Patanjali Ads Case: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज रामदेव (Ramdev) की पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में सख्त रुख अख्तियार करते हुए केंद्रीय मंत्रालयों और अधिकारियों को झूठे अभियानों में शामिल फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। Patanjali News
इस संबंध में न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ ने केंद्र से एक हलफनामा दाखिल कर जवाब मांगा हैं कि कंपनियों के खिलाफ उठाए गए उन कदमों के बारे में बताएं, जो 2018 से भ्रामक स्वास्थ्य उपचार विज्ञापन जारी कर रही हैं। इतना ही नहीं अदालत ने उपभोक्ता मामले, सूचन- प्रसारण और आईटी मंत्रालयों को ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन की जांच करने का भी आदेश दिया। इसने मंत्रालयों को भ्रामक स्वास्थ्य उपचारों के संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा शुरू किए गए रामदेव के खिलाफ चल रहे मामले में पक्ष बनने का निर्देश दिया है।
इसके अलावा शीर्ष अदालत ने आयुष मंत्रालय द्वारा जारी एक पत्र के संबंध में केंद्र से स्पष्टीकरण भी मांगा, जिसमें राज्यों को औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 170 के अनुसार आयुष उत्पादों के विज्ञापन के खिलाफ कार्रवाई करने से बचने के लिए कहा गया था। अदालत ने कहा कि एफएमसीजी कंपनियां भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रही हैं, जिससे जनता, विशेषकर बच्चे और बुजुर्ग प्रभावित हो रहे हैं। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि मामला सार्वजनिक हित का है और इसका दायरा एक कंपनी से आगे बढ़ना चाहिए। Patanjali News
कोर्ट ने आईएमए को लिया आड़े हाथ
अदालत ने याचिकाकर्ता इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उसके सदस्य भी अनावश्यक और महंगी दवाओं की सिफारिश करने में लगे हुए हैं। इसने आईएमए पर अनैतिक आचरण का आरोप लगाने वाली कई शिकायतों की ओर इशारा किया। अदालत ने आईएमए से कहा कि दूसरों पर उंगली उठाने से पहले अपना घर व्यवस्थित करें। Patanjali News
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