दें।
लू में दुधारू पशुओं की किस तरह से देखरेख करें?
जवाब: इस बार लू चलने का अंदेशा है। ऐसे में पशु विशेषकर दुधारू पशु पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पशु को छायादार व खुली हवादार जगह पर रखें। पशु को दिन में कई बार पानी पिलाएं और नहलाएं भी। हो सके तो पानी में थोड़ा नमक मिलाकर पिलाएं। गर्मी की चपेट में आने से पशु दूध की मात्रा कम कर देता है। ऐसे में उसे खनिज तत्व दें।