Supreme Court: नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश जारी किया है कि विदेशी मेडिकल स्नातकों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता है और उन्हें भारत में इंटर्नशिप के दौरान समान वजीफा दिया जाना चाहिए। न्यायालय पैनल ने आगे कहा कि विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स को लेकर देश में मौजूदा नियमों में सुधार की जरूरत है।
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यह मामला तब आया है जब न्यायालय डॉक्टरों के एक समूह की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। उनके अनुसार, कुछ मेडिकल कॉलेज विदेशी मेडिकल स्नातकों को उनकी इंटर्नशिप के दौरान वजीफा नहीं देते हैं। दो न्यायाधीशों की पीठ ने इंटर्नशिप के दौरान भारतीय और विदेशी दोनों मेडिकल छात्रों को समान भुगतान का बयान दिया और राष्ट्रीय चिकित्सा समिति (एनएमसी) को वजीफा भुगतान के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। पीठ ने विशेष रूप से अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय मेडिकल कॉलेज, विदिशा, कर्मचारी राज्य बीमा निगम मेडिकल कॉलेज, अलवर और डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे शासकीय मेडिकल कॉलेज, रतलाम का आॅडिट करने को कहा। Supreme Court
पीठ ने समान वजीफा भुगतान की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि फैसले के अनुसार अनुपालन करने में विफल रहने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पीठ ने कहा, ”मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस और विदेशी मेडिकल स्नातकों के साथ अलग व्यवहार नहीं कर सकते।” पीठ ने एनएमसी और मेडिकल कॉलेजों से इस मुद्दे पर वापस आने को कहा। इसके अलावा, अदालत ने कहा कि एनएमसी और संबंधित निकाय यह सुनिश्चित करेंगे कि छात्रों को पूरी इंटर्नशिप अवधि के लिए वजीफा मिले। वे छात्र फिलहाल विदिशा के अटल बिहारी वाजपेई शासकीय मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे हैं।