सरसा। MSG Bhandara: पूज्य गुरु जी ने अपने साढ़े 6 करोड़ परिवार को संबोधित करते हुए डेरा सच्चा सौदा की स्थापना संबंधी विस्तारपूर्वक जानकारी दी। आप जी ने फरमाया कि गांव कोटड़ा (बिलोचिस्तान) में अति पूजनीय पिता श्री पिल्ला मल जी व पूजनीय माता तुलसां बाई जी के घर बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने अवतार धारण किया। सार्इं जी बचपन से ही धार्मिक खयालों के थे, क्योंकि जब बाल्यवस्था में उनको पूजनीय माता तुलसां बाई जी ने बर्फी देकर बेचने के लिए भेजा तो आप जी ने रास्ते में मिले साधुओं को वह बर्फी खिला दी और बर्फी के पैसे घर ले जाने के लिए किसी किसान के खेत में शाम तक काम किया।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि सार्इं जी ज्ञान की तलाश में निकले तो कई रिद्धि-सिद्धि वाले मिले, लेकिन सार्इं जी ने कहा कि हमें तो अंदर वाला राम ही चाहिए। इस दौरान वह ब्यास पहुंंचे, जहां बेपरवाह जी ने सार्इं सावण शाह जी से सच्चा ज्ञान प्राप्त किया। आप जी पैरों में घुंघरू बांधकर सार्इं सावण शाह जी के सामने खूब नाचते और सार्इं सावण शाह जी आप जी को मस्ताना कहकर नवाजते। आप जी को नाचते देखकर कुछ और लोग भी उन्हीं की तरह ही नाचने लगते, तो सावण शाह जी फरमाते कि ‘मस्ताना तो एक ही है, बाकी तो सब नकली बने घूम रहे हैं।’ बेपरवाह जी, सार्इं सावण शाह जी को अपने मक्खण मलाई, मेरे शहनशाह इत्यादि कहकर पुकारते।
कुछ लोगों ने वहां आपत्ति जताई तो सार्इं सावण शाह जी ने शाह मस्ताना जी महाराज को फरमाया, ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ बोल दिया करो। फिर सार्इं सावण शाह जी ने शाह मस्ताना जी को कहा कि आप बागड़ में जाओ (सरसा क्षेत्र को पहले बागड़ कहा जाता था) व लोगों को राम नाम से जोड़ो। इस बात पर बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने अर्ज की कि सार्ईं जी बागड़ के क्षेत्र के लोगों को मेरी भाषा समझ में नहीं आएगी तो सांई सावण शाह जी ने पावन वचन फरमाए, ‘आपकी आवाज खुदा की आवाज होगी, लोग सुनकर मस्त हो जाया करेंगे।’ बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने फिर अर्ज की कि सार्इं जी, जिसे भी नाम दें, उसका एक पैर यहां और दूसरा पैर सचखंड में हो। बेपरवाह जी ने यह मांग भी सार्इं जी से मंजूर करवा ली। शाह मस्ताना जी ने यह वचन भी मंजूर करवाए कि अगर किसी प्रेमी ने किसी मुश्किल घड़ी में ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ का नारा लगाया तो उसके भयानक कर्म कट जाएं।
सार्इं सावण शाह जी ने यह सभी मांगें मंजूर की व आप जी को बागड़ की तरफ भेज दिया। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जहां अब शाह मस्ताना जी धाम है, यहां जंगलात था। जंगल में सांप, बिच्छू निकलने लगे तो लोगों ने कहा कि सार्इं जी आप यहां कहां आ गए, यहां तो सांप, बिच्छू हैं। बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने फरमाया कि पवित्र नारा ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ लगा देना यह किसी को कुछ नहीं कहेंगे। उस दिन से आज तक डेरे में बड़े-बड़Þे कोबरे निकलने पर उसे मारा नहीं जाता, बल्कि उसे पकड़कर दूर जंगल में छोड़ दिया जाता है। आप जी ने फरमाया कि बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज द्वारा शुरु किए गए इस सच्चे सौदे की आज करोड़ों की संख्या में साध-संगत है, जो मानवता भलाई के कार्यों में दिन-रात जुटी हुुई है। यह शाह मस्तान, शाह सतनाम जी की दया मेहर से ही संभव हो रहा है।
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