Credit Card New Rules: डॉ. संदीप सिंहमार। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने विभिन्न बैंकों में वित्तीय संस्थानों के क्रेडिट कार्ड धारकों को बड़ी राहत प्रदान की है। अब तक क्रेडिट कार्ड धारक को सिर्फ बैंक के शेड्यूल के अनुसार ही अपनी मिनिमम पेमेंट या फुल पेमेंट करनी होती थी।लेकिन अब क्रेडिट कार्ड धारक खुद अपने हिसाब से कितनी ही बार अपने बिल साइकिल को चेंज कर सकता है। इससे पहले बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं मनमानी करते हुए केवल एक बार ही ऐसा करने मौका देती थी। वजह से क्रेडिट कार्ड धारक कई बार समय पर भुगतान नहीं कर पाते थे। इसी वजह से उनका क्रेडिट कार्ड एनपीए में चला जाता था। लेकिन यह सुविधा प्रदान करने के बाद ग्राहकों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा वहीं बैंक का भी भुगतान हो सकेगा। ग्राहकों की सुविधा को देखते हुए रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने यह सीमा हटाने को कहा है। आरबीआई की तरफ से यह नियम तुरंत प्रभाव से लागू भी हो गया है।
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ऐसे कर सकते हैं बदलाव | Credit Card New Rules
आरबीआई के इस नए नियम का लाभ उठाने के लिए ग्राहकों को सबसे पहले अपने क्रेडिट कार्ड से संबंधित पिछला बकाया चुकाना होगा। इसके बाद क्रेडिट कार्ड बैंक या कंपनी को फोन या ईमेल के जरिए बिलिंग साइकिल में बदलाव करने के लिए कहा जा सकता है। इस बदलाव के लिए संबंधित क्रेडिट कार्ड के कस्टमर केयर नंबर या फिर एप्प का इस्तेमाल किया जा सकता है। आरबीआई ने सभी बैंकों को अपने एप्प में भी है ऑप्शन देने की बात कही है। कई बार ऐसा होता है चाहते हुए भी ग्राहक के पास बैंक द्वारा निर्धारित किए गए साइकिल के अनुसार पर्याप्त नगदी या खाते में बैलेंस नहीं होता इसी वजह से दुविधा का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब अपनी मर्जी से भुगतान किया जा सकता है।
ये होता है billing cycle
मान लो किसी ग्राहक का क्रेडिट कार्ड का कुल बिल स्टेटमेंट हर महीने की 10 तारीख को आता है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति का Billing cycle उस महीने की 11 तारीख से शुरू होगा और अगले महीने की 10 तारीख को खत्म होगा। इस 30 दिन अवधि के दौरान क्रेडिट कार्ड से किए गए सभी लेन-देन क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में दिखाई देंगे। इसमें कार्ड से किए गए सभी भुगतान, नकद निकासी, क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान की जानकारी होती है। बिल की यह अवधि कार्ड के प्रकार और क्रेडिट कार्ड प्रदाता के मुताबिक 27 दिन से लेकर 31 दिन तक हो सकती है। इस दौरान यदि हम मिनिमम भुगतान भी कर देते है तो भी ग्राहक को फायनेंस चार्ज का भुगतान करना पड़ सकता है।
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नए नियम का ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर?
अब तक यह सब केवल क्रेडिट कार्ड संबंधी बैंक या कंपनी ही तय करती थी कि ग्राहक को जारी किए गए क्रेडिट कार्ड का बिलिंग साइकिल क्या होगा? यानी ग्राहक को कब भुगतान करना होगा। ऐसी स्थिति में कभी-कभी ग्राहकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब भारतीय रिजर्व बैंक ने नए नियम जारी कर दिए हैं। यह नियम लागू होने के बाद ग्राहक अपनी मर्जी के से एक बार से अधिक क्रेडिट कार्ड के बिलिंग चक्र को अपने हिसाब से बदल सकता है , इसके लिए ग्राहक को बैंक से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
क्रेडिट कार्ड से संबंधित इस जानकारी को भी समझे
क्रेडिट कार्ड के लिए बैंक बिल का पूरा बकाया चुकाने के बजाए न्यूनतम भुगतान का विकल्प भी देते हैं। पर संबंधित बैंक ग्राहकों को यह नहीं बताते हैं कि ऐसा करने से न केवल वर्तमान बिलिंग चक्र में बकाया राशि पर ब्याज लगता है, बल्कि बाद के बिलिंग चक्र में किए गए अन्य सभी लेनदेन पर ब्याज मुक्त अवधि खत्म हो जाती है। इस बात को हमेशा छुपाया जाता है। रिकवरी एजेंट भी सिर्फ मिनिमम भुगतान के बारे में ही दबाव बनाते है। लेकिन यह नहीं बताते की नियत तारीख के बाद किए गए सभी लेनदेन पर तब तक ब्याज लगता है। जब तक कि कुल बकाया राशि पूरी तरह से चुका नहीं दी जाती। इस बात का ग्राहक को अगले बिल के दौरान देखने को मिलता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे बचने के लिए देय तिथि तक पूरा बिल चुकाना ही सबसे अच्छा रहता है। ताकि ब्याज से बचा जा सके।