world Water Day: सरसा। सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (Saint Dr MSG) फरमाते हैं कि आज का समय ऐसा है कि इन्सान प्रकृति का नाश कर रहा है। संस्कृति का नाश कर रहा है। इन्सानियत को रसातल में ले जा रहा है। किसी भी दृष्टिकोण से देख लो इन्सान दिन-ब-दिन अपने विनाश को खुद बुलाने को आतुर है।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि पानी की बात करें, तो पानी इतना नीचे जा रहा है, खास कर साइंटिस्टों को बड़ा फिक्र है और यहां तक उन्होंने हमारे पास बोला गुरू जी, हो सकता है आने वाले समय में पानी के लिए युद्ध ना हो जाए। क्योंकि पानी दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है। डॉक्टर साहिबान जानते हैं, हमारी बॉडी में 70 से 90 पर्सेंट पानी होता है। और साजो-सामान के बिना काम चल जाएगा, पानी के बिना कैसे चलेगा? पानी तो जरूरी है। तो क्या पानी को बचाना नहीं चाहिए? बचाया जा सकता है और बचाना चाहिए। छोटी-छोटी बातें अगर आप नोट करें तो आप काफी पानी बचा सकते हैं। आप कहेंगे कि जी, मेरे एक अकेले के पानी बचाने से क्या फायदा होगा।
आपजी फरमाते हैं कि हमारे धर्मानुसार कहावत है बूंद-बूंद से तालाब भर जाता है। कभी लीकेज होती देखो, बूंद-बूंद टपक रही है, बाल्टी रख दो नीचे कुछ देर में भरी नजर आएगी। इसलिए आप शुरूआत तो करो। आप ब्रश करते हैं सुबह सवेरे तो वॉशबेसन में एक गिलास रख लीजिये, उसको भर लीजिये। टूंटी खुली छोड़ कर ब्रश करना और उधर से पानी बहे जा रहा है यह गलत है। यूरिन वगैराह आप जाते हैं, टॉयलेट जाते हैं तो फ्लश में अलग-अलग फंक्शन होते हैं कि एक थोड़े पानी के लिए और एक ज्यादा पानी के लिए है उसका इस्तेमाल किया करो।
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