कभी दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा चलाने वाले धर्मवीर कंबोज (Dharambir Kamboj) ने भाग्य पर भरोसा करने के बजाय कड़ी मेहनत करना जरूरी समझा और आज पूरी दुनिया उन्हें एक सफल किसान और उद्यमी के रूप में जानती है। हरियाणा के यमुनानगर के धामला गांव के रहने वाले धर्मवीर कंबोज ने सबसे पहले औषधीय खेती से अपना सफर शुरू किया, जब उन्हें सफलता मिली, तो आसपास के किसान भी औषधीय खेती करने लगे। वह औषधियों से कुछ उत्पाद बनाना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने खुद एक प्रोसेसिंग मशीन बनाई। इस यात्रा में सेंट्रल इंस्टीट्यूट आॅफ पोस्ट-हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, लुधियाना का भी सहयोग रहा।
इससे पहले 1987 तक उन्होंने दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा चलाया। एक दुर्घटना के बाद वह वापस गांव लौट आए और खेती शुरू कर दी। दिल्ली से गांव लौटने के बाद उन्होंने खेती के बारे में जानने के लिए कई कार्यक्रमों और प्रशिक्षण केंद्रों का दौरा किया। अधिक जानकारी के लिए वह 2004 में राजस्थान भी पहुंचे, जहां उन्होंने एलोवेरा जैसी कई औषधीय फसलों की खेती के बारे में सीखा और अपने गांव लौटकर उन्होंने इन फसलों को उगाना शुरू कर दिया। इससे अच्छी आमदनी हो रही थी, लेकिन वह अब औषधियों के प्रोसेसिंग बिजनेस के बारे में सोच रहे थे। इसी बीच बैंक के एक कर्मचारी ने बताया कि इस काम के लिए कई प्रोसेसिंग मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनके जरिए कई तरह के उत्पाद बनाए जा सकते हैं, लेकिन ये मशीनें काफी महंगी होती हैं। फिर क्या था, उन्होंने खुद की किफायती मल्टी पर्पज फूड प्रोसेसिंग मशीन बना ली। इस काम में करीब 8 महीने की कड़ी मेहनत लगी।
धर्मवीर कंबोज (Dharambir Kamboj) द्वारा आविष्कार की गई मशीन सिंगल फेज मोटर पर चलती है, जिसमें आंवला, एलोवेरा, जामुन और अन्य औषधियों के साथ बीज, फल और सब्जियों को प्रोसेस करके जूस और एसेंस निकाला जाता है। इस मशीन में तापमान नियंत्रित करने की भी सुविधा है। उन्होंने मशीन का आविष्कार कर अपने इनोवेशन को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन से पेटेंट भी करा लिया। आज यह मशीन 1 घंटे में 200 किलो टमाटर की प्रोसेसिंग कर देती है। अपने प्रोसेसिंग के एग्री बिजनेस के अलावा उन्होंने हाइब्रिड टमाटर की खेती करके रिकॉर्ड प्रोडक्शन हासिल किया। प्रोसेसिंग मशीन कोई पहला आविष्कार नहीं था। इससे पहले भी फसल पर कीटनाशक का स्प्रे करने वाली बैटरी चलित स्प्रेयर मशीन बनाई थी। इसी के साथ-साथ एक ही जमीन पर धनिया, लौकी और गन्ना उगाने का भी सफल प्रयास किया। 2009 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सम्मानित किया। 2012 में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पंवार ने उन्हें किसान वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया। ज्यादातर लोगों का मानना है कि उच्च शिक्षा के बिना कोई भी वैज्ञानिक नहीं बन सकता, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। धर्मवीर कंबोज अपने आप में एक मिसाल हैं।